NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

By | June 4, 2022
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Bade Bhai Sahab Class 10 Question Answers को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

प्रश्न अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एकदो पंक्तियों में दीजिए

1.कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?

उत्तर:- कथा नायक की रुचि खेल-कूद, मैदानों की सुखद हरियाली, कनकौए उड़ाने, कंकरियाँ उछालने, कागज़ की तितलियाँ बनाकर उड़ाने, चहारदीवारी पर चढ़कर ऊपर-नीचे कूदने, फाटक पर सवार होकर मोटर गाडी का आनंद तथा मित्रों के साथ बाहर फुटबॉल और बॉलीबॉल खेलने में थी ।

2. बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?

उत्तर:- जब भी लेखक कहीं बाहर से आते थे, तब बड़े भाई साहब का उनसे हमेशा एक ही सवाल होता था- ‘कहां थे?’

3. दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?

उत्तर:- दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में यह परिवर्तन आया कि वह पहले की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही स्वच्छंद और मनमानी करनेवाला बन गया था।

4. बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौनसी कक्षा में पढ़ते थे?

उत्तर:- बड़े भाई साहब छोटे भाई से पाँच साल बड़े थे और वे छोटे भाई से चार दर्जे आगे अर्थात् नौवीं कक्षा में थे और छोटा भाई पाँचवीं कक्षा में था।

5. बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?

उत्तर:- बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों आदि की तस्वीर बनाते, कभी एक ही शब्द कई बार लिखते तो कभी बेमेल शब्द लिखते, कभी सुन्दर लिखी में शेर लिखते थे।

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लिखित

() निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 पक्तियों में) लिखिए

1.छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइमटेबिल बनाते समय क्याक्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?

उत्तर:- छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई के लिए एक टाइम-टेबिल बनाया जिसमें खेलने का कोई समय नहीं था। रात ग्यारह बजे तक हर विषय का कार्यक्रम बनाया गया परन्तु पढ़ाई करते समय खेल के मैदान, उसकी हरियाली हवा के हलके-हलके झोंके, फुटबॉल की उछलकूद, कबड्डी बालीबॉल की तेज़ी सब चीज़े उसे अपनी ओर खींचती और वह टाइम टेबिल का पालन नहीं कर पाता था।

2. एक दिन जब गुल्लीडंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर:- एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटे भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचे तो उनकी प्रतिक्रिया बहुत भयानक थी। वह बहुत क्रोधित थे। उन्होंने छोटे भाई को बहुत डाँटा। उन्होंने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। गुल्ली-डंडा खेल की उन्होंने बहुत बुराई की। उनके अनुसार यह खेल भविष्य के लिए लाभकारी नहीं है। अतः इसे खेलकर उन्हें कुछ हासिल नहीं होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि अव्वल आने पर उसे घंमड हो गया है। उनके अनुसार घमंड तो रावण तक का भी नहीं रहा। अभिमान का एक-न-एक दिन अंत होता है। अतः छोटे भाई को चाहिए कि घमंड छोड़कर पढ़ाई की ओर ध्यान दे।

3. बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?

उत्तर:- बड़े भाई होने के नाते वे अपने छोटे भाई के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहते थे। उन्हें अपने नैतिक कर्तव्य का ज्ञान था वे अपने किसी भी कार्यों द्वारा अपने छोटे भाई के सामने गलत उदाहरण रखना नहीं चाहते थे जिससे कि उनके छोटे भाई पर बुरा असर पड़े। इसलिए बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छा दबानी पड़ती थी

4. बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?

उत्तर:- बड़े भाईसाहब छोटे भाई को पढाई में रात-दिन आँखें फोड़ने की सलाह देते थे|उन्हें घमंड न करने की सलाह देते हुए मेहनत करने के लिए कहते हैं| वे अनुभव को महत्त्व देते हुए छोटे भाई को अपनी सलाह मानने के लिए कहते थे|बड़े भाईसाहब छोटे भाई को सलाह इसलिए देते थे क्योंकि वे अनुभवी थे और जानते थे कि उनकी सलाह छोटे भाई के काम आएगी और वह अच्छी शिक्षा प्राप्त करने में सफल होगा|

5. छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फायदा उठाया?

