Berojgari ki Samasya दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. बेकारी का सबसे बड़ा कारण है – बढ़ती हुई जनसंख्या. Mere Jivan Ka Lakshya essay में बताया गया है की मनुष्य का जीवन में अगर कोई उद्देश्य है तो उसे जरुर पाने की कोशिश करें जिससे बेरोजगारी खत्म होगी.
Berojgari ki Samasya
बेकारी की समस्या और अभिप्राय – आज भारत के सामने जो समस्याएं फण फैलाए खड़ी हैं, उनमें से एक चिंतनीय समस्या है – बेकारी. लोगों के पास हाथ हैं, पर काम नहीं है; प्रशिक्षण है, पर नौकरी नहीं है.
आज देश में प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित – दोनों प्रकार के बेरोजगारों की फौज जमा है. फैक्ट्रियों, सड़कों, बाजारो में भीड़ ही भीड़ है. शहरों में हजारों बेकार मजदूरों के झुंड पर झुंड नजर आ जाते हैं. रोजगार कार्यालयों में करोड़ों बेकार युवकों के नाम दर्ज हैं. सौ नौकरियों के लिए हजारों से लाखों तक आवेदन पत्र जमा हो जाते हैं.
बेकारी के कारण – बेकारी का सबसे बड़ा कारण है – बढ़ती हुई जनसंख्या. दूसरा कारण है, भारत में विकास के साधनों का अभाव होना. देश के कर्णधारों की गलत योजनायें भी बेकारी को बढ़ा रही हैं. गांधी जी कहा करते थे – “हमारे देश को अधिक उत्पादन नहीं, अधिक हाथों द्वारा उत्पादन चाहिए.” उन्होंने बड़ी-बड़ी मशीनों की जगह लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दिया. उनका प्रतीक था – चरखा. परंतु अधिकांश जन आधुनिकता की चकाचौंध में उस सच्चाई के मर्म को नहीं समझे. परिणाम यह हुआ की मशीनें बढ़ती गईं, हाथ खाली होते गए. बेकारों की फौज जमा हो गई. आज के अधिकारी कंप्यूटरों और मशीनों का उपयोग बढ़ाकर रोजगार के अवसर कम कर रहे हैं. बैंक, सार्वजनिक उद्योग नई नौकरियां पैदा करने की बजाय अपने पुराने स्टाफ को ही जबरदस्ती निकालने में जुटे हुए हैं. यह कदम देश के लिए घातक सिद्ध होगा. आज भारत को पुनः पैतृक उद्योग -धंधों और व्यवसायों की आवश्यकता है.
समाधान – प्रत्येक समस्या का समाधान उसके कारणों में छिपा रहता है. यदि ऊपर-कथित कारणों पर प्रभावी रोक लगाई जाए तो बेरोजगारी की समस्या का काफी सीमा तक समाधान हो सकता है. व्यावसायिक शिक्षा, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन, मशीनीकरण पर नियंत्रण, कंप्यूटरीकरण पर नियंत्रण, रोजगार के नए अवसरों की तलाश, जनसंख्या पर रोक आदि उपायों को शीघ्रता से लागू किया जाना चाहिए.