NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

By | June 3, 2022
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Ram Lakshman Parshuram Samvad Class 10 NCERT Solutions को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद

प्रश्न – अभ्यास

1.परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष टूट जाने के लिए कौनकौन से तर्क दिए?

उत्तर परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण जी ने धनुष टूट जाने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए-

1- यह धनुष बहुत पुराना था

2 -राम ने तो इसे नया समझ कर देखा था

3 – पुराना धनुष राम के हाथ लगाते ही टूट गया

4 – पुराना धनुष टूटने से हमें क्या लाभ हानि होना था

2. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्षमण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनो के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शबदो मे लिखिए।

उत्तर राम बहुत शांत और धैर्यवान है । परशुराम के क्रोध करने पर विनम्रता के साथ कहते हैं कि धनुष तोड़ने वाला कोई आपका दास ही होगा । वह मृदुभाषी होने का परिचय देते हुए अपनी मधुर वाणी से परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास करते हैं ।राम मे बल की कोई कमी न थी परंतु फिर भी वह परशुराम के समक्ष विनम्रता का भाव नही छोड़ते है क्योकि वह हमेशा ही अपने से बड़ो के आगे झुकना जानते है। राम किसी अन्य के क्रोध को शांत करना बहुत अच्छी तरह से जानते है तथा वो लक्ष्मण को भी इशारो से शांत रहने को कहते है। राम अत्यंत ही शांत, मृदुभाषी, विन्रम, धैर्यवान तथा बुद्धिमान व्यक्ति के रूप मे प्रतीत हुए।

राम के विपरीत लक्ष्मण अत्यंत ही उग्र स्वभाव के प्रतीत हुए। वह परशुराम को छोटी सी बात को बड़ी न बनाने को कहते है। लक्ष्मण बिना किसी डर के परशुराम के समक्ष अपनी बातें रखते है तथा परशुराम के क्रोध मे घी डालने का काम करते है।

लक्ष्मण उग्र, साहसी, निडर, क्रोधी तथा अन्याय विरोधी व्यक्ति के रूप मे दिखे।

3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दो मे संवाद शैली में लिखिए।

उत्तर लक्ष्मण- हे मुनि! बचपन मे तो हमने ऐसे कई धनुष तोड़े परंतु तब तो हमे किसी ने कुछ नहीं कहा।

परशुराम- अरे राजपुत्र! तू काल के वश मे आकर ऐसा बोल रहा है। यह कोई साधारण धनुष नहीं बल्कि शिव धनुष है।

4. परशुराम ने अपने विषय मे सभा मे क्याक्या कहा, निम्न पद्याश के आधार पर लिखिए।

बाल ब्रह्मचारी अती कोही। विस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।

भुजबल भूमि भप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।

सहसबाहुभुज छेदनिहारा। पसु बिलोकु मदीपकुमारा।।

मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीस किसोर।

गर्भन्ह के अर्भक दलन पस्तु मारे अति घोर।।

उत्तर परशुराम अपने बारे में सभा मे कहते है कि वह ब्रहचारी व अत्यंत क्रोधी स्वभाव के है। सकल विश्व उन्हे क्षत्रिय कुल के विद्रोही के रूप मे जानता है।

वह बड़े गर्व से आगे कहते है कि अनेको बार उन्होने धरती को क्षत्रिय विहीन बनाकर ब्राहम्णो को दान मे दिया है और उनके हाथ मे जो फरसा है इससे उन्होने सहस्रबाहु की बाहो को काट डाला था , इसलिए हे नरेश पुत्र! मेरे इस फरसे को भली प्रकार देख ले।

राजकुमार! तू क्यो अपने माता-पिता को सोचने पर विवश कर रहा है। मेरा यह फरसा इतना भयानक है कि यह गर्भ मे पल रहे बच्चे को भी नष्ट कर सकता है।

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5- लक्ष्मण ने वीर योध्दा की क्याक्या विशेषताँए बताई है?

उत्तरलक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई है

  • वीर पुरूष कभी भी किसी के लिए अपशब्दो का प्रयोग नहीं करते, वो सदैव ही हर जन का सम्मान करना जानते है।
  • वीर पुरूष स्वयं कभी खुद की तारीफ़ नहीं करते , वो वीरता भरे काम करते है जिससे उनकी विरता का ज्ञान स्वयं हो जाता है।
  • वीर पुरूष कभी भी अपने बल का प्रयोग ब्राहमण, गाय, दीन-हीन व्यक्तियो पर नहीं करते। वे सदैव ही इनकी मदद के लिए आगे रहते है।
  • वीर पुरुष हमेशा ही अन्याय के आगे निडर भाव से लड़ते है।
  • वीर पुरूष कभी भी अपने द्वारा लिए गए फैसले से पीछे नहीं हटते।
  • वीर पुरुष कभी भी अभिमान नहीं करते।
  • वीर योद्धा क्षमाशील, शांत, विन्रम, धैर्यवान व बुध्दिमान होते है।

6. साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर साहस और शाक्ति मनुष्य को रण मे विजयी रथ की सवारी करवाने में सक्षम है परंतु जब साहस और शक्ति के साथ विन्रमता जुड़ती है तो मनुष्य जीवन की हर परीक्षा में विजयी २हता है।

