Bhrashtachar Essay in Hindi | भ्रष्टाचार पर निबंध

By | May 11, 2023
Bhrashtachar Essay in Hindi

Bhrashtachar Essay in Hindi – सरकारी कार्यालयों में बिना घूस दिए कोई काम नहीं होता. फर्जी बिल बनाए जाते हैं. बड़े-बड़े अधिकारी कागजों पर सड़कें, पुल आदि बनाते हैं और सारा पैसा खुद खा जाते हैं जो महंगाई बढ़ने का भी एक मुख्य कारण है.

Bhrashtachar Essay in Hindi

भ्रष्टाचार का बढ़ता स्वरूप – भारत के सामाजिक जीवन में आज भ्रष्टाचार का बोलबाला है. यहां का रिवाज है – रिश्वत लो और पकड़े जाने पर रिश्वत देकर छूट जाओ. नियम और कानून की रक्षा करने वाले सरकारी कर्मचारी सबसे बड़े भ्रष्टाचारी हैं. केवल तीन करोड़ में देश के सांसदों को खरीदना और उनका बिकना भ्रष्टाचार का सबसे शर्मनाक दृश्य है.
भ्रष्टाचार का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर बहता है. जब मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री स्वयं भ्रष्टाचार या घोटाले में लिप्त हों तो उस देश का चपरासी तक भ्रष्ट हो जाता है. भारत इस दुर्दशा से गुजर चुका है. इसीलिए सरकारी कार्यालयों में बिना घूस दिए कोई काम नहीं होता. फर्जी बिल बनाए जाते हैं. बड़े-बड़े अधिकारी कागजों पर सड़कें, पुल आदि बनाते हैं और सारा पैसा खुद खा जाते हैं. सरकारी सर्वेक्षण बताते हैं कि किसी भी योजना के लिए दिया गया 85% पैसा तो अधिकारी ही खा जाते हैं.
भ्रष्टाचार : एक नियमित व्यवस्था – अब तो प्रीमियम, डोनेशन, सुविधा-शुल्क या नए-नए नामों से भ्रष्टाचार को व्यवस्था का अंग बना दिया गया है. कहने का अर्थ है कि सरकार तक ने इसे स्वीकार कर लिया है. इसलिए व्यापारियों और व्यवसायियों का भी यही ध्येय बन गया है कि ग्राहक को जितना मर्जी लूटो. कर्मचारी ने भी सोच लिया है – खूब रिश्वत लो और काम से बचो.
भ्रष्टाचार : क्यों और कैसे – भ्रष्टाचार मनुष्य की बदनीयती के कारण बढ़ा और उसमें सुधार करने से ही यह ठीक होगा. समाज के नियमों का पालन करने के लिए परिवार तथा विद्यालय में संस्कार दिए जाने चाहिए. दूसरे, प्रशासन को स्वयं शुद्ध रहकर नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए. हर भ्रष्टाचारी को उचित दंड दिया जाना चाहिए ताकि शेष सबको बाध्य होना पड़े.प्रश्न यह है कि ऐसा कब हो पाएगा ? आज वर्षों बाद भारत में ऐसी सरकार आई है जिसके नेता और मंत्री बेदाग होकर दिन-रात कार्य कर रहे हैं. वे भ्रष्टाचार की हर खोखर को बंद कर रहे हैं. गरीबों के हिस्से का पैसा सीधे उन्हीं के खातों में डालने की व्यवस्था कर रहे हैं. काले धन वालों पर नकेल कस रहे हैं. लेकिन अभी शुरुआत है एक संभावना जगी है. यदि यह सरकार इसी इरादे से 10 – 15 साल काम करती रही तो भ्रष्टाचार-रहित होना एक संस्कार बन सकता है. देखते हैं, आगे क्या होता है.