Patra Lekhan Kya Hai – Letter writing in Hindi

लिखित अभिव्यक्ति की जितनी भी विधाएँ हैं उनमे ‘पत्र-लेखन’ का विशिष्ट स्थान है . यह अपनी बात को दूसरों तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम है . आज का युग इंटरनेट का युग है . इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव के कारण परंपरागत ढंग से किये जाने वाले पत्र-लेखन में कमी आ गई है , किंतु नये काम (ई – मेल) के साथ पत्र – लेखन विधा का काफ़ी विस्तार हुआ है Patra Lekhan Hindi .

वर्तमान समय में पत्र लेखन

सरकार की भी यही कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा कार्य इंटरनेट के माध्यम से हो , पर चाहे हाथ से पत्र – लेखन कार्य किया जाए या इंटरनेट के माध्यम से , ‘पत्र – लेखन’ एक ऐसी विधा है , जो लेखक और पाठक के बीच आत्मीय संबंध उत्पन्न करने में सक्षम है .

Patra Lekhan in Hindi- Tips

प्रिय छात्रों patra lekhan in hindi class 10 हिंदी पत्र लेखन में आपको विशेष कर निम्न बिन्दुओं पे विशेष ध्यान देना है-

  1. सरलतापत्रों की भाषा जितनी सरल एवं सुबोध होगी , पत्र उतना ही ग्राह्य होगा . पत्र की भाषा ऐसी होनी चाहिए कि समझने के लिए पाठक को शब्दकोष का सहारा न लेना पड़े Patra Lekhan Hindi .
  2. स्पष्टता पत्र में जो कुछ भी कहा जाए , स्वतः स्पष्ट होना चाहिए .
  3. निश्चयात्मकता निश्चयात्मकता से तात्पर्य है कि पत्र को पढ़कर पाठक के मन में किसी भी प्रकार की शंका न उठे .
  4. संक्षिप्तता पत्र में जो भी बातें लिखी जाएँ , वे गागर में सागर भरने के समान होनी चाहिए .
  5. मौलिकता पत्र में रटे – रटाए वाक्य या पुस्तकीय वाक्य नहीं होने चाहिए . पत्र लेखक पत्र में जो कुछ कहे , वह मौलिक होना चाहिए patra lekhan in hindi class 10.
  6. उददेश्यपूर्णता हर लेखन का कोई न कोई उददेश्य होता है . अतः पत्र लिखते समय लेखक को पत्र के उददेश्य को अपने मन में रखना चाहिए . उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि वह पत्र किसके लिए तथा क्यों लिख रहा है .

Types of Letters in Hindi- पत्र के प्रकार

शैली की द्रष्टि से पत्र दो प्रकार के होते हैं –

  1. अनौपचारिक पत्र           2. औपचारिक पत्र

1.अनौपचारिक पत्र (Informal Letters)–

जिन लोगों से हमारे व्यक्तिगत संबंध होते हैं , उन्हें हम अनौपचारिक पत्र लिखते हैं . इन पत्रों में व्यक्ति अपने मन की अनुभूतियों , भावनाओं , सुख – दुःख की बातों आदि का उल्लेख करता है . अतः इन पत्रों को ‘व्यक्तिगत पत्र’ भी कह सकते हैं . इन पत्रों की भाषा – शैली में अनौपचारिकता का पुट देखा जा सकता है .

2.औपचारिक पत्र (Formal Letters)–

ये पत्र औपचारिक संदर्भों में लिखे जाते हैं . जिन लोगों के साथ इस तरह का पत्राचार किया जाता है , उनके साथ हमारे व्यक्तिगत संबंध नही होते . औपचारिक परिवेश होने के कारण इन पत्रों में तथ्यों और सूचनाओं को अधिक महत्त्व दिया जाता है .

