NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

By | June 4, 2022

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Patjhar Me Tuti Patiya Class 10 को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

प्रश्न अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एकदो पंक्तियों में दीजिए

I.1. शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?

उत्तर:- शुद्ध सोने में कोई मिलावट नहीं होती, लेकिन गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है। शुद्ध सोने की तुलना में गिन्नी का सोना अधिक मजबूत और उपयोगी होता है।

2. प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

उत्तर:- प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट उन्हें कहा जाता है, जो शुद्ध आदर्शों में व्यवहारिकता मिला देते है।

3. पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

उत्तर:- पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने के समान है | शुद्ध आदर्श में व्यावहरिकता मिली नहीं होती और शुद्ध आदर्श वाले लोग सिर्फ अपने बारे में नहीं बल्कि दूसरों के बारे में भी सोचते हैं |

II.4. लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है?

उत्तर:- लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड इंजन लगने की बात इसलिए कही क्योंकि वहां के लोग हमेशा काम में ही लगे रहते हैं | वह एक महीने का काम एक दिन में ख़त्म करने की कोशिश करते हैं |।

5. जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?

उत्तर:- जापानी में चाय पीने की विधि को “चा-नो-यू” कहते हैं जिसका अर्थ है – ‘टी-सेरेमनी’।

6. जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?

उत्तर:- जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है वही लकड़ी की दीवारें और चटाई की ज़मीन है | यहाँ पर सबका स्वागत होता है और सारा काम बहुत ही गरिमा से होता है | वह पर इतनी शांति होती है की सब कुछ सुनाई देता है|

लिखित

() निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

I.1. शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?

उत्तर:- शुद्ध सोना बहुत कीमती होता है। ताँबे के साथ मिलकर यह ताँबे के महत्व को बढ़ा देता है। जबकी दूसरी ओर ताँबा सोने की कीमत को घटा देता है। शुद्ध आदर्श जब व्यावहारिकता के साथ मिलता है तो इससे व्यावहारिकता की कीमत बढ़ जाती है। लेकिन व्यावहारिकता का ठीक उलटा प्रभाव पड़ता है। इसलिए शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई है।

II.2. चाजीन ने कौनसी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं?

उत्तर:- चाजीन ने मेहमानों का स्वागत करने से लेकर उसे उनके सामने रखने तक की सभी क्रियाएं बहुत ही शांतिपूर्ण और गरिमापूर्ण ढंग से पूरी की। सबसे पहले उसने प्रेमपूर्वक मेहमानों का स्वागत किया, उन्हें बैठने की जगह दिखाई, फिर चाय बनाने के लिए अंगीठी सुलगाकर शांतिपूर्वक चाय बनाई। उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जय-जयवंती के सुर गूंज रहे हों।

3. ‘टीसेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?

उत्तर:-टी-सेरेमनी’ में सिर्फ तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था क्योंकि इस विधि में सबसे मुख्य चीज होती है शांति; और उस छोटी-सी पर्णकुटी में शांति बनाए रखने के लिए भीड़ जमा करना और बातें करना वर्जित था। वहां व्यक्ति को अपने भविष्यकाल और भूतकाल को भुलाकर कुछ समय शांति से बैठाया जाता था और दुनिया की भीड़ भाड़ से परे कुछ क्षण अपने वर्तमान को जीने का मौका दिया जाता था।

4. चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?

