NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 पद

By | June 3, 2022
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 पद

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 पद यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 पद

प्रश्नअभ्यास

1.गोपियों द्वारा उध्दव को भाग्यवान कहने मे क्या व्यंग्य निहित है?

उत्तर – गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे कृष्णरूपी सौन्दर्य तथा प्रेम-रस के सागर के सानिध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित हैं। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।

2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किसकिस से की गई है?

उत्तर – गोपियों ने उध्दव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की है-

उद्धव के व्यवहार की तुलना दो वस्तुओं से की गई है|

कमल के पत्ते से जो पानी में रहकर भी गीला नहीं होता है।

तेल में डूबी गागर से जो तेल के कारण पानी से गीली नहीं होती है।

3. गोपियों ने किनकिन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

उत्तर–  गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों से उध्दव को उलाहने दिए है

  • गोपियाँ उध्दव को कमल का पत्ता कहती है जिस प्रकार पानी मे रहते हुए भी डूबने से बचा रहता है, उसी प्रकार उध्दव भी कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी कृष्ण प्रेम में डूबनेसे बचे रहते है।
  • गोपियाँ उध्दव को तेल से भरी गगरी कहकर उलाहती है जिस प्रकार जल के मध्य रहते हुए भी कमल के पत्ते को जल से कोई प्रभाव नहीं होता ठीक उसी प्रकार उध्दव को भी कृष्ण के बीच रहते हुए भी कृष्ण प्रेम का कोई प्रभाव नहीं होता।
  • गोपियाँ उध्दव को ‘बड़भागी’ कहती है जो कृष्ण के संग रहते हुए भी कृष्ण प्रेम के बंधनो से पूर्णतया मुक्त है।
  • गोपियों को उध्दव की योग साधना की बाते कड़वी ककरी के समान लगती है क्योकि वो कृष्ण प्रेम मे अपना सर्वस्व न्यौछावर कर चुकी है।
  • गोपियाँ उध्दव को यह कहकर भी 3लाहती है कि वह प्रेम रूपी नदी मे पाँव डुबाकर भी प्रभाव रहित है।

4. उध्दव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

उत्तर– श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर गोपियाँ पहले से विरहाग्नि में जल रही थीं। वे श्रीकृष्ण के प्रेम-संदेश और उनके आने की प्रतीक्षा कर रही थीं। ऐसे में श्रीकृष्ण ने उन्हें योग साधना का संदेश भेज दिया जिससे उनकी व्यथा कम होने के बजाय और भी बढ़ गई । इस तरह उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेशों ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम किया।

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5. ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौनसी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

उत्तर – प्रेम की यही मर्यादा है कि प्रेमी और प्रेमिका दोनों प्रेम को निभाएँ। वे प्रेम की सच्ची भावना को समझें और उसकी मर्यादा की रक्षा करें। परंतु कृष्ण ने गोपियों से प्रेम निभाने की बजाय उनके लिए नीरस योग-संदेश भेज दिया, जो कि एक छलावा था, भटकाव था। इसी छल को गोपियों ने मर्यादा का उल्लंघन कहा है।

6. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियो ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?

उत्तर – कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को गोपियों ने निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त किया है-

गोपियों ने स्वयं की तुलना गुड़ (कृष्ण प्रेम) से लिपटी चींटी से की है जो केवल एक ही चींज को अपना आधार माने उससे चिपटी हुई है और फिर अपने को उस चीज से ना छुड़ा पाने के कारण उसी पर अपने प्राण त्याग देती है।

गोपियों ने स्वयं को हारिल पक्षी बाताया है और नंदलाल को लकड़ी जिस प्रकार हारिल पक्षी किसी भी स्थिति मे अपने द्वारा पकड़ी लकड़ी नहीं छोड़ता उसी प्रकार गोपियों ने कृष्ण को अपने हृदय में बसा लिया है और अब वह किसी भी स्थिति में कृष्ण को नहीं छोड़ने वाली है।

गोपियाँ कहती है कि वह जागते, सोते, स्वप्न मे हर समय कृष्ण नाम की ही रट लगाए रहती है।

7. गोपियों ने उध्दव से योग की शिक्षा कैसे लोगो को देने की बात कही है?

उत्तर – गोपियों ने उद्धव को कहा है कि वे योग की शिक्षा ऐसे लोगों को दें जिनके मन स्थिर नहीं हैं। जिनके हृदयों में कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम नहीं है। जिनके मन में भटकाव है, दुविधा है, भ्रम है और चक्कर हैं।

8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योगसाधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

उत्तर – गोपियों के अनुसार योग-साधना उन लोगो के लिए है जिनका मन अस्थिर व चंचल हो।प्रस्तुत पदों में योग-साधना के ज्ञान को निरर्थक बताया गया है। यह ज्ञान गोपियों के अनुसार अव्यवाहरिक और अनुपयुक्त है। उनके अनुसार यह ज्ञान उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि ये एक बीमारी है। वो भी ऐसा रोग जिसके बारे में तो उन्होंने पहले कभी न सुना है और न देखा है। इसलिए उन्हें इस ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। उन्हें योग का आश्रय तभी लेना पड़ेगा जब उनका चित्त एकाग्र नहीं होगा। परन्तु कृष्णमय होकर यह योग शिक्षा तो उनके लिए अनुपयोगी है। उनके अनुसार कृष्ण के प्रति एकाग्र भाव से भक्ति करने वाले को योग की ज़रूरत नहीं होती।

9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए।

उत्तर – गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा की खुशी मे खुश होना तथा प्रजा के हित मे काम करना होना चाहिए।

10. गोपियों को कृष्ण मे ऐसे कौन से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वह अपना मन वापस पा लेने की बात कहती है?