अनौपचारिक पत्राचार (Informal Correspondence)

Parts of Informal Letter

पत्र – लेखक का पता –

परीक्षा भवन

नई दिल्ली

दिनांक – पत्र लेखक को चाहिए कि पता लिखने के बाद ठीक उसके नीचे उस दिन का दिनांक लिखे ; जैसे–

परीक्षा भवन

नई दिल्ली

दिनांक : 22 अप्रैल , 20xx

या

15 – 04 – 20xx

संबोधन – अनौपचारिक पत्रों में ‘संबोधन’ का विशेष महत्त्व होता है क्योंकि पत्र पढ़नेवाला सबसे पहले इसी को पढ़ता है . इन संबंधनों के माध्यम से पत्र लेखक पाठक के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है . संबंधनों को देखकर ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पत्र अपने से छोटे को लिखा गया है या बड़े को तथा कितना प्यार या सम्मान व्यक्त किया गया है Patra Lekhan in Hindi Class 10.

संबोधन के कुछ नमूने इस प्रकार हैं :

1.पूज्य पिता जी / माता जी / गुरु जी आदि .

2.आदरणीय चाचा जी / मामा जी / भाई साहब / दीदी / भाभी जी आदि .

3.श्रद्धेय चाचा जी / गुरुवर आदि .

4.प्रिय भाई / मित्र आदि .

शिष्टाचार सूचक पद्बंद / अभिवादन की उक्तियाँ –

शिष्टाचार या अभिवादन के वाक्य इस बात पर निर्भर करते हैं कि संबोधन किस प्रकार का है शिष्टाचार के कुछ पदबंध इस प्रकार है – चरणस्पर्श , प्रणाम , नमस्कार , वंदे , सस्नेह / सप्रेम नमस्ते , प्रसन्न रहो , चिरंजीवी रहो आदि Patra Lekhan Hindi .




विषय वस्तु या मूल कथ्य –

शिष्टाचार सूचक शब्दों के बाद पत्र की मूल विषयवस्तु आती है . इसे पत्र का कथ्य भी कहते हैं . इसके अन्तर्गत लेखक वे सभी बातें , विचार आदि व्यक्त करता है , जिन्हें वह पाठक तक संप्रेषित करना चाहता है . इसी से लेखक की अभिव्यक्ति क्षमता , भाषा , कथ्य को प्रस्तुत करने का तरीका आदि का पता चलता है .

समापन निर्देश या स्वनिर्देश –

कथ्य की समाप्ति के बाद पत्र के समापन की बारी आती है . पत्र – समापन से पहले आत्मीय जनों के विषय में पूछताछ , आदर – सम्मान आदि का भाव व्यक्त किया जाता है . अंत में ‘स्वनिर्देश’ के अन्तर्गत पत्र लेखक तथा पाठक के मध्य के संबंधों के आधार पर संबंधसूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है Patra Lekhan in Hindi Class 10; जैसे –

     आपका ……       आपका ही …….     तुम्हारा अपना ……..,        स्नेहाकांक्षी …….आदि .

पत्र लेखक का नाम –

‘स्वनिर्देश’ के नीचे पत्र लेखक को अपना नाम लिखना चाहिए . परीक्षा भवन में पत्र लिखते समय नाम के स्थान पर ‘क० ख० ग० / अ० ब० स०’ आदि लिख सकते हैं Patra Lekhan Hindi .

Patra Lekhan Format in Hindi अनौपचारिक पत्र का प्रारूप

Format of Informal Letter

परीक्षा भवन

गुवाहटी

दिनांक : 15 मई 20 xx

आदरणीय चाचा जी

सादर प्रणाम

कल आपका पत्र मिला . समाचार मिले . अब आपका स्वास्थ्य पहले से बेहतर है , यह जानकर प्रसन्नता हुई …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………

आदरणीय चाची जी को प्रणाम तथा संजू को स्नेह .

आपका प्यारा भतीजा

क० ख० ग०

Patra Lekhan ke Prakar- Informal Letter- अनौपचारिक पत्र के प्रकार

अनौपचारिक पत्र निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –

Example of Informal Letter in Hindi- Unaupcharik Patra Example

अनौपचारिक पत्र का उदाहरण

बधाई पत्र नमूना

1.मित्र के बड़े भाई को नौकरी मिलने की खुशी में बधाई देने के लिए मित्र को पत्र .

