We are providing a detailed explanation of “Two Stories About Flying Part-I” in Hindi, for Class 10 students following the syllabus of the First Flight Book. Word-to-word Hindi explanation is given to ensure that you understand it in Hindi also.
प्रस्तुत है “Two Stories About Flying Part-I” का हिंदी अनुवाद । यह पाठ कक्षा 10 की ”First Flight ‘ किताब से लिया गया है। हमने इसे कक्षा 10 के छात्रों के लिए विशेष रूप से तैयार किया है। यदि आप को हिंदी में अधिक समझ आता है तो यह आप के लिए यह Two Stories About Flying Part-I Hindi Explanation बहुत अच्छा रिसोर्स है। आइये पेज वाइज शुरू करते हैं-
Two Stories About Flying Part-I Hindi Explanation
By– Liam O’Flaherty
Line to Line Explanation in Hindi- Two Stories About Flying Part- I His First Flight
पढ़ने से पहले – आरंभिक काल से ही मनुष्य का आसमान पर विजय प्राप्त करना एक स्वप्न रहा है । यहाँ उड़ान भरने से संबंधित दो कहानियाँ दी गई हैं
[PAGE 32] : बच्चा सीगल पक्षी अपनी शिखाफलक पर अकेला था । उसके दो भाई एवं उसकी बहन एक दिन पहले ही उड़ गए थे । वह उनके साथ उड़ने से डरता था । किसी रुप में जब वह थोड़ा-सा दौड़कर शिखाफलक के किनारे तक आया था और उसने अपने पंख फड़फड़ाने का प्रयत्न किया था तो वह डर गया था । सागर का महान् विस्तार उसके सामने फैला हुआ था औरनीचे की तरफ कितना लंबा रास्ता था -मीलों नीचे ।
उसे पक्के तौर पर ऐसा लगा कि उसके पंख कभी उसे सहारा नहीं देंगे, इसलिए उसने अपना सिर झुकाया और शिखाफलक के नीचे छोटे-से छेद में आ गया जहाँ वह रात को सोया था । यहाँ तक कि जब उसके दोनों भाइयों एवं उसकी बहन ने, जिनके पंख उसके पंखों से छोटे थे अपने पंख फड़फड़ाए एवं उड़ गए, तो भी वह उस साहसिक कदम को उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया जो उसे बहुत अधिक निराशाजनक लगता था । उसके माता एवं पिता उसके पास आ गए थे , और उसे चीख-चीखकर पुकार रहे थे, उसे डॉट रहे थे,
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[PAGE 33] : उसे भूखा रखने की धमकी दे रहे थे, अगर वह नहीं उड़ेगा तो । मगर वह किसी भी हालत में हिल नहीं सका । ऐसा चौबीस घंटे पहले हुआ था । तब से उसके पास कोई नहीं आया था । उससे पहले दिन, सारा दिन अपने माता-पिता को उसके भाइयों एवं बहनों के साथ उड़ते,और उन्हें उड़ने की कला में पारंगत करते हुए तथा यह सिखाते हुए कि कैसे लहरों को हल्के –से छूना है और मछलियों के लिए डुबकी लगानी है वास्तव में उसने अपने बड़े भाई को अपनी पहली मछली पकड़ते एवं उसे एक चट्टान पर खड़े होकर खाते देखा था जबकि उसके माता-पिता आसपास चक्कर काटते हुए गर्व से चिल्ला रहे थे और सारी प्रात: पूरा परिवार सामने की पहाड़ी के बीच के पठार पर चलता रहा था और उसकी कायरता के लिए उसे चिढ़ाता रहा था।
अब सूर्य आकाश में चढ़ रहा था और उसको तेज रोशनी से चमका रहा था जोकि दक्षिण की तरफ था । उसे गर्मी महसूस हुई क्योंकि उसने पिछली रात से कुछ नहीं खाया था । वह धीरे-धीरे शिखाफलक के किनारे तक आ गया और एक टाँग पर खड़े होकर तथा दूसरी टाँग को अपने पंख के नीचे छुपाकर उसने सोए हुए होने का ढोंग किया ।
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[PAGE 34]: फिर भी उन्होंने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया । उसने अपने दोनों भाइयों एवं बहन को पठार पर लेटे हुए तथा अपने सिर को अपनी गर्दन में छिपाकर ऊँघते देखा । उसका पिता अपनी सफेद गर्दन के ऊपर वाले पंखों को साफ कर रहा था ।
