Bhartiya Kisan par Nibandh | भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में

By | May 11, 2023

Bhartiya Kisan par Nibandh में हम आपको बतायेंगे भारतीय किसान की छवि और महत्व. किसान की दुर्दशा के कारण और कैसे हम किसानों की दशा में सुधार कर सकते हैं. Essay in Hindi ऐसी गद्य रचना है जिसमें किसी विषय पर सीमित आकार के भीतर सुंदर ढंग से क्रमबद्ध विचार प्रकट करने का प्रयत्न किया गया हो.

Bhartiya Kisan par Nibandh

कृषक – संस्कृति – गांधी जी कहा करते थे – ‘भारत की संस्कृति कृषक संस्कृति है……..भारत का ह्रदय गांवों में बसता है. गांवों में ही सेवा और परिश्रम के अवतार किसान बसते हैं. ये किसान नगरवासियों के अन्नदाता हैं, सृष्टिपालक हैं.’
सादगी को महत्व – भारतीय किसान सीधा – सादा जीवनयापन करता है. सादगी का यह गुण उसके तन से ही नहीं, मन से भी झलकता है. सच्ची बात को सीधे-सादे शब्दों में कहना उसका स्वभाव है.
पश्चिमी जीवन – भारतीय किसान बड़ा कठोर जीवन जीता है. वह धरती की छाती को अपने परिश्रम के जल से सींचता है. गर्मी की लु, सर्दी की ठंडी रातें, वर्षा की उमड़ती – घुमड़ती घटाएं उसका रास्ता रोकती हैं. किंतु वह किसी की परवाह नहीं करता. हर मौसम में अविचल रहकर कर्म करना उसका स्वभाव है.
हष्ट – पुष्ट – किसान शरीर से हष्ट पुष्ट रहता है. माँ धरती और प्रकृति की गोद में खेलने के कारण न उसे बीमारियां घेरती हैं, न मानसिक परेशानियां.
गरीबी – भारत के अधिकांश किसान गरीबी में जीते हैं. उनके पास थोड़ी जमीन है. छोटे किसान दिन भर मेहनत करके भी भरपेट खाना नहीं कमा पाते. उनके पास खेती के उन्नत साधनों का अभाव रहता है.
किसान की दुर्दशा के कारण – अधिकांश किसान निरीक्षण हैं. अज्ञान के कारण अंधविश्वासों में आस्था रखते हैं. परिणामस्वरूप उनका परिवार बढ़ता जाता है और जमीन कम होती जाती है. किसान के अज्ञान के कारण ही व्यापारी लोग उन्हें आसानी से लूट लेते हैं.
किसानों की दशा में सुधार – किसान की दशा में सुधार लाने के अनेक उपाय हैं. किसी को बैंक, सरकार तथा सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा मदद दी जाए. किसानों को उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जाएं. उनके बच्चों को सस्ती शिक्षा भी दी जाए. उनके उत्पादन को ऊंचे दामों पर बेचने का प्रबंध किया जाए. सौभाग्य से भारत की सरकार यह कदम उठा रही है. अब तो हर गरीब किसान के खाते में 6000 रु. प्रतिवर्ष देने की व्यवस्था भी मोदी जी ने कर दी है. अतः आशा है, आज का अन्नदाता किसान कल स्वयं भी खुशहाल होगा.