यह कविता एड्रीन रिच द्वारा लिखित सजावटी पोधों के बारे में एक कबिता है ये पौधे घरो के अंदर फूलदानों और छोटे बर्तनो में उगाए जाते है ये पछइयो और कीटो के लिए लाभदायक नहीं है पछी इनकी शाखाओ के ऊपर नहीं बैठ सकते है कीट सोयम को इनमे नहीं छुपा सकते है ये कोई छाया नहीं देते है इनकी टहनिआ अकड़ी (कठोर) हुई है इनकी साखाये उस मरीज की भाति है जिसे हाल ही में अस्प्ताल से छुट्टी मिली है ये प्रकाश से बंचित है इनके पत्ते प्रकाश हाशिल करने के लिए शीशे की खिड़की की ओर भागते है क्योकि फूलदानों और बर्तनो में उनका दम घुटता है कबित्री अपने कमरे में बैठी है बह लम्बे पत्र लिख रही है रात्रि का समय है बह पत्तो और काई को गंद को अपने कमरे के अंदर पहुँचता महसूस करती है कबित्री की इच्छा है कि बृच्छ प्रकाश और हवा कि लिए संघर्ष करे 

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