केवल उसकी माता ही उसकी ओर देख रही थी । वह पठार के ऊपर एक छोटे से टीले पर खड़ी थी और उसकी सफेद छाती आगे को बढ़ी हुई थी । थोड़ी –थोड़ी देर बाद वह उस मछली के टुकड़े जो उसके कदमों के पास था , उसे नोचकर खाती थी और फिर वह अपनी चोंच के दोनों सिरों को बारी-बारी से चट्टान पर रगड़ती थी । भोजन को देखकर वह पागल हो उठा ।
उसे उस तरह से नोच-नोचकर भोजन खाना और अपनी चोंच को तेज करने के लिए उसे पत्थर पर रगड़ना उसे बहुत अच्छा लगता था । “गा ,गा ,गा, ” वह चिल्लाया एवं उससे प्रार्थना की कि वह उसके लिए भोजन लाए । “गा –कोल –आह” वह निंदाजनक ढंग से वापिस चिल्लाई । मगर वह उदासी से चिल्लाता रहा और लगभग एक मिनट के बाद उसने प्रसन्नता से चीख मारी । उसकी माँ ने मछली का एक टुकड़ा उठा लिया और उसे लेकर उसकी तरफ उड़कर आ रही थी।
[पेज 35] वह उत्सुकता से चट्टान पर पवन पटकता हुआ आगे की ओर झुका जबकि वह उड़ रहीं थी , उसकी तरफ और निकट आने का प्रयास किया । मगर जब वह बिल्कुल उसके सामने थी , वह रूक गई । उसके पंख गतिहीन हो गए और उसकी चोंच में मछली का टुकड़ा लगभग उसकी (बच्चे की) चोंच की पहुँच में था । उसने हैरानी से एक क्षण इंतजार किया ,उसे हैरानी हो रही थी कि वह नजदीक क्यों नहीं आ रही थी और फिर भूख से पागल हो वह मछली पर झपटा ।
एक जोरदार चीख के साथ वह आगे एवं नीचे खाली स्थान में गिरा । तब बहूत बड़े डर ने उसे जकड़ लिया एवं उसका दिल थम गया । वह कुछ नहीं सुन सकता था । मगर ऐसा केवल एक मिनट के लिए हुआ व अगले क्षण उसने अपने पंखों को बाहर की ओर फैलते हुए महसूस किया । हवा उसके छाती के पंखों से टकराई ,तब उसके पेट के नीचे एवं फिर उसके पंखों से । वह अपने पंखों के सिरों को हवा को काटते महसूस कर
सकता था । अब एकदम सीधा नहीं गिर रहा था । वह धीरे –धीरे नीचे बाहर की और उड़ रहा था । अब वह भयभीत नहीं था । वह केवल थोड़ा –सा भौचक्का महसूस कर रहा था । तब उसने अपने पंखों को एक बार फड़फड़ाया और वह ऊँचा उठा ।
“गा-गा-गा-गा-गा-गा-गा–कोल-आह” कहती हुई उसकी माँ उसके पास से तेज़ी से निकल गई ,जबकि उसके पंख तेज आवाज़ पैदा कर रहे थे ” ।उसने अपनी माँ का जबाब एक अन्य चीख से दिया तब उसका पिता चीखता हुआ उसके ऊपर उड़ा । उसने अपने दो भाइयों और अपनी बहन को उछल-कूद करते हुए बिना पंख हिलाए उड़ते हुए तथा डुबकी लगाते हुए उसके ऊपर उड़ा । उसने अपने दो भाईयों और अपनी बहन को उछल-कूद करते हुए बिना पंख हिलाए उड़ते हुए तथा डुबकी लगाते हुए अपने इर्द-गिर्द उड़ते हुए देखा ।
फिर वह पूरी तरह से भूल गया कि वह कभी भी उड़ने में असमर्थ था और उसने स्वयं को गोता लगाने, मँडराने और तिरछा उड़ने के लिए तारीफ की और खुशी से चीखने तगा । अब वह सागर के निकट था और सीधे उसके ऊपर उइ रहा था, बिना किसी झिझक के वह सागर के उपर था । उसने अपने नीचे विशाल हरा सागर देखा । जिसके उपर छोटी-छोटी लहरें हिल रही थी और उसने अपनी चोंच को एक तरफ हिलाया और ख़ुशी से काँय-काँय करने लगा ।
उसके माता-पिता एवं उसके भाई एवं बहन सागर के हरे फर्श पर उससे पहले ही बैठ गए थे । वे तेज आवाज़े करते हुए उसे बुला रहे थे । उसने हरे सागर पर खड़े होने के लिए अपनी टाँगें सीधी की । उसकी टाँगे सागर में धँस गई । वह डर से चिल्लाया एवं अपने पंखों को फड़फड़ाते हुए फिर से उठने की कोशिश की । मगर वह थका हुआ था और भूख से कमजोर था और इस अजीब व्यायाम के कारण अत्यधिक थका होने के कारण वह उठ न पाया ।
[PAGE 35] : उसके पाँव हरे सागर में धँस गए तब उसका पेट इसको छुआ और वह और अधिक नहीं डूबा । वह इसके ऊपर तैर रहा था और उसके आसपास उसका परिवार आवाजें कर रहा था, उसकी तारीफ कर रहा था और उनकी चोंचें उसे छोटी शार्क मछली के टुकड़े प्रस्तुत कर रहीं थी ।