The Voice of the Rain Summary in Hindi

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The Voice of the Rain Summary in Hindi

कवि सहजभाव से हल्की फुहार से प्रश्न कर बैठता है कि तुम हो कौन I हैरान कर देने वाली बात यह हुई कि वर्षा उस प्रश्न का उत्तर विस्तार से तथा मानवों वाली भाषा में देती है I कभी उस कथन का अनुवाद अंग्रेजी में कर देता है I
वर्षा कहती है कि में तो धरती का गीत हूँ, वही धरती जो मेरी जन्मस्थली है और जननी भी I मेरा जन्म भूमि पर फैले जल भराव वाले स्थानों तथा विशाल समुद्रों से होता है I गैस के रूप में मैं ऊपर उठ जाती हूँ, काले मेघों का रूप धारण कर लेती हूँ I मुझे छुआ पकड़ा नहीं जा सका फिर भी आकाश में मेरा ठहराव थोड़े समय के लिए ही होता है मैं जन्म, विकास तथा मूलरूप से पृथ्वी पर लौटने का चक्र पूरा करती हूँ I


वर्षा एक दैवी उद्देश्य की पूर्ति करती है I  वह पृथ्वी पर सूखे की स्थिति से लड़ती है; भूमि को सींचती है; तथा धूल की पर्तों को धोकर बहा देती है, और बीजों को पुनः अंकुरित होने में मदद देती है I यह चक्र निरन्तर चलता रहता है I यह एक दैवी प्रक्रिया है जो सूखी धरती तथा मुरझाते पौधों को नया जीवन दे देती है वर्षा सभी  पार्थिव वस्तुओं की सफाई करके उन्हें विशुद्ध, उपचार तथा सुन्दर बना देती है I यह अपने जन्म का उद्देश्य पूरा करती है, अपने कर्तव्यों का निर्वाह करती है तथा पृथ्वी पर पुनः प्यार पूर्वक जल के रूप में लौट आती है I यह इस बात की भी चिंता नहीं करती कि इसकी सेवाओं को पहचाना जा रहा है अथवा नहीं I 

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