Sampadak Ko Patra Format in Hindi | Letter to The Editor in Hindi

By | August 8, 2022
Sampadak Ko Patra Format in Hindi

Sampadak Ko Patra Format in Hindi – सबसे पहले समाचार-पत्र या पत्रिका के संपादक को संबोधन करना चाहिए. पत्र का मुख्य उद्देश्य विषय बताना होता है और उसे एक पंक्ति में लिखा जाना चाहिए. नगर-प्रशासन में होने वाली ढिलाई या कमी के कारण विभिन्न शासकीय अधिकारियों को लिखे गए पत्र ‘शिकायती पत्र’ कहलाते हैं.

किसी विषय पर ध्यान आकर्षित करने के लिए अथवा अपनी अच्छी या बुरी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए समाचार-पत्र के संपादक को लिखे गए पत्र संपादकीय पत्र कहलाते हैं.
लेखन विधि – संपादकीय पत्र लिखने की विधि इस प्रकार है –
संपादक का संबोधन – सबसे पहले समाचार-पत्र या पत्रिका के संपादक को संबोधन करना चाहिए. जैसे –
सेवा में
संपादक
नवभारत टाइम्स
बहादुरशाह जफर मार्ग
नई दिल्ली
अभिवादन – अभिवादन में ‘महोदय’ या ‘प्रिय महोदय’ लिखना चाहिए. जैसे –
प्रिय महोदय
संपादक को निवेदन
संपादक को दो-तीन वाक्यों में निवेदन करना चाहिए कि वह आपके पत्र के विषय के महत्व को समझते हुए उसे छाप दें. जैसे –
मैं आपके लोकप्रिय पत्र के ‘पाठकनामा’ स्तंभ के अंतर्गत अपने विचार व्यक्त करना चाहता हूं. कृपया इन्हें छाप कर कृतार्थ करें.

मुख्य विषय
•कोशिश करें कि संपादक को काट-छांट न करनी पड़े. वह आपके विचारों को ज्यों का त्यों छाप दें.
•पत्र छोटा तथा टू द पॉइंट यानी सटीक हो.
•उसमें किसी प्रकार का संबोधन न हो.
•पत्र सामान्य जनता की ओर उन्मुख होना चाहिए, संपादक या किसी खास वर्ग को नहीं.
प्रेषक – पत्र के अंत में पृष्ठ के बाईं ओर नीचे प्रेषक के हस्ताक्षर होने चाहिए. यदि हस्ताक्षर स्पष्ट हों तो नाम लिखने की जरूरत नहीं. परंतु यदि प्रेषक के हस्ताक्षर कठिन हैं और दुर्वोध हैं तो उनके नीचे नाम भी लिखना चाहिए. जैसे –
भवदीय
विजयेंद्र जैन
अथवा
भवदीय
विजयेंद्र जैन
पता – नाम के नीचे प्रेषक अपना पता स्पष्ट शब्दों में लिखें. जैसे –
353, रेलवे कॉलोनी
कोटा
दिनांक – सबसे अंत में पत्र लिखने का दिनांक लिखें. जैसे –
13.2.2021

वन-महोत्सव के अवसर पर आपके नगर की कल्याण-समिति नगर में नि:शुल्क पौधे वितरित करना चाहती है. समिति के सचिव की ओर से नगर की पौधशाला के अधीक्षक को पत्र लिखकर पौधों की व्यवस्था के लिए अनुरोध कीजिए.
सुमित चौहान
सचिव, रामनगर कल्याण समिति
उज्जैन
दिनांक : 13 जनवरी, 2021
सेवा में
अधीक्षक महोदय
पौधशाला, उज्जैन
विषय : पौधों का वितरण
सम्माननीय महोदय
मैं रामनगर कल्याण समिति के सचिव की हैसियत से आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि हमारी समिति नगर में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पौधा -वितरण अभियान चलाना चाहती है. इसमें हमें आपके सहयोग और आशीर्वाद की आवश्यकता है. हमने लोगों को अपने घरों, मोहल्लों और आसपास पौधे लगाने और उन्हें बड़ा होने तक संभालने के लिए प्रेरित किया है. आपसे इतना निवेदन है कि आप हमारी समिति को पौधे नि:शुल्क प्रदान करने की कृपा करें. साथ ही एक दिन अपना कीमती समय निकालकर उन्हें आवश्यक निर्देश भी देने की कृपा करें.
आपके उत्तर और सहयोग की प्रतीक्षा में –
भवदीय
सुमित चौहान

