NCERT Solutions Chapter 11 बालगोबिन भगत | Question Answer in Hindi for Class 10 Kshitij

By | September 1, 2023

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NCERT Solutions Chapter 11 बालगोबिन भगत

प्रश्नअभ्यास

प्रश्न 1. खेतीबाड़ी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

उत्तर: बालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से युक्त परिवार, खेतीबारी और साफ़-सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी-खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।

प्रश्न 2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

उत्तर: भगत की पुत्रवधू जानती थी कि भगत जी संसार में अकेले हैं। उनका एकमात्र पुत्र मर चुका है। भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि भगत के बुढ़ापे का वह एकमात्र सहारा थी। उसके चले जाने के बाद भगत की देखभाल करने वाला और कोई नहीं था।

प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?

उत्तर: बेटे की मृत्यु पर भगत ने पुत्र के शरीर को एक चटाई पर लिटा दिया, उसे सफेद चादर से ढक दिया तथा वे कबीर के भक्ति गीत गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त करने लगे। भगत ने अपने पुत्रवधू से कहा कि यह रोने का नहीं बल्कि उत्सव मनाने का समय है| विरहिणी आत्मा अपने प्रियतम परमात्मा के पास चली गई है| उन दोनों के मिलन से बड़ा आनंद और कुछ नहीं हो सकती| इस प्रकार भगत ने शरीर की नश्वरता और आत्मा की अमरता का भाव व्यक्त किया|

प्रश्न 4. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: बालगोबिन भगत साठ वर्ष से अधिक उम्र वाले गोरे-चिट्टे इंसान थे। उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे। उनका चेहरा सफ़ेद बालों से जगमगाता रहता था। कपड़ों के नाम पर उनके शरीर पर एक लँगोटी और सिर पर कनफटी टोपी धारण करते थे बालगोबिन भगत और गले में तुलसी की बेडौल माला पहने रहते थे। उनके माथे पर रामानंदी टीका सुशोभित होता था। सरदियों में वे काली कमली ओढ़े रहते थे।भगत जी का व्यक्तित्व गायक भक्तों जैसा था। वे सदा खैजड़ी की लय पर प्रभु-भक्ति के गाने गाते रहते थे। उनकी तल्लीनता सुनने वालों को बरबस अपनी ओर खींच लेती थी।

प्रश्न 5.बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

उत्तर: बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण इसलिए बन गई थी क्योंकि वे जीवन के सिद्धांतों और आदर्शों का अत्यंत गहराई से पालन करते हुए उन्हें अपनेआचरण में उतारते थे। वृद्ध होते हुए भी उनकी स्फूर्ति में कोई कमी नहीं थी। सर्दी के मौसम में भी, भरे बादलों वाले भादों की आधी रात में भी वे भोर में सबसे पहले उठकर गाँव से दो मील दूर स्थित गंगा स्नान करने जाते थे, खेतों में अकेले ही खेती करते तथा गीत गाते रहते। विपरीत परिस्थिति होने के बाद भी उनकी दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आता था। एक वृद्ध में अपने कार्य के प्रति इतनी सजगता को देखकर लोग दंग रह जाते थे।

प्रश्न 6. पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर: भगत जी कबीर के गीत गाते थे। वे बहुत मस्ती से गाया करते थे।कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते थे , उनका स्वर बहुत मधुर था। उनके गीत सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें उस गीत को गुनगुनाने लगतीं थी। उनके गीत का मनमोहक प्रभाव सारे वातावरण में छा जाता था।।

प्रश्न 7. कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: यह सत्य है कि बालगोबिन भगत का अंतर्मन ही उन्हें आदेश देता था। वे समाज की मान्यताओं पर विश्वास नहीं करते थे। समाज की मान्यता है कि पति की चिता को पत्नी आग नहीं दे सकती। पत्नी को चाहिए कि वह पति की मृत्यु के बाद विधवा बनकर सास-ससुर की सेवा में दिन बिताए। बालगोबिन ने इन दोनों मान्यताओं के विरुद्ध व्यवहार किया। उन्होंने अपने बेटे की चिता को पतोहू के हाथों से ही आग दिलवाई। उसके बाद उन्होंने पतोहू को दूसरे विवाह के लिए स्वयं उसके भाइयों के साथ वापस भेज दिया।