उत्तर:- बड़े भाई के नरम व्यवहार का छोटे भाई ने गलत फायदा उठाना शुरू कर दिया। छोटे भाई की स्वच्छंदता बढ़ गई अब वह पढ़ने-लिखने की अपेक्षा सारा ध्यान खेल-कूद में लगाने लगा। उसे लगने लगा कि वह पढ़े या न पढ़े परीक्षा में पास तो हो ही जाएगा। उसके मन में अपने बड़े भाई के प्रति आदर और उनसे डरने की भावना कम होती जा रही थी।

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() निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

1.बड़े भाई की डाँटफटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर:- मेरे अनुसार बड़े भाई की डाँट फटकार का ही अप्रत्यक्ष परिणाम था कि छोटा भाई कक्षा में अव्वल आया। क्योंकि छोटे भाई को वैसे ही पढ़ने लिखने की अपेक्षा खेल-कूद कुछ ज्यादा ही पसंद था। ये तो बड़े भाई के उस पर अंकुश रखने के कारण वह घंटा दो घंटा पढाई कर लेता था जिसके कारण वह परीक्षा में अव्वल आ जाता था।

2. इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौरतरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?

उत्तर:- मैं लेखक के शिक्षा पर किए व्यंग पर पूरी तरह सहमत हूँ । पाठ में बच्चों की व्यावहारिक शिक्षा को पूरी तरह नजर अंदाज किया है। पाठ में बच्चों के ज्ञान कौशल को बढ़ाने की बजाए उसे रट्टू तोता बनाने पर जोर दिया गया है जो कि सर्वाधिक अनुचित है। परीक्षा प्रणाली में आंकड़ों को महत्त्व दिया गया है। बच्चों के सर्वांगीण विकास की ओर शिक्षा प्रणाली कोई ध्यान नहीं देती है।

3. बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?

उत्तर:- बड़े भाई के अनुसार जीवन की समझ किताबी ज्ञान से नहीं बल्कि तजुर्बे और अनुभव से आती है। हमारे बड़े बुजुर्गों को भले ही किताबी ज्ञान ना हो, लेकिन उनके पास जीवन का जो तजुर्बा है वह इस किताबी ज्ञान से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य होता है अपनी समझ को विकसित करना ताकि जीवन में आने वाली हर कठिनाई का सामना सूझ-बूझ और समझदारी से किया जा सके। अत: किताबी ज्ञान से व्यक्ति की सोच विकसित होती है और तजुर्बे अनुभव से जीवन की समझ आती है।

4. छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?

उत्तर:- छोटा भाई बड़े भाई को केवल उपदेशक मानते हुए उनसे भयभीत रहता था तथा उनसे कन्नी काटता था| वार्षिक परीक्षा में लगातार दो वर्ष अव्वल आने तथा भाई साहब के फेल हो जाने पर वह उनकी उपेक्षा करने लगा| जब बड़े भाई ने स्नेह और रोष भरे शब्दों में फटकार लगाई कि उसे घमंड नहीं करना चाहिए| आठवीं कक्षा पास सफल व्यक्तियों का उदाहरण देकर उसकी सफलता को सामान्य बताया , आगे की पढाई की कठिनता के विषय में बताया और जीवन में अनुभव की महत्ता का गुणगान किया, उसे डाँटने के अपने अधिकार के विषय में बताया तथा इस सब के पीछे उसे स्नेह करना तथा सही रास्ते पर चलाकर सफल बनाने की इच्छा बताई तो छोटे भाई के मन में बड़े भाई के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हुई|

5. बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?

उत्तर:- बड़े भाई साहब अध्ययनशील हैं, हमेशा किताबे खोले बैठे रहते हैं, घोर परिश्रमी हैं। चाहे उन्हें समझ में न भी आए परिश्रम करते रहते हैं । वह वाकपदु भी हैं, छोटे भाई को तरह तरह से समझाते हैं। उन्हें बडप्पन का अहसास है। इसलिए वह छोटे भाई को भी समझाते हैं। अनुभवी होने से जीवन में अनुभव की महत्ता समझाते हैं।

6. बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्वपूर्ण कहा है?

