NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3: साना-साना हाथ जोड़ि – Question Answer in Hindi and Solutions

By | September 4, 2023

यहाँ प्रश्न-उत्तर का समाधान और उत्तर सरल शब्दों में दिया जा रहा है। NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना साना हाथ जोड़ी के प्रश्न और उनके उत्तर को आसानी से समझने और याद करने के लिए, हमने इसे विशेष रूप से तैयार किया है। इस पोस्ट में आपको “question answer in Hindi” और “question answer solution” के अनुसार जानकारी मिलेगी।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3: साना-साना हाथ जोड़ि – Question Answer in Hindi and Solutions

प्रश्न-उत्तर और अभ्यास समाधान: Question Answer in Hindi and Exercise Solutions

1.झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?

उत्तर:- लेखिका मधु कांकरिया हिमालय की यात्रा पर थी।पहाड़ी ढलानों पर टिमटिमाते सितारों के छितराए गुच्छे रोशनियाँ विखेर रहे थे। झिलमिलाते सितारों की रोशनी में गंतोक शहर बहुत ही मनोहर लग रहा था । यह मनोहारी दृश्य लेखिका में सम्मोहन जगा रहा था

2. गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?

उत्तर:- गंतोक के लोगों की मेहनत ही थी कि गंतोक आज भी अपने पुराने स्वरूप को कायम रखे हुए है। यहाँ जीवन बेहद कठिन है पर यहाँ के लोगों ने इन कठिनाईयों के बावजूद भी शहर के हर पल को खुबसूरत बना दिया है। इसलिए लेखिका ने इसे ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ कहा है

3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलगअलग अवसरों की ओर संकेत करता है?

उत्तर:- श्वेत पताकाओं का फहरना: एक कतार में लगी सफ़ेद बौद्ध पताकाएँ शांति व अहिंसा की प्रतीक हैं ,इन पर मंत्र लिखे होते हैं। जब किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाती है ,तो उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी भी पवित्र स्थान पर एक सौ आठ श्वेत पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। इन्हें उतारा नहीं जाता ,ये स्व्यं ही नष्ट हो जाती हैं। रंगीन पटाकाओं का फहरना: किसी नए कार्य की शुरूआत में रंगीन पताकाएँ लगाई जाती हैं। यह कार्य भी बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग ही करते हैं।  ।

4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहां की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्वपूर्ण जानकारियां दी है, लिखिए।

उत्तर:- जितेन नार्गे ने लेखिका को एक अच्छे और कुशल गाइड की तरह सिक्किम की मनमोहक व खूबसूरत प्रकृति, वहां की भौगोलिक स्थिति एवं वहां के कठिन जनजीवन के बारे में निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारियां दी-

लेखिका जिस गाड़ी से यात्रा कर रही थी, जितेन नार्गे उसी गाड़ी को चला रहा था। उसे सिक्किम के बारे में अच्छी जानकारी थी। उसने  लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, भैगोलिक स्थिति और जनजीवन के बारे में अच्छी जानकारियाँ दीं। उसने बताया सिक्किम भारत का बहुत ही सुन्दर प्रदेश है। यहाँ गांतोक, यूमथांग और कटाव जैसे खुबसूरत स्थान हैं। कटाव में खूब बर्फ गिरती है। पर्वत, फूलों की घाटियाँ, दुर्लब बादियाँ, तिस्ता नदी और गिरते झरने आदि लेखिका के मन को मोह लेते हैं। उसने यह भी बताया कि यहाँ गाइड फिल्म की सूटिंग भी हुई थी। आगे जितेन ने बताया यहाँ बौद्ध धर्म को मानने वाले अधिक रहते हैं। ये लोग बहुत ही मेहनती होते हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग शोक कार्य में 108 सफ़ेद पताकाएँ और शुभ कार्यों में रंगीन पताकाएँ फहराते हैं। यहाँ की स्त्रियाँ पत्थर और चाय की पत्तियाँ तोड़ने का कठिन काम करती हैं। बच्चे स्कूल से आने के बाद घर के कामों में सहयोग करते हैं। सिक्किम की  स्त्रियों को चटक रंग के कपड़े अच्छे लगते हैं ।जितेन ने लेखिका को और भी कई बातें बताई।

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5. लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मासी क्यों दिखाई दी?

उत्तर:-लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा-सी दिखाई दी क्योंकि पूरे भारतवर्ष में लोगों की पाप पुण्य को लेकर अवधारणाएं आस्था में विश्वास अंधविश्वास और कल्पनाएं एक जैसी ही हैं। जिस प्रकार लोंग स्टॉक के प्रेयर व्हील को लेकर लोगों की अवधारणा है कि उसे घुमाने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं, उसी प्रकार गंगा नदी के किनारे बसे मैदानी इलाकों में अवधारणा है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं।

6. जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?

