Summary of The Beggar Class 9 in Hindi

By | February 23, 2023
Summary of The Beggar Class 9 in Hindi edumantra.net

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Summary of The Beggar Class 9 in Hindi

By– Anton Chekhov

एक दिन सरजई नामक वकील की मुलाकात एक भिखारी से हुई । वह बहुत ही गरीबीपूर्ण कपड़े पहने हुए था ।   वह चिल्ला रहा था और उसने सरजई से प्रार्थना की कि वह उस पर तरस खाए । उसने सरजई से कहा कि उसे कलूगा में नौकरी मिली है, मगर उसके पास वहाँ जाने के लिए पैसे नहीं हैं । इसलिए उसे किराए के लिए कुछ पैसे चाहिए थे । सरजई ने भिखारी को ध्यान से देखा । अचानक उसे याद आया कि उसने उसे पहले दिन  सडोव्या स्ट्रीट में देखा था ।

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तब उसने उससे कहा था कि वह एक छात्र है और उसे फीस न देने के कारण निकाल दिया गया है । पहले तो भिखारी ने इस आरोप से इंकार किया । मगर जब सरजई ने उसे डॉटा, तो वह मान गया कि वह अपनी आजीविका झूठ बोलकर कमाता है । उसने सरजई को बताया कि उसका नाम लशकॉफ है और वह बेरोजगार है । सरजई ने उसे भीख देने से इंकार कर दिया । मगर उसने उससे कहा कि वह उसे लकड़ी काटने का काम दे देगा । वह लशकॉफ को घर ले जाया ।
उसने अपनी नौकरानी ओल्गा को बुलाया और उसे कहा कि वह उसे लकड़ी के शैड में ले जाए और उससे लकडी कटवाए । सरजई अपने कमरे से देख सकता था कि लशकॉफ कमजोर है और उसकी लकड़ी काटने की इच्छा नहीं है । लेकिन एक घंटे के बाद ओल्गा आई और उसने सरजई को बताया कि सारी लकड़ी कट गई है । सरजई ने लशकॉफ को आधा रूबल दिया ।

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लकडी कटवाने के बाद सरजई को प्रसन्नता थी कि उसने एक व्यक्ति की सहायता की है । उसने एक भिखारी को सुधार दिया है । उसने लशकॉफ को कहा कि वह हर महीने की पहली तारीख को आकर पैसे के बदले लकडी काट जाया करे । इस प्रकार लशकॉफ़ हर महीने की पहली तारीख को आता था । यद्यपि वह इतना कमजोर था कि मुश्किल से ही अपनी टाँगों पर खडा हो पाता था, फिर भी उसके लिए सदा काम होता था और वह इसे करता था । कभी लकड़ी काटने का काम होता था । अन्य समयों पर बर्फ हटाने का काम होना था या लकड़ी के शेड को व्यवस्थित करने का काम होता था । कई बार उसे चटाइयों और गद्दों की मिट्टी झाड़ने का काम मिलता था ।
हर बार उसे बीस से चालीस कोपेक मिलते थे । एक दिन सरजई किसी अन्य घर में चला  गया । उसने लशकॉफ को फर्नीचर पेक करने और लादने के काम पर लगाया। इस बार यह खामोश एवं गंभीर था । जब काम हो चुका था, तो सरजई ने उसके लिए बेहतर काम तलाश करने की पेशकश की । उसने अपने एक मित्र  पत्र लिखा । उसने यह पत्र लशकॉफ को दिया और कहा कि वह उसे लिखे हुए काम की प्रतियाँ  बनाने का काम देगा । इस प्रकार, सरजई ने लशकॉफ की सहायता की । उसे एक व्यक्ति को सही रास्ते पर ले आने की खुशी थी ।
उसके बाद सरजई की मुलाकात लशकॉफ से दो साल तक नहीं हुई । तब एक दिन उसकी मुलाकात लशकॉफ से एक थिएटर की टिकट खिड़की पर हो गई, जहाँ वह एक सीट के लिए पैसे दे रहा था । वह मुड़े हुए फर के कॉलर वाला कोट एवं सील की खाल की टोपी पहने हुए था । सरजई ने उसे पहचान लिया । लशकॉफ ने उसे बताया कि अब वह एक नोटरी है और उसे 35 रूबल प्रतिमाह मिलते है । सरजई को यह सुनकर खुशी हुई । उसने लशकॉफ को जीवन में अपने पैरों पर खड़े होने की बधाई दीं । इस पर लशकॉफ ने उसे रहस्य की बात  बताई ।
उसने कहा कि ऐसा उसके कारण नहीं, बल्कि उसकी नौकरानी ओल्गा के कारण हुआ, जिसके फलस्वरुप उसने स्वयं को सुधारा । जब वह उसके घर  काटने आता था तो काट नहीं पाता था, क्योंकि वह कमजोर एवं अनुभवहीन था । तब ओल्गा उस पर तरस खाती र्या और उसक लिए लकड़ी  काट देती थी । उसने सरजई को बताया कि उसने कभी एक छड़ भी नहीं काटी । यह सब कुछ ओल्गा ने किया । उसकी दया ने उसे बदल दिया । उसने शराब पीना छोड़ दिया और काम करके रोजी कमाना आरंभ कर दिया । इस प्रकार, ओल्गा की दयालुता ने उसका जीवन बदल दिया ।

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