जैसे एक विद्यार्थी का आदर्श होना जरूरी है वैसे ही एक शिशक का भी तो हम आपको Teacher Essay in Hindi में एक आदर्श शिशक की खूबी. एक आदर्श शिशक अपने विषय को कुशलतापूर्वक पढ़ाया करते हैं.
Teacher Essay in Hindi
मेरे आदर्श अध्यापक – बचपन से अब तक मैं अध्यापकों के संपर्क में आया हूं. प्रायः सभी ने मुझे प्रभावित किया है. परन्तु जब मैं अपने आदर्श अध्यापक की खोज करने निकलता हूं तो मुझे श्री विजेंद्र जैन का स्मरण हो आता है.
परम स्नेही – श्री विजेंद्र जैन की सबसे बड़ी खूबी यही थी कि वे सब विद्यार्थियों से मित्रवत स्नेह रखते थे. वे उनके जीवन में पूरी रुचि लिया करते थे. वे छात्र को अपने पास बुलाकर उसमें अद्भुत प्रेरणा भर दिया करते थे.
सहयोगी – श्री विजयेंद्र जैन स्वभाव से ही सहयोगी थे. उनकी आदत थी कि वे छात्रों को भिन्न – भिन्न क्षेत्रों में जाने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे. आज के युग में छात्रों के लिए इतना करने वाला अध्यापक ढूंढने से भी नहीं मिलता. उनके सभी छात्र उनके प्रशंसक हैं.
विषय – विशेषज्ञ – श्री विजयेन्द्र जैन वनस्पति शास्त्र के अध्यापक थे. वे अपने विषय में पारंगत थे. वे अपने विषय को कुशलतापूर्वक पढ़ाया करते थे. उनका पढ़ाने का ढंग अत्यंत सरल तथा विनम्र था. वे बातचीत की शैली में समझाया करते थे. श्री जैन स्वयं बहुत अध्ययनशील थे. खाली समय में हम उन्हें अध्ययन करता हुआ ही देखते थे.
गंभीर और अनुशासनप्रिय – श्री जैन गंभीर और अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे. वे कभी फालतू बातें नहीं किया करते थे. उनका एक -एक शब्द तुला हुआ होता था. सभी छात्र उनके वचनों का सम्मान करते थे. जैसे वे खुद मितभाषी थे, वैसे ही वे छात्रों से अपेक्षा किया करते थे. वे अपने जीवन में अत्यंत अनुशासित थे. वे कक्षा में कभी देरी से नहीं आए. कभी बिना पढ़ाए कक्षा नहीं छोड़ी.
सादगी, द्रणता और सच्चाई – श्री विजयेंद्र जैन सादगी, दृढ़ता और सच्चाई की मूर्ति थे. उनका परिणाम सीधा था. बच्चे उनकी सादगी पर मोहित थे. शायद ही हमारा ध्यान कभी उनके वस्त्रों पर गया हो. उनके मन में सच्चाई का वास था. उन्होंने कभी नकल को प्रोत्साहन नहीं दिया. कितने ही छात्र उनके करीब थे, परंतु किसी ने उनके सामने नकल करने की हिम्मत नहीं की.