बालगोबिन भगत ने समाज की देखादेखी पुत्र की मृत्यु पर शोक भी नहीं मनाया। उन्होंने पुत्र की मृत्यु को परमात्मा से मिलन का उत्सव माना। इसलिए वे शोक मनाने की बजाय प्रभु-भक्ति के गीतों में तल्लीन हो गए। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को भी शोक न मनाने की सलाह दी।

प्रश्न 8.धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह चमत्कृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्दचित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: आषाढ़ की रिमझिम फुहारों के बीच खेतों में धान की रोपाई चल रही थी। बादल से घिरे आसमान में, ठंडी हवाओं के चलने के समय अचानक खेतों में से किसी के मीठे स्वर गाते हुए सुनाई देते हैं। बालगोबिन भगत के कंठ से निकला मधुर संगीत वहाँ खेतों में काम कर रहे लोगों के मन में झंकार उत्पन्न करने लगा। स्वर के आरोह के साथ एक-एक शब्द जैसे स्वर्ग की ओर भेजा जा रहा हो। उनकी मधुर वाणी को सुनते ही लोग झूमने लगते हैं, स्त्रियाँ स्वयं को रोक नहीं पाती है तथा अपने आप उनके होंठ काँपकर गुनगुनाते लगते हैं। हलवाहों के पैर गीत के ताल के साथ उठने लगे। रोपाई करने वाले लोगों की उँगलियाँ गीत की स्वरलहरी के अनुरूप एक विशेष क्रम से चलने लगीं बालगोबिन भगत के गाने सेसंपूर्ण सृष्टि मिठास में खो जाती है।।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 9. पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किनकिन रूपों में प्रकट हुई है?

उत्तर: बालगोबिन भगत कबीर के प्रति असीम श्रद्धा रखते थे। उन्होंने अपनी श्रद्धा को निम्न रूपों में व्यक्त किया उन्होंने स्वयं को कबीर-पंथ के प्रति समर्पित कर दिया। वे अपना जीवन कबीर के आदेशों पर चलाते थे। भगत जी कबीर के गीत गाते थे। वे बहुत मस्ती से गाया करते थे।कबीर के पद उनके कंठ से निकलकर सजीव हो उठते थे , उनका स्वर बहुत मधुर था। उनके गीत सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें उस गीत को गुनगुनाने लगतीं थी। उनके गीत का मनमोहक प्रभाव सारे वातावरण में छा जाता था।कबीर ने गृहस्थी करते हुए संसार के आकर्षणों से दूर रहने की सलाह दी थी। बालगोबिन भगत ने भी यही किया। उन्होंने खेतीबारी करते हुए कभी लोभ-लालच, स्वार्थ या आडंबर-भरा जीवन नहीं जिया। जैसे कबीर अपने व्यवहार में खरे थे, उसी प्रकार बालगोबिन भगत भी व्यवहार में खरे रहे।

प्रश्न 10.आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे?

उत्तर:भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के निम्नलिखित कारण रहे होंगे

  1. कबीर का आडम्बरों से रहित सादा जीवन
  2. सामाजिक कुरीतियों का अत्यंत विरोध करना
  3. कामनायों से रहित कर्मयोग का आचरण
  4. ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम
  5. भक्ति से परिपूर्ण मधुर गीतों की रचना
  6. आदर्शों को व्यवहार में उतरना

प्रश्न 11. गाँव का सामाजिकसांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता है?

