NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter – 6 दिये जल उठे

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter – 6 दिये जल उठे

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 दिये जल उठे यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है|

बोधप्रश्न

Chapter – 6 दिये जल उठे

प्रश्न 1. किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया?

उत्तर: सरदार पटेल ने पिछले आंदोलन में स्थानीय कलेक्टर शिलिडी को अहमदाबाद से भगा दिया था। इसी अपमान का बदला लेने के लिए उसने सरदार पटेल को निषेधाज्ञा भंग करने के आरोप में गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया।

प्रश्न 2. जज को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।

उत्तर: जज को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने के लिए डेढ़ घंटा इसलिए लगा क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि किस धारा के तहत उन पर आरोप लगाया जाए और उन्हें जेल भेजा जाए। उस समय पटेल को 500 रुपये के जुर्माने के साथ 3 महीने की जेल की सजा हुई। पुलिस पहरे में ही बोरसद की अदालत में लाया गया। जज के सामने ही उन्होंने अपना अपराध कबूल किया था। वह उन्हें कितनी और किस प्रकार कीसज़ा दें यह तथ्य उसकी समझ में नहीं आ रहा था।

प्रश्न 3. “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।”-यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : सरदार पटेल को निषेधाज्ञा उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जबकि निषेधाज्ञा उसी समय लागू की गई थी। क्योंकि लोगों को दांडी कुच के लिए प्रेरित करने का काम अभी अधूरा था और अंग्रेजी सरकार का शासन अभी खत्म नहीं हुआ था। और जेल के अंदर से लोगो को जागृत करने का कार्यक्रम नहीं किया जा सकता था। इसलिए पटेल ने कार में बैठते हुए आश्रम वासियों और गांधी से कहा “मैं चलता हूं। अब आपकी बारी है।”

प्रश्न 4. ”इनसे आप लोग त्याग ओर हिम्मत सीखें”-गाँधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?

इनसे आप लोग त्याग ओर हिम्मत सीखें”-गाँधी जी

उत्तर : गांधी जी एक बार रास गए। वहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। रास समुदाय के लोग इसमें सबसे आगे थे। जो दरबार कहलाते हैं। ये रियासतदार होते हैं। गोपालदास और रविशंकर महाराज जो दरबार थे, वहाँ मौजूद थे। ये दरबार लोग अपना सब कुछ छोड़कर यहाँ आकर बस गए थे। उनका यह त्याग एवं हिम्मत सराहनीय है। गांधी जी ने इन्हीं के जीवन से प्रेरणा लेने को लोगों से कहा कि इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें। धैर्य, त्याग और साहस के द्वारा ही अंग्रेजी शासन को बाहर खदेड़ा जा सकता है।

प्रश्न 5. पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि-‘कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: गांधी जी अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नमक के कानून को तोड़ना चाहते थे। अंग्रेजों के राज्य में यह काम इतना आसान न था। गांधी जी और सत्याग्रहियों ने अपनी सूझबूझ का परिचय दिया और रास से चलकर मही नदी के किनारे पहुँचे। वहाँ से नाव के सहारे मही नदी पार की। इस यात्रा में उन्हें कई मील पैदल कीचड़ और पानी में चलना पड़ा और अंत में सफल रहे। इससे सिद्ध होता है कि तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेल-जोल से कठिन परिस्थितियों का सामना किया। जा सकता है।

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प्रश्न 6. महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर : महानदी के दोनों किनारों पर अभूतपूर्व उत्साह था| रात १२ बजे महानदी के दोनों किनारों पर लोगों की भीड़ जमा थी| सत्याग्रहियों के आने का इंतज़ार हो रहा था| गांधी जी की जय, सरदार पटेल की जय, नेहरु की जय के नारों से महानदी के दोनों किनारे गूँज रहे थे| ऐसा लग रहा था कि जैसे नदी का किनारा न हो पहाड़ की घाटी हो जहाँ प्रतिध्वनि सुनाई दे रही हो| गांधी जी के पार करने के बाद भी लोग हाथों में दिये लेकर खड़े थे क्योंकि अभी बाकी सत्याग्रहियों को भी पार जाना था| नदी के दूसरे तट पर भी यही उत्साहमय दृश्य था| हजारों कि भीड़ महात्मा गांधी, सरदार पटेल और नेहरु जी के नारे लग रहे थे| ऐसा लगता था मानो रात में भी मेला लगा हुआ था|

प्रश्न 7. ”यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूंगा।”-गांधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

धर्मयात्रा

उत्तर: इस कथन द्वारा गांधी जी की दृढ़ आस्था, सच्ची निष्ठा और वास्तविक कर्तव्य भावना के दर्शन होते हैं। वे किसी भी आंदोलन को धर्म के समान पूज्य मानते थे और उसमें पूरे समर्पण के साथ लगते थे। वे औरों को कष्ट और बलिदान के लिए प्रेरित करके स्वयं सुख-सुविधा भोगने वाले ढोंगी नेता नहीं थे। वे हर जगह त्याग और बलिदान का उदाहरण स्वयं अपने जीवन से देते थे।

प्रश्न 8. गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?

उत्तर: गांधी जी सत्य व अहिंसा के पुजारी थे। झूठ बोलकर और चोरी से काम करना उनकी शैली में नहीं था। अंग्रेज अधिकारी भी गांधी जी के चरित्र से भलीभांति परिचित थे वे जानते थे कि गांधी चलो असत्य से कोई काम नहीं करेंगे। फिर भी कहीं नमक कानून ना तोड़ दें, इस डर से उन्होंने नदी के तट से सारे नमक के भंडार नष्ट करवा दिए।

प्रश्न 9. गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?

गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट

उत्तर: गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर इसलिए खड़े थे, ताकि बाद में जो सत्याग्रही आएँगे, उन्हें भी नदी के पार पहुँचाया जा सके।

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