उत्तर:- चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया कि जैसे उसके दिमाग की गति मंद हो गई हो। धीरे-धीरे उसका दिमाग चलना बंद हो गया हो उसे सन्नाटे की आवाजें भी सुनाई देने लगीं। उसे लगा कि मानो वह अनंतकाल से जी रहा है। वह भूत और भविष्य दोनों का चिंतन न करके वर्तमान में जी रहा हो। उसे वह पल सुखद लगने लगे।

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() निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

I.1. गांधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए।

उत्तर:- यह कथन पूर्णत: सत्य है कि गांधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने  नमक कानून तोड़ा, दांडी यात्रा की, असहयोग आंदोलन किया, स्वदेशी आंदोलन किया जो इस बात की पुष्टि करता है कि वे आदर्शवादी थे। उनके इसी आदर्शवादिता ने ही तो शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध लोगों को संगठित किया।  गांधीजी ने सत्य और अहिंसा जैसे शाश्वत मूल्य समाज को दिया है।

2. आपके विचार से कौनसे ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- मेरे विचार से ये मूल्य शाश्वत हैं- सत्य, अहिंसा, दया, प्रेम, भाईचारा, त्याग, परोपकार, मीठी वाणी, मानवीयता इत्यादि। वर्तमान समाज में इन मूल्यों की प्रासंगिकता बनी हुई है। जहाँ- जहाँ और जब-जब इन मूल्यों में गिरावट आई है वहाँ तब-तब समाज का नैतिक पतन हुआ है। भले ही आज हम तकनीकी क्षेत्र में विकसित हो चुके हों पर अभी भी हम हर रोज़ इन मूल्यों के गिरावट से होने वाले कुपरिणामों को देख सकते हैं।

3. अपने जीवन की किसी घटना का उल्लेख कीजिए जब –

(). शुद्ध आदर्श से आपको हानिलाभ हुआ हो।

(). शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।

उत्तर:- (). मैंने अपने जीवन का आदर्श बनाया है-सत्यवादिता। मेरी हर संभव यही कोशिश रहती है कि झूठ न बोलूं। मेरे एक पड़ोसी दहेज के लिए अपनी बहू को मारते-पीटते रहते थे। एक बार किसी ने 100 नं. पर फ़ोन करके पुलिस को बुला लिया। मैंने पुलिस को सही-सही बता दिया। इससे वे अब तक नाराज हैं। अब वे हर समय मेरा अहित करने की फिक्र में रहते हैं।

(). एक बार जब मेरा ही प्रिय मित्र परचे बनाकर परीक्षा में नकल करने वाला था, तब शुद्ध आदर्शों के बतौर मैं उसके माता-पिता को इससे अवगत करा सकता था; लेकिन इससे हमारी मित्रता पर विपरीत असर पड़ सकता था। इस कारण मैंने ऐसा न करके, उसके सारे परचे एक दिन पहले ही फेंक दिए और उसे समझाया कि उसे अच्छी तरह पढ़ाई करनी चाहिए।

4. ‘शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना’, गांधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:-आदर्श शुद्ध सोने की ही भाँति ही होते हैं। ताँबा मिला सोना मिलावटी है। गाँधीजी ने जीवन भर आदर्शों का पालन किया। वे एक कदम भी आदर्शों के बिना उठाने के लिए तैयार नहीं हुआ करते थे। वे व्यावहारिकता में आदर्शों की स्थापना करते थे एवं आदर्श का महत्व बना रहे इसका ध्यान रखते थे ताकि लोग भी अपने व्यावहारिक जीवन में आदर्शों को महत्व दें और समाज का उत्थान हो सके। जिस प्रकार ताँबा सोने का साथ पाकर महत्व पा जाता है क्योंकि कीमत सोने की होती है उसी प्रकार व्यावहारिकता में आदर्शों की स्थापना आदर्श का महत्व बनाए रखती है। वे जानते थे कि बिना व्यावहारिक हुए जीवन नहीं चल सकता है पर उसमें आदर्शों की स्थापना होने पर ही समाज उन्नति की ओर बढ़ता है। यदि सिर्फ व्यावहारिक ही रहते तो उन्हें भी स्वार्थी  – केवल अपना नफ़ा-नुकसान सोचकर काम करनेवाला- ही कहा जाता।

5. ‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पलपल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है?