उत्तर: भारत कृषि प्रधान देश है। यहाँ के गाँव कृषि पर आधारित हैं। कृषि वर्षा पर आधारित है। वर्षा आषाढ़ मास में शुरू होती है। इसलिए आषाढ़ मास में गाँववासी बहुत प्रसन्न नज़र आते हैं। वे साल-भर आषाढ़ मास की प्रतीक्षा करते हैं ताकि खेतों में धान रोप सकें। उन दिनों बच्चे भी खेतों की गीली मिट्टी में लथपथ होकर आनंद-क्रीड़ा करते हैं। औरतें नाश्ता परोसकर किसानों का भरपूर सहयोग करती हैं। किसान हल जोतते हैं तथा दिन-भरं बुवाई करते हैं। वे सभी फसलों की आशा में उल्लास से भरे जाते हैं। इन्हीं दिनों गाँव का सामाजिक वातावरण सांस्कृतिक रंगों से ओतप्रोत हो उठता है।

प्रश्न 12. ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बालगोबिन भगत साधु थे।क्या साधुकी पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति साधुहै?

उत्तर:एक साधु की पहचान उसके पहनावे से नहीं बल्कि उसके अचार – व्यवहार तथा उसकी जीवन प्रणाली पर आधारित होती है। यदि व्यक्ति का आचरण सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, त्याग, लोक-कल्याण आदि से युक्त है, तभी वह साधु है। साधु का जीवन सात्विक होता है। उसका जीवन भोग-विलास की छाया से भी दूर होता है। उसके मन में केवल इश्वर के प्रति सच्ची भक्ति होती है।

प्रश्न 13. मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?

उत्तर:मोह और प्रेम में निश्चित अंतर होता है मोह में मनुष्य केवल अपने स्वार्थ की चिंता करता प्रेम में वह अपने प्रियजनों का हित देखता है भगत को अपने पुत्र तथा अपनी पुत्रवधू से अगाध प्रेम था। परन्तु उसके इस प्रेम ने प्रेम की सीमा को पार कर कभी मोह का रुप धारण नहीं किया। दूसरी तरफ़ वह चाहते तो मोह वश अपनी पुत्रवधू को अपने पास रोक सकते थे परन्तु उन्होंने अपनी पुत्रवधू को ज़बरदस्ती उसके भाई के साथ भेजकर उसके दूसरे विवाह का निर्णय किया।इस घटना द्वरा उनका प्रेम प्रकट होता है। बालगोबिन भगत ने भी सच्चे प्रेम का परिचय देकर अपने पुत्र और पुत्रवधू की खुशी को ही उचित माना।।

भाषाअध्ययन

प्रश्न 14. इस पाठ में आए कोई दस क्रियाविशेषण छाँटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए।

उत्तर:1.वह जब-जब सामने आता।

जब-जब-कालवाची क्रियाविशेषण

सामने-स्थानवाची क्रियाविशेषण

2.तब तक मुझमें वह ज्ञान भी नहीं था।

तब तक-कालवाची क्रियाविशेषण

3.कपड़े बिल्कुल कम पहनते।

बिल्कुल कम-परिमाणवाचक क्रियाविशेषण

4.भोर में लोगों ने गीत नहीं सुना।

नहीं-रीतिवाचक क्रियाविशेषण

5.न किसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते।

खामखाह-रीतिवाचक क्रियाविशेषण

6.वे दिन-दिन छीजने लगे।

दिन-दिन-कालवाची क्रियाविशेषण

7.जो सदा-सर्वदा सुनने को मिलते।

सदा-सर्वदा-कालवाची क्रियाविशेषण ।

8.धान के पौधे को पंक्तिबद्ध खेत में बिठा रही है।

पंक्तिबद्ध-रीतिवाचक क्रियाविशेषण

9.बँजड़ी डिमक-डिमक बज रही है।

डिमक-डिमक-रीतिवाचक क्रियाविशेषण

10.इन दिनों वे सवेरे ही उठते।

सवेरे ही-कालवाची क्रियाविशेषण।