NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

By | May 31, 2022
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter – 2 मेरे संग की औरतें

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter – 2 मेरे संग की औरतें यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Class 9 Hindi Chapter 2 Question Answer को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके. इस पेज में आपको Kritika Class 9 Chapter 2 PDF दिया जा रहा है.

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter – 2 मेरे संग की औरतें

प्रश्नअभ्यास

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1.लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थी?

उत्तर:- लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे निम्न कारणों से प्रभावित थी:लेखिका की नानी अपनी बेटी का भी विवाह एक क्रांतिकारी से करने की इच्छुक थी इसलिए नानी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट भी की थी उस भिंड में उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वह अपनी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से करवाना चाहती हैं इस घटना से उनका देश के प्रति अटूट प्रेम पता चलता है।जीवन भर पर्दे में रहकर भी उन्होंने किसी पर पुरुष से मिलने की हिम्मत कि इससे उनके साथ ही व्यक्तित्व और मन में सुलगती स्वतंत्रता की भावना का पता चलता है। लेखिका कि नानी भले ही अनपढ़ पुराने ढंग और हमेशा पर्दे में रहने वाली महिला रही हो परंतु अपने निजी जिंदगी में वह आजाद विचारों वाली महिला थी।

2. लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?

उत्तर:- लेखिका ने नानी की आज़ादी के आंदोलन में खुलकर भाग न ले सकी| उसकी परिस्थितियाँ ऐसी नहीं थीं कि वह खुलकर आंदोलन में भाग ले सके| पर उसने स्वतंत्रता की भावना को मन-ही-मन पनपने दिया| उसने कभी अंग्रेजियत को स्वीकारा नहीं| उसका पति अंग्रेजों का भक्त था, फिर भी उसने कभी अंग्रेजों की जीवन शैली को अपनाया नहीं| उसने सबसे बड़ा योगदान यह किया कि अपने बच्चों को अँगरेज़-भक्तों से मुक्त करा लिया| उसने अपनी बेटी की शादी एक क्रांतिकारी से करा दी ताकि उसकी बेटी और उसके बच्चे देश के लिए कुछ कर सकें| इस घटना से क्रान्तिकारीओं को जो उत्साह मिला होगा, उसकी कल्पना ही की जा सकती है|

3. लेखिका की मां परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में

(). लेखिका की मां के व्यक्तित्व की विशेषताएं लिखिए।

(). लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्दचित्र अंकित कीजिए।

उत्तर:- लेखिका की माँ बेरिस्टर की बेटी थीं। वे अपनी माँ की ही भांति स्वतंत्र व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं। उन्होंने कभी भी एक बहू, पत्नी व माँ के कर्तव्यों का पालन नहीं किया था। परन्तु फिर भी वे सारे घर की प्यारी थीं। उनके लिए लेखिका ने कहा है, कभी घर के किसी अन्य सदस्य को शायद ही कुछ कहते सुना हो क्योंकि –

 ().) उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी कि वे एक ईमानदार स्त्री थीं। वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं फिर चाहे कितना कड़वा सच ही क्यों न हो। ये उनके चरित्र की बड़ी विशेषता थी। यही कारण है कि घर के सभी लोग उनका आदर करते थे।

(2) वे कभी किसी की गोपनीय बात कभी दूसरे पर ज़ाहिर नहीं होने देती थीं। जिसके कारण सभी व्यक्ति उनके मित्र थे। उनकी सलाह का सभी सम्मान करते थे।

(ख). लेखिका की दादी का घर का माहौल स्वतंत्रता से परिपूर्ण था। बहूओं बेटियों पर ताना नहीं देती थी ।उनका घर परिवार की दृष्टि से काफी बड़ा था। उनकी एक पर दादी भी थी। उनके घर में सबको समान अधिकार था। लेखिका की मां से किसी भी प्रकार का कोई सवाल जवाब नहीं किया जा सकता था ।उनके घर में अक्सर स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित मीटिंग में हुआ करती थी ।कांग्रेसी लोग वहां आते थे ।सभी लोग स्वदेशी वस्तुओं को अपनाते थे। इसी कारण लेखिका की मां को खादी की साड़ी पहननी पड़ती थी। जिसे पहनने का अभ्यास लेखिका की मां दिनभर करती थी। दादी बहुत समझदार महिला थी। जिन्होंने अपनी पुत्र वधू की पहली संतान के रूप में पोता नहीं पोती की मन्नत मांगी।

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4. आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों मांगी?