आप बी.टी.एम. नगर बैंगलोर में रहते हैं. आपके क्षेत्र का यातायात अत्यंत व्यस्त और जटिल है. अपने क्षेत्र के यातायात आयुक्त को पत्र लिखिए.
सेवा में
यातायात आयुक्त
बैंगलोर
विषय : बंगलौर की यातायात-व्यवस्था में सुधार
महोदय
निवेदन है कि मैं बैंगलोर के बी.टी.एम. नगर का निवासी हूं. यहां की यातायात -व्यवस्था बहुत जटिल और असंतोषजनक है. यहां ट्रैफिक का दबाव बहुत अधिक है. उस तुलना में व्यवस्थाएं बहुत कम हैं. अधिकतर चौकों पर जाम रहते हैं. जिनके कारण थोड़ी-सी दूरी भी बहुत लंबी हो जाती है. सड़कें भी टूट -फूट गई हैं.
मुझे लगता है कि आज यातायात पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. व्यस्त चौकों पर पुलों की बहुत अधिक जरूरत है. जो पुल धीमी गति से बन रहे हैं, उन्हें जल्दी से बनवाने की जरूरत है. आप से निवेदन है कि इस व्यवस्था को जल्दी चुस्त-दुरुस्त करें.
धन्यवाद !
भवदीय
अनंत कुमार
7/35 , 28 मेन
बी.टी.एम. बैंगलोर
दिनांक : 16 अगस्त, 2020

अपने नगर के चौराहे पर नगर के युवा बलिदानी सैनिक को मूर्ति स्थापित करवाने के लिए जिलाधीश को पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए.
सुभाष ठाकुर
233, जीवन नगर
पटना
13.3.2021
सेवा में
जिलाधीश महोदय
पटना
विषय : कैप्टन विनोद सिन्हा की मूर्ति स्थापित करने के संदर्भ में
महोदय
पटना के नागरिक होने के नाते मैं यह अनुभव करता हूं कि हमारे नगर के गौरवशाली सैनिक वीर विनोद सिन्हा ने जिस प्रकार सीमा पर लड़ते हुए अपना बलिदान दिया है. उसका सम्मान स्थाई रूप से होना चाहिए. प्रशासन को उसकी मूर्ति मुख्य चौक पर स्थापित करनी चाहिए. उसे देखकर हमारे नगर के अन्य युवा भी सेना में भर्ती होने के लिए तथा देशहित में सर्वस्व अर्पित करने हेतु प्रेरित होंगे.
धन्यवाद !
भवदीय
सुभाष ठाकुर

स्वच्छ भारत अभियान से समाज के सोच और व्यवहार में क्या अंतर आया है ? अपने विचार किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर व्यक्त कीजिए.
सेवा में
मुख्य संपादक
दैनिक भास्कर
ग्वालियर
महोदय
मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से निम्नलिखित विचार जनता तक पहुंचाना चाहता हूं. कृपया छापकर अनुग्रहित करें.
स्वच्छ भारत अभियान देश का वह अभियान है जिसने भारत की शक्ल-सूरत बदल कर रख दी है. पांच साल पहले का भारत देखें और आज का भारत देखें. आज छोटे-छोटे शहरों की भी सड़कें साफ-सुथरी हो गई हैं. दूर-दूर तक राजमार्गों पर गंदगी का नामोनिशान नहीं मिलता. स्कूल-कॉलेजों में साफ-सुथरे शौचालय हैं. हर पेट्रोल पंप और महत्वपूर्ण चौक पर सार्वजनिक शौचालय बने हैं. परिणामस्वरूप अब लोग कहीं भी बैठकर खुले में मल मूत्र त्याग नहीं करते. यदि किसी को मजबूरी में करना भी पड़ जाए तो वह शर्म से गिर जाता है.
सबसे अच्छी बात यह है कि आज लोग खा-पीकर जूठन कहीं भी फेंकने की बजाय कूड़ादान खोजते हैं. कूड़ादान न मिले तो उसे अपने वाहन में संभाल कर रखते हैं ताकि उचित जगह पर उसे फेंका जाए. सोच में आया यह परिवर्तन बहुत बड़ी बात है. आजकल के बच्चे भी सजग-सावधान हो गए हैं. वे गलती करने पर अपने मां-बाप को भी टोकते हैं और उन्हें ‘गंदी बात’ कहकर शर्मिंदा करते हैं. मुझे विश्वास है कि भारत की भावी पीढ़ी स्वच्छता-प्रेमी होगी. आने वाले वर्षों में भारत की गिनती स्वच्छ और स्वस्थ देशों में होगी.
धन्यवाद !
भवदीय
साहिल अरोड़ा
5/74, अर्जुन नगर
ग्वालियर
दिनांक : 15.7.2020