उत्तर – उनके अनुसार श्री कृष्ण द्वारका जाकर राजनीति के विद्वान हो गए हैं। जो उनके साथ राजनीति का खेल खेल रहे हैं। उनके अनुसार श्री कृष्ण पहले से ही चतुर थे अब तो ग्रंथो को पढ़कर औऱ भी चतुर बन गए हैं। द्वारका जाकर तो उनका मन बहुत बढ़ गया है, जिसके कारण उनहोंने गोपियों से मिलने के स्थान पर योग की शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिया है। श्री कृष्ण के इस कदम से उनका हृदय बहुत आहत हुआ है अब वह अपने को श्री कृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती हैं।

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11. गोपियों ने अपने वाक्चतुर्य के आधार पर ज्ञानी च्छव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर– गोपियों की वाक्चातुर्य की विशेषताऍं निम्नलिखित है

गोपियाँ वाक्चतुर हैं। वे बात बनाने में किसी को भी पछाड़ देती हैं। यहाँ तक कि ज्ञानी उद्धव उनके सामने गैंगे होकर खड़े रह जाते हैं। कारण यह है कि गोपियों के हृदय में कृष्ण-प्रेम का सच्चा ज्वार है। यही उमड़ाव, यही जबरदस्त आवेग उद्धव की बोलती बंद कर देता है। सच्चे प्रेम में इतनी शक्ति है कि बड़े-से-बड़ा ज्ञानी भी उसके सामने घुटने टेक देता है।

12. संकलित पदों को ध्यान मे रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मख्य विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर–  भ्रमरगीत की विशेषताएँ निम्नलिखित है –

  • संगीतात्मकता का गुण पाठक को भ्रमरगीत से जोड़े हुए था।
  • अनुप्रास, उपमा, रूपक अलंकारो की छ्टा ने गीत मे चार-चाँद लगा दिए।
  • गोपियों की विरह वेदना का मार्मिक वर्णन।
  • गोपियों की तर्कशक्ति का चित्रण।
  • भाषा की प्रवाहमयता की अनूठी झलक।
  • शुद्ध ब्रजभाषा का प्रयोग।
  • भाषा की सरलता और सरसता की झलक।

रचना और अभिव्यक्ति

13. गोपियो ने उध्दव के सामने तरहतरह के तर्क दिए, आप अपनी कल्पना से और तर्क दिजिए।

उत्तर – गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं। हम भी निम्नलिखित तर्क दे सकते हैं −

(i) कृष्ण की प्रवृत्ति भौंरे के समान है। एक जगह टिककर नहीं रह सकते। प्रेम रस को पाने के लिए अलग-अलग डाली पर भटकते रहते हैं।

(ii) उद्धव पर कृष्ण का प्रभाव तो पड़ा नहीं परन्तु लगता है कृष्ण पर उद्धव के योग साधना का प्रभाव अवश्य पड़ गया है।

(iii) निर्गुण अर्थात् जिस ब्रह्म के पास गुण नहीं है उसकी उपासना हम नहीं कर सकते हैं।

14. उध्दव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों मे ऐसी कौन सी शक्ति थी जो उनके वाक्यचातुर्य मे मुखरित हो उठी ?

उत्तर – भक्ति एवं प्रेम मे सर्वाधिक शक्ति होती है, और यह शक्ति गोपियों मे समाई हुई थी इसलिए उद्धव जैसा ज्ञानी भी गोपियों के तर्कों के आगे न टिक सका।

15. गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए है? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति मे नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – जब गोपियों ने देखा कि जिस कृष्ण की वे बहुत समय से प्रतीक्षा कर रही थीं, वे नहीं आए। उसकी जगह कृष्ण से दूर ले जाने वाला योग-संदेश आ गया तो उन्हें इसमें कृष्ण की एक चाल नज़र आई। वे इसे अपने साथ छल समझने लगीं। इसीलिए उन्होंने आरोप लगाया कि हरि हैं राजनीति पढ़ि आए। आज की राजनीति तो सिर से पैर तक छल-कपट से भरी हुई है। किसी को किसी भी राजनेता के वायदों पर विश्वास नहीं रह गया है। नेता बातों से नदियाँ, पुल, सड़कें और न जाने क्या-क्या बनाते हैं किंतु जनता लुटी-पिटी-सी नजर आती है। आज़ादी के बाद से गरीबी हटाओ का नारा लग रहा है किंतु तब से लेकर आज तक गरीबों की कुल संख्या में वृद्धि ही हुई है। इसलिए गोपियों का यह कथन समकालीन राजनीति पर खरा उतरता है।