साहस एवं शक्ति जहाँ शारीरिक बल बढ़ाकर मनुष्य को उर्जा देती है तो वही विन्रमता कठोर से कठोर व्यक्ति का दिल जितने की शक्ति देती है।

यदि साहस व विन्रमता एक साथ आ जाए तो ऐसा कोई मुकाम नही जो मनुष्य नहीं हासिल कर सकता।

7. भाव स्पष्ट कीजिए।

() बिहसि लखनु बोले मृदु वानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।। पुनी पुनी मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।

() इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।। देखि कुठारू सरासन बाना। मैं कुछु कहा सहित अभिमाना।।

() गाधिसूनु कह ह्दय हसि मुनिहि हरियरे सूझ। अयमय खाँड ना ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ।।

उत्तरप्रसंग प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई है। इन पंक्तियो मे लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम को दिया उत्तर है।

() भाव लक्ष्मण जी मुस्कुराते हुए परशुराम पर व्यंग्य कसते हुए कहते है कि हे मुनि! आप मुझे बार बार यह फरसा दिखाकर डराना चाहते हो। ऐसा लगता है मानो आप फूँक मारकर पहाड़ उड़ाना चाहते हो।

() लक्ष्मण जी परशुराम को अपनी विरता का परिचय देते हुए कहते है कि यहाँ कोई कुम्हड़े की बतिया यानि अत्यंत छोटा फल नहीं है जो केवल तर्जनी देखकर भयभीत हो उठे। हम ने भी खूब कुठार एवं धनुष-बाण देखे है और कुठार को देखकर ही अभिमान सहित मैने अपनी बात कही।

(ग) इन पंक्तियों मे विश्वामित्र मन ही मन मुस्कुराते हुए कहते है कि परशुराम को सब हरा ही हरा नजर आ रहा है अर्थात परशुराम ने अनेको साधारण क्षत्रियो को मारा है जिसके कारण उन्हे राम लक्ष्मण भी साधारण प्रतीत हो रहे है परंतु राम लक्ष्मण किसी गन्ने की तलवार की भांति नहीं है जो ज़रा से बल के कारण टूट जाए अपितु यह तो लोहे से बनी की तलवारें है जिनको आसानी से नष्ट करना सम्भव नही। परशुराम के अभिमान एवं क्रोध ने उनकी बुद्धि को वश मे कर लिया है।

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8. पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौन्दर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।

उत्तरभाषा सौन्दर्यं

  1. भाषा में लयबध्दता।
  2. व्यंग्यो का सटीक प्रयोग।
  3. वीर एवं रौद्र २स का अधिक प्रयोग।
  4. तत्सम शब्दो का मुख्य प्रयोग।
  5. प्रचलित मुहावरो ने काव्य को सजाया।
  6. अवधि भाषा का शद्ध रूप मे प्रयोग।
  7. शांत रस का भी कहीं-कहीं पर प्रयोग।
  8. दोहा, छंद, चौपाई का अच्छा प्रयोग।
  9. अनुप्रास, उपमा, रुपक अलंकार का प्रयोग।
  10. प्रसंगानुकूल भाषा का प्रयोग।

9. इस पूरे प्रसंग मे व्यंग्य का अनूठा सौन्दर्यं है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर मूल रूप से यह पाठ व्यंग्य काव्य है-

1)अपने मुँह तुम आपनि करनी।

बार अनेक भाँति बहु बरनी।।

परशुराम द्वारा की जा रही खूद की तारीफ को लक्ष्मण मुँह मिया मिठू बनना कहते है।

2)बहु धनुही तोरी लरिकाई।

कबहुँ न असि रिसकिनहि गोसाई।।

लक्ष्मण जी प२शुराम को कहते है कि बचपन मे तो हमने ऐसे कई धनुष तोड़े है परंतु तब तो हमे किसी ने कुछ नहीं कहा।

10. निम्नलिखित पंक्तियो मे अलंकार पहचान कर लिखिए।

()बालकु बोलि बधौं नहि तोही।

() कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।

() तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा।

बार बार मोहि लागि बोलावा।।

() लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु। बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु।।

उत्तर–  () अनुप्रास अलंकार का प्रयोग।

() उपमा व अनुप्रास अलंकार का प्रयोग।

() उत्प्रेक्षा व पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग।

() उपमा व रूपक अलंकार का प्रयोग।

रचना और अभिव्यक्ति

1. सामाजिक जीवन मे क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले कष्टो की चिर – निवृति का उपाय ही न कर सके।” आचार्य शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभीकभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष या विपक्ष मे अपना मत प्रकट कीजिए।

उत्तर इस कथन के पक्ष मे मेरा मत है कि क्रोध कई बार हमे जीवन की सही व कड़वी चीज सीखा देता है, जो हमारे लिए काफी फायदा करती है। वही दूसरी तरफ माँ-बाप का गुस्सा हमे हमारी गलतीयों से वाकिफ करा देता है।

2. अवधी भाषा आज किन क्षेत्रो मे बोली जाती है?

उत्तर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश।