यह एक शिशु सीगल पक्षी की काल्पनिक कहानी है । यह समय आ गया था जब उसे अवश्य ही उड़ना सीखना था । उसके दो भाइयों एवं छोटी –सी बहन ने  अपने माता-पिता की नकल करके उड़ना सीख लिया था । वे केवल शिखाफलक के किनारे तक पहुँचे थे , अपने पंख फड़फड़ाए और उड गए थे ।

मगर जब बच्चा सीगल पक्षी किनारे तक आया एवं हवा में उड़ने का प्रयास किया,वह डर गया  । उसे विश्वास था कि अगर उसने उड़ने का प्रयत्न किया तो वह नीचे सागर में गिर जाएगा । इसलिए वह भाग कर शिखाफलक पर अपने छिद्र में चला गया ।
सीगल पक्षी  के माता-पिता उसे अपने साथ लेने आए। मगर उसने उड़ने से इंकार कर दिया। उन्होंने धमकी दी कि वह शिखाफलक पर भूखा मर जाएगा । मगर पक्षी इतना भयभीत था कि यह उड़ा नहीं ।

चौबीस घटे बीत गए । सीगल पक्षी ने कुछ नहीं खाया था । उसे  बहूत भूख लगनी आरंभ हो गई । उसने अपनी माँ को एक पठार पर बैठे देखा । वह एक मछली खा रहीँ थी । इस द्रश्य ने केवल उसकी भूख को और बढ़ा दिया । उसने अपनी माँ से उसके लिए कुछ भोजन लाने की प्रार्थना की । माँ ने उसकी ओर  निंदात्मक तरीके से देखा । मगर तब उसने मछली का एक टुकड़ा उठाया एबं उसकी तरफ उड़कर आई ।

माँ उस तक नहीं आई । उसने अपने पंख रोक दिए एवं गतिहीन बन गई । सीगलपक्षी को हैरानी हुई कि वह उसके पास क्यों नहीं आ रही थी । वह और अधिक सहन नहीं कर सका । यह भूख से पागल हो गया । उसने मछली पर छलाँग लगाई । वह अपनी माँ तक नहीं पहुंच सका, मगर यह शिखाफलक से नीचे हवा में गिर गया ।

वह भयभीत हो गया एवं चिल्लाया । मगर यह भय केवल एक मिनट तक रहा । उसने अपने पंख फैलाए एवं उड़ने का प्रयन्न किया । अचानक उसने देखा कि वह उड़ रहा था । वह खुशी से चिल्लाया और अधिक ऊँचा उड़ना आरंभ कर दिया । उसके माता –पिता भाई एवं बहन उनके चारों ओर उड़े और खुशी से चिल्लाए ।

 कुछ देर के बाद, सीगल के मातापिता, भाई और बहन समुद्र की सतह पर उतर गए । उन्होंने उसे वहाँ आने के लिए कहा । सीगल ने सोचा था कि यह एक हरा फर्श है । उसने ही समुद्र पर खडे होने के लिए अपनी टाँगे नीचे की । इसकी टाँगे इसमें डूब गई और वह डर के मारे चिल्लाया । परंतु उसके पेट ने पानी को छुआ और  वह डूबा नहीं । उसने समुद्र में तैरना आरंभ कर दिया । उसके परिवार के सदस्यों ने उसकी प्रशंसा की और उसे मछली के टुकड़े खाने के लिए दिए । इस प्रकार सीगल ने अपनी पहली उड़ान भर ली थी ।