उत्तर:-‘गिन्नी को सोना’ पाठ के आधार पर यह स्पष्ट है कि जीवन में आदर्शवादिता का ही अधिक महत्त्व है। अगर व्यावहारिकता को भी आदर्शों के साथ मिला दिया जाए, तो व्यावहारिकता की सार्थकता है। समाज के पास जो आदर्श रूपी शाश्वत मूल्य हैं, वे आदर्शवादी लोगों की ही देन हैं। व्यवहारवादी तो हमेशा लाभ-हानि की दृष्टि से ही हर कार्य करते हैं।

II.6. लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्याक्या कारण बताए?आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर:- प्रस्तुत कविता में लेखक ने बताया है कि जापानी लोग अमेरिका से प्रतिस्पर्धा करने लगे है। एक महीने का काम एक दिन में पूरा करने की कोशिश करते है। उनके दिमाग की रफ्तार भी तेज ही रहती है। इस भागदौड़ भरे जीवन में उनके पास अपने स्वास्थ्य के लिए भी समय नहीं होता और ना ही वे वर्तमान समय में जी पाते है। उनका दिमाग व शरीर कंप्यूटर की तरह बहुत ही अधिक तेजी से चलता है और इस कारण अंत में उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।

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7. लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:-:–  जो समय बीत गया वह आता नहीं है और भविष्य यथार्थ न होकर सपना मात्र होता है। हम या तो अतीत में उलझे रहते हैं या भविष्य के सपनों में और इस प्रकार भूत या भविष्य काल में जीते हैं। असल में दोनों काल मिथ्या हैं क्योंकि एक चला गया दूसरा आया नहीं इसलिए लेखक ने कहा – ‘वर्तमान ही सत्य है उसी में जीना चाहिए।’

() निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

I.1. समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।

उत्तर:- प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि आदर्शवादी लोग ही  समाज को बेहतर तथा स्थायी जीवन तथा  शाश्वत मूल्य देते हैं। वे बताते हैं कि लोगों के लिए जीने की कौन-कौन-सी राहें ठीक हैं जिससे समाज आदर्श रूप में रह सकता है।

2. जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरेधीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझबूझ ही आगे आने लगती है।

उत्तर:- जब आदर्श और व्यवहार में से लोग व्यावहारिकता को प्रमुखता देने लगते हैं और आदर्शों को भूल जाते हैं तब आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी होने लगती है। “प्रैक्टिकल आइडियालिस्टक” लोगों के जीवन में स्वार्थ व अपनी लाभ-हानि की भावना उजागर हो जाती है। ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ एक ऐसा व्यक्तित्व है जिसमें आदर्श एवं व्यवहार का संतुलन होता है लेकिन यदि आज के समाज को ध्यान में रखे तो इस शब्द में व्यावहारिकता को इतना महत्त्व दे दिया जाता है कि उसकी आदर्शवादी विचारधारा अदृश्य होकर केवल व्यावहारिकता के रूप में ही दिखाई देने लगती है। आदर्श व्यवहार के उस स्तर पर जाकर अपनी गुणवत्ता खो देता है और धीरे-धीरे आदर्श मूल व्यवहार के हाथों समाप्त हो जाता है।

II.3. हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने जापानियों के जीवन का वर्णन किया है। जापान के लोग अमेरिका व बाकी देशों से होड़ करने में लगे हैं और इसकी वजह से वे सामान्य जीवन न जीकर बहुत ही देश गति से दौड़ रहे हैं। इस भागदौड़ भरे जीवन में उनके पास ना अपने व अपनों के लिए समय है, ना रिश्ते-नाते और ना ही अच्छा स्वास्थ्य। इन्हीं कारणों की वजह से जापानियों में मानसिक बीमारियां बहुत आम है।

4. सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गुँज रहे हों।

उत्तर:-लेखक जब अपने मित्रों के साथ जापान की ‘टी-सेरेमनी में गया तो चाजीन ने झुककर उनका स्वागत किया। लेखक को वहाँ का वातावरण बहुत शांतिमय प्रतीत होता है। लेखक देखता है कि वहाँ की सभी क्रियाएँ अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से की गईं। चाजीन द्वारा लेखक और उसके मित्र का स्वागत करना, अँगीठी जलाना, चायदानी रखना, बर्तन लगाना, उन्हें तौलिए से पोंछना, चाय डालना आदि सभी क्रियाएँ मन को भाने वाली थीं। यह देखकर लेखक भाव-विभोर हो गया। वहाँ की गरिमा देखकर लगता था कि जयजयवंती राग का सुर गूंज रहा हो।।

भाषाअध्ययन

I.1. नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए

व्यावहारिकता, आदर्श, विलक्षण, शाश्वत

उत्तर:- ().सिद्धांत और व्यावहारिकता के मेल से व्यक्ति का व्यवहार अच्छा बन जाता है।

(). अच्छे आदर्शों वाला व्यक्ति ही तरक्की की ओर अग्रसर होता है |

().सुप्रिया  विलक्षण प्रतिभा की धनी है।

().मृत्यु मनुष्य-जीवन का एक शाश्वत सच है।

2. लाभ – हानि ‘ का विग्रह इस प्रकार होगालाभ और हानि

यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए –

मातापिता, पापपुण्य, सुखदुख, रातदिन, अन्नजल, घरबाहर, देशविदेश।

उत्तर:- () माता-पिता = माता और पिता

() पाप-पुण्य = पाप और पुण्य

() सुख-दुःख = सुख और दुःख

() रात-दिन = रात और दिन

() अन-जल = अन और जल

() घर-बाहर = घर और बाहर

() देश-विदेश = देश और विदेश

3. नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए

सफल, विलक्षण, व्यवहारिक, सजग, आदर्शवादी, शुद्ध।

उत्तर:- () सफल = सफलता

() विलक्षण = विलक्षणता

() व्यावहारिक = व्यावहारिकता

() सजग = सजगता

() आदर्शवादी = आदर्शवाद

() शुद्ध = शुद्धता

4. नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए –

() शुद्ध सोना अलग है।

() बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘सोना’ का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है धातु ‘स्वर्ण’। दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है ‘सोना’ नामक क्रिया। अलग अलग सन्दर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्नभिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए –

उत्तर, कर, अंक, नग।

उत्तर:- (). मेरे प्रश्न का उत्तर दो।

राहुल का घर वहां से उत्तर दिशा में है।

(). हमें समय से अपनी आय के कर का भुगतान करना चाहिए।

तुम्हें यह काम अवश्य करना चाहिए।

(). इम्तेहान में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए तुम्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

इस नाटक के तीन अंक है।

(). कमरे में दो नग किसने रखें हैं?

तुम्हारी अंगुठी का नग बहुत सुंदर और चमकीला है।

II.5. नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए –

() 1.अँगीठी सुलगायी।

2.उस पर चायदानी रखी।

() 1. चाय तैयार हुई।

2.उसने वह प्यालों में भरी।

() 1.बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।

2.तौलिये से बरतन साफ किए।

उत्तर:- (). अँगीठी सुलगायी और उस पर चायदानी रखी।

(). चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालों में भरी।

(). बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया और तौलिये से बरतन साफ किए।

6. नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए –

()1. चाय पीने की यह एक विधि है।

जापानी में उसे चानोयू कहते हैं।

()1. बाहर बेढबसा एक मिट्टी का बरतन था।

उसमें पानी भरा हुआ था।

()1. चाय तैयार हुई।

उसने वह प्यालों में भरी।

फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए।

उत्तर:- (). चाय पीने की एक विधि है, जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।

(). बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था, जो पानी से भरा हुआ था।

(). जैसे ही चाय तैयार हुई, वैसे ही उसने प्यालों में भरकर हमारे सामने रख दी।