आप 87, नानक नगर, लुधियाना के राघव रमन हैं. आप लाडस्पीकरों के मनमाने उद्योग की शिकायत करते हुए ‘दैनिक ट्रिब्यून’ चंडीगढ़ के संपादक को पत्र लिखिए.
सेवा में
संपादक महोदय
दैनिक ट्रिब्यून
चंडीगढ़
महोदय
मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से अपनी आवाज जनता तक पहुंचाना चाहता हूं. कृपया मेरे निम्न विचार पाठकों के लिए निर्धारित स्तंभ ‘आपने लिखा’ में प्रकाशित करें.
‘आजकल नागरिक जीवन में लाउडस्पीकर का मनमाना उपयोग एक आम बात हो गई है. यद्यपि लाउडस्पीकर के संबंध में कुछ नियम है. उन पर रोक और छूट के नियमपूर्वक व्यवस्था की गई है. लेकिन जनता इन नियमों के बारे में कुछ नहीं जानती. परिणामस्वरूप लोग अपनी सुविधानुसार जब चाहे लाउडस्पीकर लगाकर रात भर गाते बजाते हैं. भगवान का भजन करते हैं, सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन करते हैं, मां भगवती का गुणगान करते हैं, मंदिरों में कथा-कीर्तन करते हैं, मस्जिद में नमाज अदा करते हैं, गुरुद्वारों में पूजा-पाठ करते हैं, विवाह-शादियों पर आनंद – उत्सव मनाते हैं. अपने कार्यक्रम के नशे में दूसरों के दुख-सुख की कोई परवाह नहीं करता. रामलीला के दिनों में रामलीला-स्थल के नजदीक रहने वाले छात्रों की क्या दुर्दशा होती है. यह तो वे ही बता सकते हैं जिन घरों के चारों ओर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे होते हैं. वहां के निवासियों को क्रम से सबकी रामकहानी सुननी पड़ती है. सच बात तो यह है कि वहां के निवासी बहरे हो जाते हैं. वे तनावग्रस्त जीवन जीते हैं.
प्रशासन का कर्तव्य है कि वह हर सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक और व्यक्तिगत उत्सव पर होने वाली आवाज को काबू में रखें. जरूरत पड़े तो नियम का उल्लंघन करने वालों पर दंड लगाया जाए.
शोर के दबाव को कम करने में सबसे बड़ी भूमिका स्वयं जनता की है. जनता को चाहिए कि वह वेकाबू आवाज़ के विरुद्ध आवाज उठाएं. यह काम धैर्य, कुशलता और कोमलता का है. अतः जनता ही सविनय आग्रह से शोर के दबाव को कम कर सकती है. भाई-चारे की नीति से लाउडस्पीकरों के शोर पर काबू किया जा सकता है.’
भवदीय
राघव रमन
87, नानक नगर
लुधियाना
दिनांक : 12.3.2021

