A Letter to God

By G.L. Fuentes

A Letter to God Line By Line Explanation

[PAGE 3] वह घर – जो सारी घाटी में अकेला ही था –एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर स्थित था  I इस ऊँचाई से व्यक्ति नदी और पके हुए अनाज के खेत देख सकता था, जो हमेशा अच्छी फसल की आशा बाँधते थे I  धरती को यदि जरुरत थी  तो केवल बौछार या कम-से-कम धीमी वर्षा की । सारी प्रातः लैंचो अपने खेतों को अच्छी तरह से जानता था – ने उत्तर –पूर्व आकाश कि ओर देखने के सिवाय और कुछ नहीं किया था I
“प्रिय , अब वास्तव में हमें कुछ पानी मिलेगा ।”
महिला , जो भोजन बना रही थी, ने उत्तर दिया, “हाँ, यदि भगवान ने चाहा ।”का बड़े लड़के  खेत में काम कर थे, जबकी छोटे लड़के घर के पास खेल रहे थे । तब महिला ने उन सबको आवाज दी, “भोजन के लिए आओ …………….” खाने के दौरान, जैसा कि लैंचो ने भविष्यवाणी की थी , बरसात की बड़ी –बड़ी बूंदें गिरने लगी ।

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उत्तर-पूर्व में बड़े-बड़े पहाड़ जैसे बादल आते हुए दिखाई दिए । हवा में ताजगी और भीनी सुगंध थी । वह व्यक्ति(लैंचो) बाहर चला गया। इसका कारण वर्षा के आनंद को अपने शरीर पर अनुभव करने  के सिवाय कुछ नहीं था, और जब वह लौटकर आया तो उसने  चिल्लाकर कहा. “यह आकाश से गिरती हुई बूँदे नहीं हैं । ये तो नए सिक्के है ।बड़ी बूँदे दस सेंट के सिक्के हैं और छोटी पाँच सेंट के ।”
एक संतुष्ट भाव से उसने अपने पके अनाज से भी खेतों को वर्षा की चादर से ढका हुआ देखा । परंतु अचानक तेज हवा चलने लगी और बरसात के साथ बहुत बड़े-बड़े ओले गिरने लगे । यह सचमुच नए चाँदी के सिक्कों के समान प्रतीत होते थे । लड़के उन जमे हुए मोतियों को को इकट्ठा करने के लिए वर्षा में भागने लगे ।
“अब वास्तव में बुरा हो रहा है, “- लैंचो ने कहा ।”मुझे आशा है  कि ओले  गिरने शीघ्र ही बंद  हो जाएँगे ।” ओले जल्दी नहीं रुके ।एक घंटे तक ओले मकान, बाग, पहाड़ी, अनाज के खेत और पूरी घाटी पर बरसते रहे । पूरा खेल सफेद हो गया, मानो नमक से ढक गया हो ।
वृक्षों पर एक भी पत्ता नहीं रहा था । अनाज पूरी तरह नष्ट हो गया । पौधों से फूल झड़ गए । लैंचो की आत्मा उदासी से भर गई । जब तूफ़ान रुक गया तो वह अपने खेतों के बीच में खड़ा हुआ और अपने बेटों से कहा :
 एक टिड्डी के प्रहार के बाद भी इससे अधिक बच गया होता ……. ..ओलों ने कुछ भी नहीं छोड़ा , इस साल हमें अनाज नहीं मिलेगा ।”

[PAGE 5] :

वह रात बहुत दुःख भरी थी ।
“हमारी सारी मेहनत बेकार गई।”
” कोई नहीं जो हमारी सहायता करे ।”
“इस वर्ष हमें भूखा रहना पड़ेगा ।”

