THE SOUND OF MUSIC
BY: Deborah Cowley I
PART-I
SUMMARY IN HINDI
यह अध्याय इवलिन ग्लेनि नाम की एक स्कॉटिश लड़की के जीवन के बारे में वर्णन करता है । जव वह आठ वर्ष की थी तो पहली बार इस बात का आभास हुआ कि उसने किसी स्तर तक अपनी सुनने की शक्ति को खो दिया था । वह स्कूल में अपने मित्रों और अध्यापकों से इस बात को छिपाए रखने में सफल रही । लेकिन जब यह ग्यारह बर्ष की हुई तो उसके बहरेपन का केस पक्का हो गया । अब उसकी सुनाई देने की क्षमता पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी थी । यह सब कुछ एक धीमी प्रक्रिया के अंतर्गत नाडी के नष्ट हो जाने के कारण हुआ था । उसके लिए तो सब कुछ अंधेरा हो चुका था ।
लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी । वह एक सामान्य जीवन जीने के लिए दृढ निश्चयी थी । उसने संगीत सीखा । एक प्रसिद्ध तबलावादक रोन फोर्बज़ ने संगीत सीखने में उसकी वहुत अधिक मदद की । उसने उसे प्रोत्साहित क्रिया । उसने उसे बताया कि यह कानों के माध्यम से संगीत न सुनकर किसी अन्य माध्यम से संगीन सुनने का प्रयास करे । उसने कठोर परिश्रम किया । और अपने शरीर के अन्य अंगों के माध्यम से संगीत सुनने में सफल रही । उसने आवाजों और स्पदनों के प्रति अपने शरीर और मन को खोलना शुरु कर दिया ।
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इस स्थान से उसने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा । उसने एक युवा आर्केस्टा के साथ यूनाइटिड किंगडम (इंग्लैंड) का भ्रमण किया । 16 वर्ष की आयु में, उसने संगीत को अपना जीवन बनाने का निर्णय ले लिया । उसने संगीत की रॉयल अकैडमी के लिए परीक्षा दी । उसने अकैडमी के आ ज तक के इतिहास में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए । उसने संगीत के लगभग 100 वाद्य यंत्रों में विशिष्टता हासिल कर ली ।
वह छोटी-से-छोटी बात को भी सुन और समझ सकती थी । यह बात बिल्कुल असंभव -सी दिखाई जान पड़ती है कि उस जैसी बहरी इतने धारा प्रवाह रूप से चीजों के उत्तर देती है । वह बिना किसी गलती के स्कॉटिश लहजे के साथ बोलती थी । वह कहती है कि उसके शरीर के प्रत्येक अंग के माध्यम से उसके अंदर संगीत का प्रवाह होता है । संगीत उसकी त्वचा, गालों की हड्डियों तथा यहाँ तक कि बालों में से भी झुनझुनाता रहता है ।
जव यह जायलोफोन बजाती है तो उसकी उगंलियों के सिरों के माध्यम से उसके शरीर के अंदर संगीत का प्रवाह होता है । ढोलक के ऊपर झुककर उसकी गूंज को यह अपने ह्रदय से सुनती है । लकड़ी से बने मंच पर यह संगे पांव संगीत बजाती है ताकि संगीत उसके पांवों तथा उसकी टांगों के माध्यम से उसके हदय तक पहुंच सके । 1991 में उसे रॉयल फिलहारमीनिक सोसायटी के ख्याति प्राप्त ‘सोलोइस्ट आँफ दी ईयर अवार्ड ‘ से सम्मानित किया गया ।
वह अपने आपको एक बहुत ही मेहनती मानती है । नियमित संगीत संगोष्ठियों में गाने के साथ-साथ वह जेलों तथा अस्पतालों में नि:शुल्क रूप से भी गाती है । वह युवा संगीतकारों को प्रशिक्षण देने के लिए भी कक्षाएं लगाने को प्राथमिकता देती है । वह बधिक बच्चों के लिए एक चमकदार प्रेरणापुंज है।
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