परीक्षा भवन

नई दिल्ली

दिनांक : 15 अप्रैल , 20xx

प्रिय मुकेश

सप्रेम नमस्ते

कैसे हो मित्र ? तुमने तो मुझे सूचित नहीं किया लेकिन तुम्हारे चाचा जी एक दिन मेरे घर आये थे . उन्हें दिल्ली में कुछ काम था . वे एक रात मेरे घर पर रुके भी थे . शायद वापस लौटकर जाने के बाद उन्होंने तुम्हें बताया भी होगा .

उन्होंने ही सूचना दी कि मुंबई की एक बड़ी कंपनी में तुम्हारे बड़े भाई अमित भैया की नौकरी लग गई है . यह जानकर बहुत खुशी हुई . अमित भैया शुरू से ही परिश्रमी और होनहार थे .

उनकी नौकरी लग जाने के बाद अब तुम्हारे परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी और तुम्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने में कठिनाई नही होगी . भैया को मेरी ओर से तथा मेरे मम्मी – पापा की ओर से बधाइयाँ देना .

शेष सब सामान्य है . अपनी माता जी और दीदी को मेरा प्रणाम निवेदन करना .

उत्तर की प्रतीक्षा में .

तुम्हारा अपना

क० ख० ग०

Aupcharik Patra Lekhan Examples औपचारिक पत्र उदाहरण | Sample | नमूने

Formal Letter Writing in Hindi- Aupcharik Patra

औपचारिक पत्राचार (Formal Correspondence)

Parts of Formal Letter in Hindi औपचारिक पत्र के निम्नलिखित अंग होते हैं  

 शीर्ष- इसके अन्तर्गत पत्र के ऊपरी भाग में बाईं ओर प्रेषक अपना पता लिखता है . परीक्षा भवन में यदि  इस तरह के पत्र लिखे जाने का निर्देश दिया गया हो तो छात्र पते के स्थान पर केवल ‘परीक्षा भवन’ तथा नगर का नाम ही लिखेंगे Patra Lekhan Hindi; जैसे –

परीक्षा भवन

……  विद्यालय

दिल्ली / कलकत्ता / मुम्बई आदि

पत्र प्राप्तकर्ता का संक्षिप्त पताशीर्ष के ठीक नीचे पत्र प्राप्त करनेवाले का पता लिखा जाना चाहिए . सामान्यतः इसे तीन पंक्तियों में लिखा जाता है ; जैसे –

संपादक                            

टाइम्स ऑफ़ इंडिया

कस्तूरबा गांधी मार्ग , नई दिल्ली

प्रधानाचार्य

राम रतन विद्यालय

फरीदाबाद

प्रबंधक

पुस्तक महल प्रा० लि०

दरियागंज , दिल्ली

संबोधनप्राप्तकर्ता के पते के ठीक नीचे संबोधन लिखा जाता है . औपचारिक पत्रों में प्रायः महोदय / महोदया , मान्यवर , श्रीमान आदि संबोधन लिखे जाते हैं .

पत्र का कलेवर पत्र का कलेवर औपचारिक पत्रों का सबसे प्रमुख भाग होता है Patra Lekhan in Hindi Class 10. इसे तीन भागों में बाँटकर लिखा जा सकता है –

प्रारंभयदि पत्र पहली बार लिखा जा रहा है तो प्रारंभिक वाक्य परिचयात्मक होंगे . यदि किसी पत्र के उत्तर में लिखा जा रहा है , तो पूर्व पत्र की संख्या , तिथि , विषय आदि का सन्दर्भ बताते हुए पत्र लिखना होगा .

मध्य मध्य में पत्र लेखक उन सब बातों का उल्लेख करेगा , जिन्हें वह पत्र द्वारा बताना चाहता है .

अंत / समापन यह पूरे पत्र का निष्कर्ष होता है . अतः जो कुछ पत्र के मध्य भाग में लिखा गया है , उसी का सार या संक्षिप्त रूप यहाँ एक दो पंक्तियों में आना चाहिए Patra Lekhan Hindi . समापन के वाक्य इस प्रकार के हो सकते हैं –

स्वनिर्देशपत्र के मुख्य कलेवर के बाद नीचे ‘स्वनिर्देश’ लिखा जाना चाहिए . व्यावसायिक पत्रों में गिने – चुने स्वनिर्देश लिखे जाते हैं ; जैसे – ‘भवदीय’ , ‘उत्तरापेक्षी’ , ‘आपका’ आदि .

