The Adventure
By- Jayant Narlikar
Summary in Hindi
जीजामाता एक्सप्रेस गाड़ी पुणे-मुम्बई मार्ग पर डेकन क्वीन गाड़ी से भी तेज गति से भाग रही थीI 40 मिनटपश्चात पहला स्टॉप आयाI फिर शुरू हो गया पश्चिमी घाट खण्ड जिससे प्रोफ़ेसर गेटोण्डे भली-भाँतिपरिचित थेIफिर गाड़ी कल्यान स्टेशन से गुजरीIयह प्रोफ़ेसरगेटोण्डेअथवा गंगाधरपंत की पहली बम्बई यात्रा थीI
प्रोफेसर ने बम्बई के लिए कार्य योजना बनाई I वह इतिहासकार थे तथा उन्होंने पाँच खण्डो में भारत का इतिहास लिखा था उनकी योजना थी कि बम्बई में किसी बड़े पुस्तकालय में जाएँगे तथा पता लगाएँगे कि किस कारणों से देश की वर्तमान दशा हुई थी I इसके पश्चात्वह पूना लौटकर राजेंद्र देशपाण्डे से इसके खुलासे की विषय पर लम्बी बात करेंगेI
गाड़ी लम्बी सुरंग से गुज़रने के बाद एक छोटे स्टेशन सरहद पर रुकी, एक ऐंग्लो इंडियन टिकट निरीक्षक ने डब्बे में प्रवेश कियाI प्रोफ़ेसर के एक सहयात्री थे खान साहब जो पेशावर जा रहे थेI खान नेउन्हें बताया कि सरहद स्टेशन से ब्रिटिश राज शुरू होता है Iरेल के नीचे डिब्बे पर भी लिखा था–‘ग्रेट बाँम्बे मेट्रोपालिटन रेलवे’ I हर डिब्बे पर इंग्लैण्ड का नीला ध्वज भी चित्रित थाI
गाड़ी अंततः विक्टोरिया टर्मिनल पर रुकी Iस्टेशन तो साफ-सुथरा था पर कर्मचारी अधिकतर ऐंग्लो इंडियन या पारसी थेI गंगाधर स्टेशन के बाहर निकलेI उन्हें सामने ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय दिखाई दिया उन्हें ऐसी आशा न थी I कम्पनी ने तो अपना बोरिया बिस्तर 1857 के पश्चात बाँध लिया था, ऐसा इतिहास की पुस्तकें कहती है पर यहाँ तो उन्हें कंपनी जीवित तथा फलती-फूलती दिखाई दी उन्हें हैरानी हुई यह कब और किस प्रकार से हुआI
वह हार्नबाई रोड पर चले Iवहाँ उन्हें ब्रिटिश दुकानें तथा ब्रिटिश बैंकों के दफ्तर दिखाई दिएI वह फिर फोर्ब्स भवन में गएIवहाँ उन्होंने अपने बेटे विनय गेटोन्डे के बारे में पूछा जो वहाँ कार्यरत का स्वागत परिचारिका ने खेद व्यक्त किया कि इस नाम का कोई भी व्यक्ति उस कार्यालय की किसी भी शाखा में काम नहीं कर रहा हैIयह एक आघात था पर पूर्णतया अपेक्षित नहीं थाI यदि वह स्वयं ही संसार से कूच कर चुके हैं तो फिर उनका बेटा किस प्रकार से जीवित रह पाएगाI उनकी इच्छा टाउन हॉल पुस्तकालय में जाने की हुईI उन्होंने शीघ्रता से लंच खाया तथा वहाँपहुँच गएI उन्होंने स्वरचित इतिहास के पाँचों भाग मँगवालिएIइस इतिहास में औरंगजेब की मृत्यु तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ था Iजो परिवर्तन हुआ वह अंतिम पुस्तक की अवधि में हुआ उन्होंने पन्ने पलटे और उसी स्थान पर पहुँच गए,जहाँ से इतिहास ने नई करवट ली थीI पानीपत का युद्ध मराठों तथा अब्दाली सेनाओं के बीच हुआ थाI अब्दाली हारा था तथा उसे काबुल तक खदेड़ दिया गयाIविजयी मराठी सेना का नेतृत्व कर रहे थेसदाशिवराव भाऊ एवं उनके भतीजे युवा विश्वासरावI इस विजय ने मराठों की प्रभुत्व पूरे उत्तरी भारत में फैला दी Iईस्ट इंडिया कंपनी को समझ में आ गया कि वह कुछ समय तक शांति से बैठेंIउस कम्पनी का प्रभुत्व केवल तीन जगहों तक ही सीमित था-बम्बई, कोलकाता तथा मद्रासI