उत्तर:-एक कुशल गाइड को मधुभाषी , कर्णप्रिय आवाज़ से सम्पन्न , अच्छा वक्ता , हँसमुख और व्यवहार – कुशल होना चाहिए । अंग्रेज़ी , हिन्दी आदि जैसी मुख्य भाषाओं के अलावा उसे क्षेत्रीय  भाषाएँ भी जानना चाहिए । अपने क्षेत्र के दर्शनीय – स्थलों , वहाँ की सभ्यता , संस्कृति और इतिहास की जानकारी अवश्य होनी चाहिए । गाइड को फोटोग्राफ़ी के साथ – साथ गाड़ी चलाना भी आना चाहिए । वेश – भूषा  में आकर्षण के साथ ही होटलों , दुकानों और क्षेत्र के डॉक्टर आदि की जानकारी भी उसे अच्छा गाइड बनाती है ।

7. इस यात्रावृतांत में लेखिका ने हिमालय के जिनजिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:- इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के निम्नलिखित रूपों का चित्र खींचा हैं-

इस यात्रा-वृत्तांत में हिमालय का अनंत सौंदर्य का ऐसा अद्भुत वर्णन लेखिका ने किया है कि मानो हिमालय का पल-पल परिवर्तित सौंदर्य हम अपनी आँखों से निहार रहे हों।  हिमालय कहीं चटक हरे रंग का मोटा कालीन ओढ़े हुए,तो कहीं हल्का पीलापन लिए हुए प्रतीत हाओत है।  कहीं प्लास्टर उखड़ी दिवार की तरह पथरीला और देखते-ही-देखते सब कुछ समाप्त हो जाता है मानो किसी ने जादू की छरी घूमा दी हो। कभी बादलों की ह मोटी चादर के रूप में,सब कुछ बादलमय दिखाई देता है तो कभी कुछ और।  चारों तरफ हिमालय की गहनतम वादियाँ और रंग-विरंगे फूलों से लदी घाटियाँ थीं।  जैसे-जैसे ऊँचाई की ओर बढ़ने लगे रास्ते और वीरान,सँकरे व जलेबी की तरह घुमावदार और खतरनाक हो रहे थे। हिमालय बड़ा होते-होते अब विशालकाय लगने लगा।  रास्ते में कहीं-कहीं दूध की धार की तरह दिखने वाले जल-प्रपात थे तो वहीं नीचे चाँदी की तरह चमकती तेज धार वाली तिस्ता नदी।  कटाओ से आगे बढ़ने पर पूरी तरह बर्फ से ढके पहाड़ दिख रहे थे।




8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?

उत्तर:- लेखिका ने इन सारे दृश्यों में जीवन के सत्य को अनुभव किया। इस वातावरण में उसको अद्भुत शान्ति प्राप्त हो रही थी। उसे ऐसा अनुभव होने लगा मानो वह देश और काल की सरहदों से दूर बहती धारा बनकर बह रही हो। प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को असीम आत्मीय सुख की अनुभूति हुई है।

9. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौनकौन से दृश्य झकझोर गए?

उत्तर:- प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका ने देखा कि सड़क बनाने के लिए सुंदर और कोमल स्थानीय महिलाएँ पत्थर तोड़ रही थीं। वे अपने हाथों में कुदाल और हथौड़ा लिए थीं। कुछ महिलाएँ अपने पीठ पर बड़ी टोकरी(डोको) बाँधे हुए थीं। उन टोकरियों में बच्चे भी बंधे थे।  लेखिका के मन में विचार आ रहा था। इस स्वर्ग जैसे प्राकृतिक सौंदर्य के बीच भूख, मौत, गरीबी और जीने की इच्छा  के  मध्य लड़ाई जरी है। वह देखती है कि कैसे ये महिलाएँ ममत्व और श्रम  को एक साथ निभाती हैं। ये दृश्य ही लेखिका को झकझोर रहे थे।

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10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किनकिन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।

उत्तर:- सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में निम्नलिखित लोगों का योगदान होता है-

  • सरकार द्वारा प्रदान की गई व्यवस्थाओं
  • पर्यटन स्थलों की देखरेख करनेवालों व वहां की साफ-सफाई करनेवालों
  • उन्हें घुमाने-फिराने वाले गाइड
  • उनके साथ आए उनके मित्रों
  • उनकी सुरक्षा का ध्यान रखनेवालों
  • पर्यटन स्थल के स्थानीय लोगों

11. “कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?