अपने क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की बिगड़ती हुई स्थिति पर किसी दैनिक पत्र के संपादक को पत्र लिखिए.
सेवा में
मुख्य संपादक
दैनिक भास्कर
भोपाल
महोदय
बड़े खेद के साथ मुझे यह शिकायती पत्र लिखना पड़ रहा है. आशा है, इसकी उपयोगिता को समझते हुए आप इसे अपने पत्र में स्थान देंगे.
आजकल गुड़गांव अपराध, चोरी, बलात्कार, उठाई-गिरी जैसी समस्याओं का केंद्र बनता जा रहा है. जैसे-जैसे नगर की प्रगति हो रही है. लूटपाट, डकैती, चोरी और अपराधों में भी वृद्धि हो रही है. किसी भी मोहल्ले में कार खड़ी करना सुरक्षित नहीं है. गत मास न्यू कॉलोनी से तीन कारें दिन-दहाड़े चोरी हुई जिनका अब तक पता नहीं चल सका है. पिछले हफ्ते चार महिलाओं की सोने की चेन और बालियां भरे बाजारों से उड़ा ली गई. अभी तक अपराधी पकड़े नहीं जा सके. कल रात को एक बरात में रिवाल्वर की नोक पर महिलाओं के आभूषण उतार लिए गए. लगता है, यहां पुलिस का नहीं, किसी तीसरे संसार का साम्राज्य है. यह स्थिति देखकर फिल्मी खलनायकों के आतंक याद आने लगते हैं. नगर – प्रशासन से निवेदन है कि ‘कुछ करें’ ताकि हम नगरवासी चैन से घर के बाहर निकल सकें.
भवदीय
अ.ब.स.
पता
दिनांक : 25 मार्च, 2021

हिंदू के मुख्य संपादक को बढ़ती महंगाई के प्रति चिंता जताते हुए पत्र लिखिए.
सेवा में
प्रधान संपादक
हिंदू
चेन्नई
महोदय
मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र में बढ़ती हुई महंगाई पर अपने विचार व्यक्त करना चाहता हूं. आशा है, आप इसका महत्व समझते हुए पाठकों के स्तंभ में अवश्य स्थान देंगे.
आज भारत वर्ष में दो खतरे ऐसे हैं, जो हमें पग-पग पर दिखाई पड़ते हैं – जनसंख्या वृद्धि और दामों में वृद्धि. जनसंख्या-विस्फोट का झटका तब लगता है, जब हम भीड़ में जाते हैं. महंगाई का झटका घर बैठे भी लग जाता है. जब पता चलता है कि आलू-प्याज के भाव 50-60 रु. किलो हो गए हैं. आम 200 रु., अंगूर 400 रूपए, केला 100 रु. दर्जन, गेहूं 40 रु. किलो, पेट्रोल 80 रु. लीटर ट्यूशन-फीस सैकड़ों रुपए और कंप्यूटर की हजारों रुपए हो गई है तो सांस उखड़ जाती है. भगवान न करे, कभी डॉक्टर के पास जाना पड़े. छोटे – मोटे इलाज पर ही हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं. सच कहें तो आज जीना दूभर हो गया है. महँगाई का खर्च अमीर लोग तो पूरा कर लेते हैं, लेकिन मजदूरों की बुरी बन जाती है.
मेरी सरकार से प्रार्थना है कि इस मुंहजोर महंगाई को लगाम दे, वरना इसके कारण अनेक गरीब बेमौत मारे जाएंगे.
भवदीय
सलिल
502/टी. नगर
चेन्नई
दिनांक : मार्च 12, 2021

हिंदी के ‘हिंदुस्तान’ समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें देश में लड़कियों की घटती जनसंख्या पर चिंता प्रकट की गई हो.
सेवा में
संपादक महोदय
हिंदुस्तान
बैंगलोर
महोदय
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र का नियमित पाठक हूं. मैं लड़कियों की नित घटती जन संख्या से चिंतित हूं. मैं अपने विचार सरकारी अधिकारियों तथा जनता तक पहुंचाना चाहता हूं. कृपया इन्हें छापकर अनुग्रहित करें.
पिछले दस वर्षों से उत्तर भारत में लड़कियों की जन्म-दर लगातार घटती जा रही है. चंडीगढ़ जैसे महानगर में लड़कियों का अनुपात किसी भी महानगर से कम है. हरियाणा में लड़कियों का अनुपात देश भर में न्यूनतम है. लड़कियों की घटती जनसंख्या चिंता का विषय है. यदि यह गति चलती रहे तो कितने ही युवकों को बेरोजगार के साथ कुँवारा भी रहना पड़ेगा. फलस्वरुप समाज में छेड़खानी, अपहरण और बलात्कार की घटनाएं बढ़ेंगी. समाज का अनुशासन और संतुलन दोनों बिगड़ेंगे. लड़कियों की घटती जन्म-दर के पीछे पुरुष प्रधान समाज की पिछड़ी विचारधारा है. अधिकतर लोग अपने दो बच्चों में दोनों ही लड़के चाहते हैं या एक लड़का और एक लड़की चाहते हैं. लड़का-लड़की की समानता की बात केवल कागजों पर है. इसलिए अधिकांश मां-बाप गर्भावस्था में ही भ्रूण की जांच करवा लेते हैं. यदि लड़की हुई तो उसे अस्वीकार कर देते हैं. यह भ्रूण -हत्या मानव-हत्या के समान ही है. यह समस्त नारी जाति का अपमान है. समाज को चाहिए कि ऐसे लोगों का बहिष्कार करें. सरकार को भी गर्भपात और भ्रूण-परीक्षण के संबंध में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
भवदीय
हरभगवान
य-38, एम.जी. रोड
बैंगलोर
दिनांक : मार्च 12, 2021

