Diary of Anne Frank in Hindi

 By Anne Frank

( यह पाठ ऐनी फ्रैंक की डायरी का भाग है । यहाँ वह हमें अपने जीवन के प्रारंभिक भाग के बारे में बताती है । वह कहती है कि उसने डायरी लिखना इसलिए आरंभ किया , क्योंकि उसका कोई मित्र नहीं था । ऐनी का जन्म 12 जून, 1929 को हुआ। उसकी एक बहन थी जो उससे तीन साल बड़ी थी वह चार साल की उम्र तक फ्रैंकफर्ट में रही । उसका पिता 1933 में हॉलैंडचला गया ।

ऐनी फ्रैंक को मांन्टैसरी स्कूल भेजा गया । और वह वहाँ छह साल की उम्र तक रही । उसने पहली कक्षा से पढ़ाई आरंभ की ।

जब ऐनी छठी कक्षा में थी तो मुख्याध्यापिका श्रीमती क्यूरस उसकी शिक्षिका थी । दोनों को एक-दूसरे से बहुत प्यार था ।

ऐसा कोई नहीं था जिसे ऐनी अपने दिल की भावनाएँ बता सकती । इसलिए उसने अपनी डायरी को अपना मित्र बनाने का फैसला किया । उसने इसका नाम “किट्टी” रखा । शनिवार 20 जून, 1942 को ऐनी फ्रैंक ने डायरी में पहली प्रविष्टि की । वह एक पत्र के रूप में थी  और उसकी डायरी ‘लिट्टी’ के नाम थी । ऐनी अपने गणित के अध्यापक श्री कीसिंग के साथ हुए अपने अनुभवों का वर्णन करती है ।

ऐनी लिखती है कि एक  दिन श्री कीसिंग ने उसे कक्षा में बाते करने कि लिए सजा दी । उसने उसे अतिरिक्त गृहकार्य दिया ।

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उसने उसे  ‘बातूनी लड़की’ पर प्रस्ताव लिखने को कहा । ऐनी ने इसे लिखा मगर वह फिर कक्षा में बोली । अब श्री कीसिंग ने उसे लिखने ‘एक न सुधरने वाली बातूनी लड़की’ पर प्रस्ताव लिखने को कहा । श्री कीसिंग को ऐनी द्वारा लिखे गए प्रस्ताव पसंद आए ।

मगर ऐनी कक्षा में बातें करने की आदत को नहीं छोड़ सकी ।  इसलिए सज़ा के तौर पर ,श्री कीसिंग ने उसे एक असाधारण विषय पर प्रस्ताव लिखने को कहा, “क्वैक,क्वैक,क्वैक” कुमारी बातूनी ने कहा ।”ऐनी ने यह प्रस्ताव कविता के रूप में लिखा । यह एक बत्तख माता और पिता हंस के बारे में था । पिता ने बत्तख बच्चों को काटकर मार डाला क्योंकि वह बहुत अधिक बोलते थे । वह श्री कीसिंग पर व्यंग्य था । मगर उन्होंने मज़ाक को सही रूप में लिया । उसने कविता को ऐनी की कक्षा तथा अन्य कक्षाओं में भी पढ़कर सुनाया । उसने ऐनी को कक्षा में बोलने की अनुमति दी और उसके बाद कभी भी उसे अतिरिक्त गृह –कार्य नहीं दिया ।