परंतु उन सबके दिलों में , जो घाटी के मध्य अकेले मकान में रहते थे , केवल एक ही आशा थी : भगवान से सहायता।
” इतना परेशान मत हो ,यधपि ऐसा प्रतीत होता है कि यह सर्वनाश है । याद रखो , भूख से कोई नहीं मरता “
“कहते तो ऐसा ही हैं ,भूख से कोई नहीं मरता ।”
सारी रात लैंचो अपनी एक मात्र आशा के बारे में सोचता रहा । भगवान से सहायता , जिसकी ऑंखें जैसा उसे शिक्षा दी  गई  थी , सब कुछ देखती है , यहाँ तक कि व्यक्ति के गहरे अंत:करण को भी ।
 लैंचो मनुष्य होते हुए भी एक बैल था (अर्थात मेहनती था),जो खेतों में एक पशु की तरह काम करता था , लेकिन रविवार को सवेरे वह एक पत्र लिखने लगा ,जिसे वह स्वयं शहर जाकर डाक में डालेगा । यह भगवान के नाम एक पत्र से कम नहीं था ।
“भगवान् , “उसने लिखा , “यदि आपने मेरी सहायता न की, तो मुझे और मेरे परिवार को इस वर्ष भूखा रहना पड़ेगा । मुझे अपने खेत में दोबारा बीज बोने के लिए तथा अगली फसल आने तक गुजारा करने के लिए भी सौ पीसोस चाहिएँ । क्योंकि ओलों के तूफ़ान …. ।”
लिफाफे पर उसने लिखा , ” भगवान के नाम” । पत्र को लिफाफे में डाला और दुःखी-सा शहर चला । डाकघर में उसने लिफाफे पर टिकट लगाया और उसे लेटर बॉक्स में डाल दिया ।
एक कर्मचारी जो डाकिया था और डाकघर के कार्यं में भी सहायता करता था, अपने अफसर के पास हँसता हुआ गया और उसे भगवन के नाम लिखा पत्र दिखाया । अपने पोस्टमैन के रूप में सारे सेवाकाल में उसने कभी ऐसा पता नहीं देखा था । डाकपाल एक मोटा हँसमुख   व्यक्ति था , वह भी जोर से हँसने लगा ।

[PAGE 6]:  परंतु शीघ्र ही वह गंभीर हो गया, और पत्र को अपने मेज पर थपथपाते हुए बोला :
“क्या विश्वास है काश ! मेरे में भी उस आदमी जैसा विश्वास होता, जिसने यह पत्र लिखा है जो भगवान से पत्रव्यवहार कर रहा है ।”
अत : लेखक का भगवान में विश्वास न डिगाने के लिए, डाकपाल के मन में विचार आया । पत्र का उत्तर दो । परंतु जब उसने इसे खोला तो यह स्पष्ट या कि इसका उत्तर देने के लिए सद्भावना, कागज और स्याही के अतिरिक्त कुछ और भी चाहिए, मगर वह अपने इरादे पर अडिग रहा । उसने अपने कर्मचारियों से धन माँगा, उसने स्वयं अपने वेतन का एक भाग दिया, और अपने अनेक मित्रों को भी पुण्य के नाम पर कुछ देने के लिए मजबूर किया ।
उसके लिए सौ पीसोस इकठ्ठे करना असंभब था , अत: वह उस किसान का आधी राशि से कुछ अधिक भेज सका । उसने पैसे एक लिफाफे में डाले, एक पत्र पर हस्ताक्षर के रूप में एक शब्द “भगवान” लिखकर लिफाफे का बंद किया और उस पर लैंचो का पता लिखा ।
. अगले रविवार को यह पूछने के लिए कि क्या उसका कोई पत्र आया है, लैंचो समय से कुछ पहले ही आ गया । डाकिए ने स्वयं उसे वह पत्र दिया, जबकि डाकपाल, ऐसे व्यक्ति की सतृष्टि को महसूस करने हुए जिसने कोई भला कार्य किया है दफ्तर के दरवाजे से झाँक रहा था  ।
पत्र में धन देखकर लैंचो को बिल्कुल आश्चर्य न हुआ, उसका विश्वास इतना अडिग था – परंतु जब उसने पैसे गिने तो वह नाराज हुआ …… भगवान गलती नहीं कर सकते थे, और न ही जो लैंचो ने मांगा था उसे देने से इंकार कर  सकते थे ।
फौरन लैंचो खिड़की पर कागज और स्याही माँगने गया । जन-साधारण के लिए लिखने   की मेज़ पर बैठकर ,वह पत्र लिखने लगा । अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए उसे जो प्रयत्न करना पड़ रहा था उसके कारण उसके माथे पर बल पड़ गए । जब उसने पत्र समाप्त किया, वह खिड़की पर टिकट खरीदने गया, जिसे उसने थूक लगाई और ,मुक्का मारकर लिफाफे पर चिपका दिया ।

[PAGE 7] : ज्यों ही उसने पब लेटर बाँक्स में डाला, पोस्टमास्टर इसे खोलने के लिए गया । इसमें लिखा था : भगवान ! मैंने जितनी राशि के लिए कहा था , उसमें से केवल सत्तर पीसोस ही मेरे  पास पहुँचे हैं । मुझे बाकी की राशि भी भेजो क्योंकि मुझे इसकी बहुत अधिक जरुरत है । परंतु यह मुझे डाक द्वारा मत भेजना क्योंकि डाकघर के कर्मचारी तो ठगी का टोला है । लैंचो ।”