राजनीतिक कारणवश पेशवाओंने दिल्ली में मुगल शहंशाह को बनाए रखा Iपर 19वीं शताब्दी में मराठा शासकों ने विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के महत्व को समझाIउन्होंने अपने ही अध्ययन एवं शोध केंद्र बना लिए Iईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए इस अवसर का लाभ उठाया Iउसने पेशवाओं की मदद की तथा उन्हें विशेषज्ञ भी दिए I
बीसवीं सदी में अनेक परिवर्तन हो गएI भारत भी लोकतंत्र की ओर मुड़ गया तथा पेशवाओं की पकड़ कमजोर हो गई Iगंगाधरपंत उस भारत की प्रशंसा करने लगा जिसे उसने देख रहा थाI उसे लगा कि ईस्ट इंडिया कंपनी को सुविधाएँ जो दी वह शक्तिवान की हैसियत से दी तथा व्यवसायिक लाभ के लिए दी मराठों ने बम्बई को अंग्रेजी कंपनी को 1908मेंसौंपा था यह पट्टा 2001 में समाप्त होने वाला था Iवह जिस देश को जानता था उसकी तुलना उससे किए बिना न रह सका जिसे वह देख रहा थाI
उन्होंने यह पता लगाने का निर्णय किया कि मराठों ने किस प्रकार पानीपत की लड़ाई जीतीI उन्हें यह सुराग ‘बाखर’ पुस्तक में मिल गयाI उन्होंने तीनपंक्तियों का एक विवरण पढ़ा कि किस प्रकार से विश्वासरावमृत्यु से बाल-बाल बचा था इस युवक ने अपना घोड़ा उसभीड़ की ओर दौड़ा दिया जहाँ मारकाट चल रही थीI एक गोली उसके कान के पास से निकल गई और वह सौभाग्य से बच गयाI
लाईब्रेरीयनने गंगाधर को बताया कि पुस्तकालय के बन्द होने का समय हो आया है Iप्रोफ़ेसर ने कुछ नोट्स अपनी दाईं जेब में रख लिएIअनजाने में उन्होंने ‘बाखर’ पुस्तक भी अपनी बाई जेल में डाल ली I
रात ठहरने की व्यवस्था उन्होंने गेस्ट हाउस में कर ली Iथोड़ा सा भोजन करके वह आजाद मैदान की ओर टहलने के लिए चल दिए वहां कोई सभा चल रही थी Iकोई व्यक्ति भाषण दे रहा थाI पर मंच पर रखीएक कुर्सी और मेज खाली पड़ी थीI यह अध्यक्ष की कुर्सी थी Iप्रोफ़ेसर जाकर उस कुर्सी पर बैठ गएI इसका विरोध हुआ Iपर प्रोफ़ेसर ने अपना अध्यक्षीय भाषण शुरू दिया पर श्रोतागण सुनने के मूड में नहीं थेI उन्होंने वक्ता के ऊपर टमाटर अंडे फेंकेI प्रोफेसर का यह 999 वाँ भाषण था Iवह बोलते रहेI उन्हें सशरीर उठाकर नीचे ले जाया गयाI उसके पश्चात उनकी खोज खबर नहीं मिलीI
जब प्रोफेसर पूना की राजेन्द्र देशपाण्डे से मिले तो उन्हें कोई जानकारी न थी कि उन्होंने पिछले दोदिन कहाँ बिताएI उनकी टक्कर सड़क पर एक ट्रक से हो गई थी उस समय वह एक नाजुक क्षण के बारे में सोच रहाथाजब इतिहास एक करवट ले सकता था I उन्होंने अपनी जेब से पुस्तक काफाड़ा गया वह पृष्ठनिकाल लिया ताकि राजेंद्र को बता सकें कि उनकी कल्पना की उड़ान नहीं मर रही हैI पर ‘बाखर’ पुस्तक आजाद मैदान में कहीं गिर गई थी राजेंद्र ने वह विवरण पढ़ा कि किस प्रकार से विश्वासराव को गोली लगी थी यह तो ठोस प्रमाण था I प्रोफ़ेसर का विवरण उनकी कल्पना पर आधारित नहीं था, उनकेमस्तिष्क की कोई कलाबाजी का परिणाम न थाI