उत्तर:- देश की आम जनता देश के विकास और उसकी आर्थिक प्रगति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। देश के मजदूर वर्ग वाले लोग बहुत कम पैसे लेकर छोटे-छोटे काम करते हैं, जो बहुत अधिक महत्व रखते हैं। इन्हीं मजदूर वर्ग वाले लोगों के कारण हर क्षेत्र से जुड़े छोटे-मोटे काम संपन्न हो पाते हैं और व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चल पाते हैं। जैसे लेखिका ने बताया है कि यूमथांग के रास्ते में मजदूर औरतें पत्थर तोड़कर रास्तों को सुगम बना रही थी, उनके इस कार्य से वहां का परिवहन सुधार रहा था, जिससे पर्यटकों की संख्या बढ़ रही थी और इसके परिणामस्वरूप हमारे देश की आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही थी।




12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आप की क्या भूमिका होनी चाहिए।

उत्तर:- आज की पीढ़ी प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रही है और प्रकृति को नुकसान पहुंचाकर उसके साथ खिलवाड़ कर रही है। हम निम्नलिखित तरीके अपनाकर इसे रोकने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं-

  • प्राकृतिक संसाधनों का सही प्रयोग करके।
  • ज़्यादा से ज़्यादा वृक्षारोपण करके
  • प्लास्टिक जैसी हानिकारक चीजों का प्रयोग न करके
  • निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करके
  • प्राकृतिक संसाधनों का उचित प्रयोग करके

13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है? प्रदूषण के और कौनकौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं, लिखें।

उत्तर: – प्रदूषण के कारण स्नोफॉल के अलावा और भी बहुत से दुष्परिणाम सामने आए हैं । प्रदूषण के कारण विश्व का तापमान बढ़ रहा है। ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं। समुद्र का जल-स्तर बढ़ता जा रहा है। मौसम-चक्र प्रभावित हो रहा है। सूखा , बाढ़ , भूकम्प ,  भू-स्खलन और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएँ प्राय: सुनने में आ रही हैं। विभिन्न प्रकार के रोगों से लोग पीड़ित हो रहे हैं। मनुष्य के साथ-साथ सभी प्रकार के जीवधारी ही नहीं बल्कि पूरी प्रकृति ही विनाश के क़गार  पर पहुँचने वाली है

14. ‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।

उत्तर:- कटाओ सिक्किम की एक खुबसूरत जगह है। यहाँ पर किसी प्रकार की दुकान न होने के कारण कम लोग आते हैं। अगर अधिक लोग घूमने आएँगे तो दुकाने भी अधिक खुलेंगी। घूमते–फिरते समय सैलानी इधर-उधर गंदगी फैलाएँगे। लोग घर बनाकर भी रहने लगेंगे जिससे वहाँ की आबादी धीरे – धीरे बढ़ने लगेगी। आखिर में प्रदूषण भी बढ़ेगा तो पर्यावरण को नुकसान पहुँचेगा। इसलिए कटाओ पर किसी भी प्रकार की दुकान का न होना उसके लिए वरदान है।

15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?

उत्तर:- प्रकृति ने जल संचय की अद्भुत व्यवस्था कर रखी है। प्रकृति हर साल सर्दियों में बर्फ के रूप में जल संचित कर लेती है और गर्मियों के समय में तपती धूप और गर्मी से परेशान, त्राहि-त्राहि करते जीव-जंतुओं के लिए इन्हीं बर्फ की बड़ी-बड़ी शिलाओं को पिघलाकर जलधारा के रूप में, नदियों के माध्यम से पानी पहुंचाती है। वहां से बहता हुआ अतिरिक्त पानी विशाल समुद्र में जाकर मिल जाता है जो बाद में बादलों का रूप ले लेता है। नदियों के किनारे बसे इलाकों में लोग नदियों के पानी को उपयोग में लेते हैं और रेगिस्तानी व मैदानी इलाकों में समुद्र का पानी बादलों के रूप में पानी पहुंचा देता है।




16. देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?

उत्तर:- देश की सीमा पर बैठे फ़ौजियों का जीवन बड़ा ही कठिन है। वे निरन्तर ख़तरों से घिरे रहते हैं। वे जहाँ रहते हैं , उनमें से कुछ क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहाँ का वातावरण जीवन जीने या रहने के सर्वथा प्रतिकूल हैं। प्रस्तुत पाठ में भीषण सर्दी और शून्य से पन्द्रह डिग्री नीचे तक के तापमान में रहने वाले सैनिकों के कठिन जीवन की चर्चा हुई है। इस तापमान में पेट्रोल तक जम जाता है, फिर भी वे सदा सतर्क और चौकस रहकर हमारी रक्षा में तत्पर रहते हैं। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। हमारा कर्त्तव्य है कि हम उनका तथा उनके परिवार का ध्यान रखें।