हस्ताक्षर स्वनिर्देश के ठीक नीचे पत्र भेजनेवाला अपने हस्ताक्षर करता है तथा हस्ताक्षरों के ठीक नीचे कोष्ठक में अपना नाम भी लिखता है .

परीक्षा भवन में लिखे गये पत्रों में छात्र न तो हस्ताक्षर ही करेंगे और न नाम ही लिखेंगे . वे क० ख० ग० / अ० ब० स० लिख सकते हैं .

दिनांकहस्ताक्षर के नीचे दिनांक लिखा जाता है .




उपर्युक्त अंगों के अतिरिक्त औपचारिक पत्र में दो अंग और हो सकते हैं –

सलंग्नक शीर्षक लिखकर संक्षेप में जों भी सामग्री संलग्न की जा रही है , उसका विवरण दिया जाता हैं ; जैसे –

संलग्नक : * प्रमाण पत्रों की फोटों प्रतियाँ




Format of Formal Letter in Hindi

औपचारिक पत्र का प्रारूप

परीक्षा भवन

नई दिल्ली

प्रधानाचार्य

उदय प्रताप कॉलेज

वाराणसी

विषय : स्थानान्तरण प्रमाण – पत्र हेतु अनुरोध

मान्यवर

सविनय निवेदन है कि ————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————————-

आपकी अति कृपा होगी

आपका आज्ञाकारी शिष्य

क० ख० ग०

कक्षा – दसवीं ‘सी’

दिनांक –

Patra Lekhan ke Prakar- Types of Formal Letter in Hindi

औपचारिक पत्र के प्रकार

औपचारिक पत्र मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं –

प्रार्थना पत्र / आवेदन पत्र  

शिकायती पत्र

व्यावसायिक पत्र

1.प्रार्थना पत्र / आवेदन पत्रइस (Patra Lekhan Hindi) को लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें –

  1. शिकायती पत्रशिकायती पत्रों में अपने आसपास के परिवेश में घटित होनेवाली घटनाओं के संबंध में उच्चाधिकारियों को शिकायत की जाती है .
  2. व्यावसायिक पत्रविभिन्न व्यावसायियों द्वारा सामान की खरीद – फरोख्त के लिए इस तरह के पत्र लिखे जाते हैं . अनेक व्यावसायिक संस्थान भी एक – दूसरे को इस तरह के पत्र भेजते हैं Patra Lekhan in Hindi Class 10.

व्यावसायिक पत्रों में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –

1.स्पष्टता 2. संक्षिप्तता    3. शिष्टता     4. पूर्णता     5. प्रभावोत्पादकता .

Examples of Formal Letter-

औपचारिक पत्र के नमूने

प्रार्थना पत्र / आवेदन पत्र

·       प्रधानाचार्य / मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र  

चिकित्सावकाश पर रहने के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र Patra Lekhan Hindi .

परीक्षा भवन

नई दिल्ली

प्रधानाचार्य

अ० ब० स० स्कूल

फरीदाबाद

 

विषय : चिकित्सावकाश पर रहने हेतु प्रार्थना पत्र .

माननीय महोदय

विनम्र निवेदन है कि मुझे अचानक वायरल बुखार हो गया है . तेज बुखार तो है ही , साथ ही बदन में बहुत दर्द है . डाक्टर ने पाँच दिन तक आराम करने की सलाह दी है . अनुरोध है कि 10.03.20xx से 14.03.20xx तक पाँच दिन का चिकित्सावकाश देने की कृपा करें .

डाक्टर का चिकित्सा प्रमाण – पत्र स्वस्थ होने के बाद स्कूल आने पर कार्यालय में जमा करा दूँगा .

सधन्यवाद !

भवदीय

क० ख० ग०

कक्षा – ‘नौवी – अ’

दिनांक : 10 मार्च , 20xx