राजेन्द्र ने गेटोन्डे के अनुभव का विश्लेषण करने का प्रयास किया Iउन्होंने इसे विनाशकारी अनुभव बताया Iइस सिद्धांत का उपयोग पानीपत की लड़ाई से भी किया जा सकता था I मराठा तथा अब्दालीकी सेनाएँ बराबर टक्कर की थी इसलिए सब कुछ उनके नेतृत्व तथा सैनिकों के मनोबल पर निर्भर करता था जिस क्षण पेशवा के बेटे उत्तराधिकारी विलासराव की मृत्यु हुई, उसने लड़ाई का रूख ही पलट दिया Iउसके चाचा भी शायद शहीद हो गएIइन दो नेताओं की मृत्यु ने मराठा सेना के मनोबल को तोड़ दिया और उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ाI
पर राजेन्द्र ने बताया कि विश्वासराव तो बच गए थे तथा मराठा सेना विजयी रही थीं इसी प्रकार के कथन वाटरलू के युद्ध के बारे में भी कहे जाते हैं Iजिसे नेपोलियन जीत सकता थाI
फिर राजेन्द्र ने दूसरी बात स्पष्ट की I हम लोग यथार्थ का अनुभव इंद्रियों की मदद से सीधे करते हैं Iपर यह अनुभव उसी पर निर्भर करता है जो हम देख पाते हैंI इस यथार्थ के दूसरे रूप भी होते हैं Iअणु तथा उनके अन्दर के कणों का उदाहरण लोI उनका व्यवहार कभी भी पहले से निश्चित रूप से बताया नहीं जा सकता I यदि कहीं से एक इलेक्ट्रॉन छोड़ा जाए, तो वह किसी एक निश्चित दिशा में नहीं जाएगा जैसे बंदूक की गोली जाती है Iएक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनइस जगह पाया जाता है तो दूसरे क्षेत्र प्रदेश में दूसरे स्थान पर Iदेखने वाला तो अपना अनुभव एक ही जानकारी पर आधारित करता है I पर अन्य क्षेत्र भी तो अस्तित्व में होते हैं इलेक्ट्रॉन अधिक ऊर्जा से कम ऊर्जा वाले स्तर में छलाँग लगाता है ऐसे स्थान परिवर्तन सामान्य होते हैं Iदूसरे शब्दों में प्रोफेसर ने भी एक दुनिया से दूसरी में छलाँग लगा दी थी तथा पुनः वापस आ गए थे Iजहाँ तक वास्तविकता का प्रश्न था, सभी विकल्प सही होते हैं पर देखने वाले को एक समय में उनमें से एक ही दिखाई देता हैI
प्रोफ़ेसर गेटान्डे ने इतिहास की दो जगहों का अनुभव लिया था, पर एक बार में एक ही समय का अनुभव लियाI एक तो उनकी वर्तमान दुनिया थी दूसरी वह जहाँ उन्होंने दुर्घटना के पश्चात 2 दिन गुजारे थे उन्होंने न तो अतीत की यात्रा की, नही भविष्य की I वह तो वर्तमान में रह रहे थे, दूसरी दुनिया वह थी जहाँ उन्होंने दुर्घटना के बाद दो दिन गुजारे थेI वह थे तो वर्तमान में पर अनुभव उस भिन्न स्थिति का ले रहे थे जो पैदा हो सकती थीI
पर प्रोफेसर ने जानना चाहा कि उन्होंने यह स्थान परिवर्तन किया क्यों I राजेन्द्र ने बताया कि दुर्घटना के समय वह विनाश के कगार वाली थ्योरी के विषय में सोच रहे थे I शायद वह पानीपत के युद्ध के परिणाम के बारे में सोच रहे थे Iप्रोफेसर ने स्वीकार किया वह सोच-सोच कर परेशान थे कि यदि पानीपत की लड़ाई का परिणाम उल्टा होता तो इतिहास क्या करवट ले लेता Iवास्तव में यही तो उनके 1000वें अध्यक्षीय भाषण का विषय होना था पर वह अब अपना हजारवाँभाषण नहीं देंगे Iउन्होंने यह प्रयास आजाद मैदान में भाषण देकर किया था पर वहाँ उन्हें दूर कर दिया गया था Iइसलिए अब उन्होंने पानीपत गोष्टी के आयोजकों को सूचित कर दिया है कि वह पहुँचने में असमर्थ हैI
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