Mere Jivan Ka Lakshya | Essay in Hindi

By | May 11, 2023
Mere Jivan Ka Lakshya Essay in Hindi

मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक गुण है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है. Mere Jivan Ka Lakshya essay में बताया गया है की मनुष्य का जीवन में अगर कोई उद्देश्य है तो उसे जरुर पाने की कोशिश करें. अच्छी पुस्तकें हमें रास्ता दिखाने में मदद करती हैं.

Mere Jivan Ka Lakshya

लक्ष्य का निश्चय – मैं दसवीं कक्षा का छात्र हूं. मेरे मन में एक ही सपना है कि मैं इंजीनियर बनूंगा.
लक्ष्यपूर्ण जीवन के लाभ – जब से मेरे भीतर यह सपना जागा है, तब से मेरे जीवन में अनेक परिवर्तन आ गए हैं. अब मैं अपनी पढ़ाई की ओर अधिक ध्यान देने लगा हूं. पहले क्रिकेट के खिलाड़ियों और फिल्मी तारिकाओं में गहरी रुचि लेता था, अब ज्यामिति की रचनाओं और रसायनिक मिश्रणों में रुचि लेने लगा हूं. अब पढ़ाई में रस आने लगा है. निरुद्धेश्य पढ़ाई बोझ थी. लक्ष्यबद्ध पढ़ाई में आनंद है. सच ही कहा था कार्लाइल ने – ‘अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ और उसके बाद अपना सारा शारीरिक और मानसिक बल, जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है, उसमें लगा दो.’
मेरा संकल्प – मैंने निश्चय किया है कि मैं इंजीनियर बन कर इस संसार को नए – नए साधनों से संपन्न करूंगा. मेरे देश में जिस वस्तु की आवश्यकता होगी, उसके अनुसार मशीनों का निर्माण करूंगा. देश में जल – बिजली सड़क या संचार – जिस भी साधन की आवश्यकता होगी, उसे पूरा करने में अपना जीवन लगा दूँगा.
मैं गरीब परिवार का बालक हूं. मेरे पिता किराए के मकान में रहे हैं. धन की तंगी के कारण हम अपना मकान नहीं बना पाए. यही दशा मेरे जैसे करोड़ों बालकों की है. मैं बड़ा होकर भवन – निर्माण की ऐसी सस्ती, सुलभ योजनाओं में रुचि लूंगा जिससे मकानहीनों को मकान मिल सके.
मैंने सुना है कि कई इंजीनियर धन के लालच में सरकारी भवनों, सड़कों, बांधों में घटिया सामग्री लगा देते हैं. यह सुनकर मेरा ह्रदय रो पड़ता है. मैं कदापि यह पाप – कर्म नहीं करूँगा , न अपने होते यह काम किसी को करने दूंगा.
लक्ष्यपूर्ति का प्रयास – मैंने अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने आरंभ कर दिए हैं. गणित और विज्ञान में गहरा अध्ययन कर रहा हूं. अब मैं तब तक आराम नहीं करूंगा, जब तक कि लक्ष्य को पा न लूं. कविता की ये पंक्तियां मुझे सदा चलते रहने की प्रेरणा देती हैं. –
लक्ष्य तक पहुंचे बिना, पथ में पथिक विश्राम कैसा ?