वन विभाग द्वारा लगाए गए वृक्ष सूखते जा रहे हैं. इस समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए किसी प्रसिद्ध दैनिक पत्र के संपादक को आनंद कुंज निवासी अनिमेष की ओर से पत्र लिखिए.
अथवा
वन-महोत्सव पर लगाए गए वृक्ष सूखने लगे हैं. इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए.

सेवा में
संपादक
दैनिक जागरण
रांची
महोदय
कृपया मेरे निम्नलिखित विचार अपने समाचार पत्र में छाप कर अनुग्रहित करें –
‘आगे दौड़ पीछे चौड़’ के कहावत भारत के वन विभाग पर पूरी तरह लागू हो रही है. वन-विभाग हर वर्ष लाखों की संख्या में नये पौधे लगाता है. इसके लिए एन.एस.एस. के छात्रों का भी सहयोग दिया जाता है. परंतु दुर्भाग्य से उनके रखरखाव की ओर कोई ध्यान नहीं देता. जो पौधे पिछले साल लगाए गए थे, वे सुरक्षा और पानी के अभाव में नष्ट हो गए हैं. इसमें वन-विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही है. मेरा विचार है कि दोषी कर्मचारियों को दंडित किया जाना चाहिए. आगे उन्हें सँभालने-सहेजने की व्यवस्था होनी चाहिए.
भवदीय
अनिमेष
म.न. 472
दिनांक : मार्च 12, 2021

डाक्टरों की बढ़ती फीस और महंगी दवाइयों पर चिंता प्रकट करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के प्रधान संपादक को पत्र लिखिए.
सेवा में
दैनिक भास्कर
भोपाल
विषय : मँहगा इलाज
महोदय
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से अपने निम्नलिखित विचार पाठकों तक पहुंचाना चाहता हूं. आशा है, आप इसे अपने पत्र में स्थान देंगे -भगवान न करे, कोई बीमारी हो जाए. लोगों को बीमारी से उतना डर नहीं लगता जितना कि उसके महंगे इलाज पर. किसी को जुकाम भी हो जाए तो हजारों रुपए ले लेता है, फिर भी पीछा नहीं छोड़ता. आजकल चिकित्सा जगत में इतनी अंधेरगर्दी है कि डॉक्टर, दवाई-विक्रेता और टेस्टिंग सेंटर मिलकर बीमार व्यक्ति पर टूट पड़ते हैं. पहले डॉक्टर को दिखाने के पैसे दो. फिर टेस्ट कराओ. उस टेस्ट में डाक्टरों का भी अच्छा-खासा हिस्सा होता है. फिर दवाइयां खरीदो जो एक दो नहीं चार से पांच प्रकार की होती हैं. इनमें से काम की तो एकाध होती है बाकी दुल्हन के साथ आए भाई जैसी फालतू होती है. समझ नहीं आता कि ये डॉक्टर भगवान के दूत होते हैं या यमराज के ? जब लोग मुसीबत के समय उन्हें भगवान का अवतार मानकर पूजा करते हैं तो इनका सम्मान से पेट क्यों नहीं भरता ? वे धन की बोरियां भरने की चूहा-दौड़ में क्यों लग गए हैं ?
किसी अज्ञानी को समझाया जा सकता है किंतु किसी ज्ञानी को समझाना बहुत कठिन है. चिकित्सा-क्षेत्र में महानुभावों के बारे में तो ईश्वर से प्रार्थना की जा सकती है कि वह उन्हें सद्बुद्धि दें, कुछ अपना करुणामय रूप उन्हें प्रदान करे.
धन्यवाद !
भवदीय
स्नेह बत्रा
452, डा. हेडगेवार मार्ग
नई दिल्ली
15 अगस्त 2020