उत्तर:- परदादी एक साधारण व अच्छे विचारों वाली महिला थी। शायद वे समाज में होने वाले लड़का-लड़की के भेदभाव को पसंद नहीं करती थी और अपनी इसी सोच के प्रमाण के तौर पर उन्होंने यह मन्नत मांगी और इसके बारे में सबको बता दिया। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि लेखिका के खानदान में सभी लोग लीक से परे हटकर अपनी स्वयं की सोच पर चलते थे और इसीलिए उनकी परदादी ने भी ऐसा ही किया।

5. डरानेधमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता हैपाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर:- डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है। यह बात हमें लेखिका की माता द्वारा चोर के पकड़े जाने पर उसके साथ किए गए व्यवहार से पता चलता है। चोर के पकड़े जाने पर लेखिका की माँ ने न तो चोर को पकड़ा, न पिटवाया, बल्कि उससे सेवा ली और अपना पुत्र बना लिया। उसके पकड़े जाने पर उसने उसे उपदेश भी नहीं दिया। उसने इतना ही कहा अब तुम्हारी मर्जी  चाहे चोरी करो या खेती। उसकी इस सहज भावना से चोर का ह्रदय परिवर्तित हो गया। उसने सदा के लिए चोरी छोड़ दी और खेती को अपना लिया। यदि शायद वे चोर के साथ बुरा बर्ताव या मारपीट करती तो चोर सुधरने के बजाए और भी गलत रास्ते पर चल पड़ता

6. ‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है।’- इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

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उत्तर:-शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस दिशा में लेखिका ने अथक प्रयास किए। जब वे कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागलकोट में पहुंची तो उन्होंने वहां देखा कि बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल ही नहीं है।  छोटे से कस्बे में रहते हुए इस दिशा में सोचना शुरू किया। उसने कैथोलिक विशप से प्रार्थना की कि उनका मिशन वहाँ स्कूल खोल दे पर वे इसके लिए तैयार न हुए। तब लेखिका ने अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ तीन भाषाएँ सिखाने वाला प्राइमरी स्कूल खोला और उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता दिलवाई। इस स्कूल के बच्चे बाद में अच्छे स्कूलों में प्रवेश पा गए।

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7. पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धाभाव से देखा जाता है?

उत्तर:- पाठ के अनुसार साहसी, दृढ़-संकल्प करने वाले, सत्यवादी व अच्छे विचार रखने वालों को इंसानों द्वारा श्रद्धा-भाव से देखा जाता है।  प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि उनकी भावना वाले दृढ़ संकल्प इन लोगों को श्रद्धा से देखा जाता है जो लोग कभी झूठ नहीं बोलते और सच का साथ देते हैं जो हीन भावना से ग्रसित नहीं होते तथा जिनका व्यक्तित्व सरल सहज एवं पारदर्शी होता है जो लोग सद्भावना से व्यवहार करते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर गलत रूढ़ियों को तोड़ डालने की हिम्मत रखते हैं उन्हें पूरा समाज श्रद्धा भाव से देखता है।

8. ‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’- इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर:- प्रस्तुत कथन लेखिका ने खुदके व अपनी बहन के संदर्भ में बोला है। वे दोनों ही पारंपरिक तौर-तरीकों को न अपनाकर, अपने स्वयं के तौर-तरीकों के अनुरूप जीवन जीना पसंद करती थी।लेखिका व उनकी बहन एकांत प्रिय स्वभाव की थीं। लेखिका व उनकी बहन के व्यक्तित्व का सबसे खूबसूरत पहलू था – वे दोनों ही जिद्दी स्वभाव की थीं परन्तु इस जिद्द से वे हमेशा सही कार्य को ही अंजाम दिया करती थे। लेखिका कि जिद्द ने ही कर्नाटक में स्कूल खोलने के लिए प्रेरित किया था। वे दोनों स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं और इसी कारण जीवन में अपने उद्देश्यों को पाने में सदा आगे रहीं।

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