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से अनुभव को ज्यादा महत्वपूर्ण कहा है, क्योंकि किताबी ज्ञान और व्यवहारिकता में बहुत अधिक फर्क होता है। असली जिंदगी किताबों से बहुत अलग होती हैं, जो सिर्फ अनुभव और तजुर्बे से समझी जा सकती है। जिस प्रकार भट्टी का ताप कच्चे घड़े को पकाकर मजबूत बना देता है, उसी प्रकार जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियां भी मनुष्य को परिपक्व बना देती है।

7. बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि

(). छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।

(). भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।

(). भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।

(). भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।

उत्तर:- (क). पतंगबाजी के समय बड़े भाई ने समझाया कि वह बड़ा है, उसे गलत राह पर नहीं जाने देगा। वह भले ही फेल हो जाए पर छोटे भाई को फेल नहीं होने देगा। यह सुनकर छोटे भाई के मन मे बड़े भाई के लिए आदर भर आया।

(ख). बड़े भाई साहब हर वक्त पढ़ाई-लिखाई करते रहते थे और बेहद परिश्रमी थे। उन्हें इस चीज का एहसास था कि उनके दादा उनकी पढ़ाई के लिए बहुत अधिक मेहनत करते हैं। उन्हें अपने छोटे भाई के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भी भली-भांति एहसास था। वे अपने छोटे भाई को सही राह दिखाने के लिए अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं को दबा लेते थे। उन्हें अनुभव, तजुर्बे और जीवन की समझ का महत्व भी अच्छी तरह पता था। इन सबसे पता चलता है कि बड़े भाई साहब बहुत ही परिपक्व और समझदार थे।

(ग). बड़े भाई साहब छोटे भाई को समझा रहे थे, उसी समय एक पतंग कट कर आई। छोटा भाई उसे लूटने दौड़ा परन्तु लम्बे होने के कारण बड़े भाई ने लूट ली। वे हॉस्टल की ओर दौड़े। ये उनके भीतर बच्चा होने का प्रमाण है।

(घ). जब भी छोटा भाई खेलने-कूदने और फालतू कामों में लगा रहता था, तब बड़े भाई साहब उसे डांटते थे और उसे जीवन में पढ़ाई-लिखाई व समय का महत्व समझाते थे। वे उसे हमेशा डराते-धमकाते रहते थे, ताकि वह उनके डर से पढ़-लिख ले और अपना समय व्यर्थ न गवांकर किसी काबिल बन जाए। इससे यह साफ ज़ाहिर होता है कि बड़े भाई साहब अपने छोटे भाई का भला चाहते थे।

() निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

1.इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज नहीं, असल चीज है बुद्धि का विकास।

उत्तर:- इस पंक्ति का आशय यह है कि केवल परीक्षा पास कर लेने से आप जीवन में सफलता प्राप्त कर ही लेंगे यह जरुरी नहीं है। असल ज्ञान तो बुद्धि के सही विकास से होता है और बुद्धि का सही विकास अनुभव और व्यवहार से होता है जिससे जीवन को पूर्णता प्राप्त होती है।

2. फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुडकियाँ खाकर भी खेलकूद का तिरस्कार न कर सकता था।

उत्तर:- लेखक हर समय अपने खेलकूद, सैरसपाटे में मस्त रहता और बड़े भाई से डाँट खाता था परन्तु फिर भी खेलकूद नहीं छोड़ता था। जैसे संकटों में फँसकर भी मनुष्य अपनी मोहमाया नहीं छोड़ता है उसी प्रकार छोटा भाई खेलकूद को नहीं छोड़ता था।

3. बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने?

उत्तर:- इस पंक्ति का आशय यह है कि हम जिस प्रकार मकान को मजबूती प्रदान करने के लिए उसकी नींव को मजबूत बनाते है ठीक उसी प्रकार मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षा रूपी नींव की मजबूती अति आवश्यक है।

4. आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्तियों का आशय है कि लेखक पतंग लूटने में इतना मंत्र-मुग्ध था कि दुनिया से बेखबर होकर वह लगातार उस पर नजरें गड़ाए आसमान की ओर मुख करते हुए दौड़ता चला जा रहा था, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह अपने-आप ही पतंग की और खींचता चला जा रहा है।

भाषाअध्ययन

1.निम्नलिखित शब्दों के दोदो पर्यायवाची शब्द लिखिए –

नसीहत, रोष, आजादी, राजा, ताजुब्ब।

उत्तर:- नसीहतसलाह, उपदेश।

रोष – गुस्सा द्वेष।

आजादी – स्वतंत्रता, स्वाधीनता।

राजा – शासक, बादशाह।

ताजुब्ब – आश्चर्य, हैरानी।