प्लास्टिक की चीजों से हो रही हानि के बारे में किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर अपने सुझाव दीजिए.
सेवा में
संपादक
दैनिक जागरण
कानपुर
विषय : प्लास्टिक के उपयोग के बारे में
महोदय
मैं आपके प्रतिष्ठित पत्र के माध्यम से अपने विचार जनता और अधिकारियों तक पहुंचाना चाहता हूं. कृपया इसे पाठकों पत्र कालम में स्थान दें.
आजकल प्लास्टिक का उपयोग बहुत अधिक मात्रा में हो रहा है. इसके कारण होने वाली हानियां भी अनंत हैं. सबसे बड़ी हानि यह है कि जिस प्लास्टिक को हम भोजन पैक करने में प्रयोग करते हैं. वह हमारे लिए विष का काम करता है. आम आदमी इस बात को नहीं जानता कि रंगीन प्लास्टिक ऐसे विषैले रसायनों से तैयार होते हैं जो भोजन में अपना विषैला रसायन छोड़ देते हैं और भोजन विषाक्त हो जाता है. कई रसायन तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को जन्म देते हैं.
प्लास्टिक की दूसरी बड़ी हानि यह है कि यह घुलनशील नहीं है. इसलिए यह जहां हमारी सीवर प्रणाली को रोकता है और नाली-नाले जाम करता है, वही धरती से पड़ा-पड़ा जल के स्रोतों में बाधा डालता है. इससे हर प्रकार का प्रदूषण पैदा होता है.
तीसरी हानि रोंगटे खड़े करने वाली है. कई गायें और अन्य पशु भोजन के साथ प्लास्टिक खाकर मृत्यु के कगार पर पहुंच जाते हैं. प्लास्टिक उनके शरीर में पहुंचकर उनके रक्त-संचार और पाचन तंत्र को रोक देता है.
मेरा सुझाव है कि इन हानियों से बचने के लिए प्लास्टिक के विकल्प खोजने चाहिए. जूट और कागज के थैलों को लोकप्रिय बनाना चाहिए. विषैले रसायनों से युक्त प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए. बहुत पतले और सस्ते प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना चाहिए जिससे लोग अन्य साधनों का उपयोग करने के लिए तैयार हों. सबसे बड़ी बात है जनता के मन को प्रेरित और तैयार करना. यदि हमारी सरकार और प्रेरणादायी शक्तियां लोगों को प्रेरित करने के लिए तैयार हो जाएं तो प्लास्टिक की हानियों से बचा जा सकता है.
धन्यवाद !
भवदीय
वरुण सान्याल
35, टैगोर मार्ग, कोलकाता
13 मार्च, 2021

अपने क्षेत्र में पार्क विकसित करने एवं रख-रखाव हेतु नगर निगम अधिकारी को पत्र लिखिए.
प्रेषक :
अनुपम चौहान
गली नं. 1
सरदार एनक्लेव
जोधपुर
दिनांक : 13.3.2021
सेवा में
नगर निगम अधिकारी
जोधपुर
विषय : मोहन कॉलोनी का पार्क विकसित करने के बारे में
महोदय
निवेदन है कि हम मोहन कॉलोनी के निवासी हैं. हमारी कॉलोनी में नगर निगम के पार्क के लिए खाली भूमि पड़ी है. इस समय वह भूमि गंदगी का कारण बनी हुई है. कॉलोनी के लोग उसे कूड़ाघर समझकर इस्तेमाल करते हैं. हम चाहते हैं कि हम स्वयं इस पार्क को विकसित और व्यवस्थित करें. इसके लिए आपकी अनुमति और विभागीय सहयोग चाहिए. हमारा निवेदन है कि आप किसी दिन हम कॉलोनीवासियों के साथ बैठक करें और पार्क को विकसित करने की योजना बनवाएं. यह पार्क सदा हरा – भरा रहे, इसके लिए कर्मचारी रखने की व्यवस्था करें.
आशा है, आप अपना भरपूर सहयोग देंगे. हम कॉलोनीवासी हर तरह का सहयोग करने को तैयार हैं.
भवदीय
अनुपम चौहान
प्रतिनिधि, मोहन कॉलोनी
जोधपुर