NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter – 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

By | March 12, 2021
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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है|  NCERT Hindi book for class 9 Sanchayan Solutions के Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके| इस पेज में आपको NCERT solutions for class 9 hindi Sanchayan दिया जा रहा है|

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

बोधप्रश्न

प्रश्न 1. ‘उनाकोटी’ का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर : उन’ का अर्थ है-एक कम और कोटि का अर्थ है-करोड़। इस प्रकार उनाकोटी का शाब्दिक अर्थ है-एक करोड़ से एक कम। इस नाम के संबंध में एक पौराणिक कथा यह है कि पहले यहाँ कल्लू नामक कुम्हार रहता था।

शिव और पार्वती आए तो कल्लू भी उनके निवास कैलाश पर्वत

वह पार्वती का भक्त था। एक बार जब शिव और पार्वती आए तो कल्लू भी उनके निवास कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। पार्वती के कहने पर शिव उसे ले जाने को तैयार हो गए परंतु एक रात में एक लाख मूर्तियाँ बनाने की शर्त रख दी। कल्लू ने रात भर परिश्रम से मूर्तियाँ बनाई परंतु वे एक करोड़ से एक कम निकली। इसी बात से शिव कल्लू को वहीं छोड़कर चले गए। तब से इसका नाम उनाकोटी पड़ गया।

प्रश्न 2. पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : उनाकोटी में पहाड़ों को अंदर से काटकर विशाल आधार मूर्तियाँ बनाई गई हैं। अवतरण के धक्के से कहीं पृथ्वी धंसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसके लिए शिव को राजी किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और बाद में धीरे-धीरे बहने दें। शिव का चेहरा एक समूची चट्टान पर बना हुआ है। उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली है। यहाँ पूरे साल बहने वाला जल प्रपात है, जिसे गंगा जल की तरह ही पवित्र माना जाता है।

प्रश्न 3. कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?

उत्तर : उनाकोटी में बनी इन आधार-मूर्तियों का निर्माण किसने किया है यह अभी तक पता नहीं किया जा सका हैं। कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटीस्थानीय आदिवासियों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था। वह माता पार्वती का भक्त था और भगवान् शिव-माता पार्वती के साथ उनके निवास स्थान कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। परन्तु भगवान शिव उसे अपने साथ नहीं लेना चाहते थे। पार्वती के जोर देने पर शिव कल्लू को कैलाश ले चलने को तैयार तो हो गए लेकिन इसके लिए उन्होंने कल्लू के सामने एक शर्त रखी और वह शर्त थी कि उसे एक रात में शिव की एक करोड़ मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू अपनी धुन का पक्का व्यक्ति था इसलिए वह इस काम में जुट गया। लेकिन जब सुबह हुई तो कल्लू के द्वारा बनाई गई मूर्तियाँ एक करोड़ से एक कम निकलीं। कल्लू नाम की इस मुसीबत से पीछा छुड़ाने पर अड़े भगवान् शिव ने इसी बात को बहाना बनाते हुए कल्लू कुम्हार को उसके द्वारा बनाई गई मूर्तियों के साथ उनाकोटी में ही छोड़ दिया और खुद माता पार्वती के साथ कैलाश की ओर चलते बने। इसी मान्यता के कारण कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से जुड़ गया।

प्रश्न 4. ‘मेरी रीढ़ में एक झुरझुरीसी दौड़ गई’-लेखक के इस कथन के पीछे कौनसी घटना जुड़ी है?

उत्तर : लेखक मनु में शूटिंग करने में व्यस्त था। तभी सी. आर. पी. एफ. के एक आदमी ने बताया कि निचली पहाड़ियों पर, जहाँ दो पत्थर पड़े हैं, वहाँ दो दिन पहले एक जवान को विद्रोहियों ने मार डाला था। उसके इतना कहते ही लेखक को इतना डर लगा जैसे कि उसकी रीढ़ में एक झुरझुरी-सी दौड़ गई।

प्रश्न 5. त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना?

उत्तर: त्रिपुरा तीन ओर बाँग्लादेश से तथा एक ओर भारत से घिरा है। यहाँ बाँग्लादेश से पश्चिम बंगाल से लोग घुसपैठ करके आए और यहाँ बस गए। ये लोग विभिन्न धर्मों को मानने वाले थे। त्रिपुरा में विश्व के चार बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व मौजूद है। इस तरह त्रिपुरा बहुधर्मी समाज का उदाहरण बनता गया।

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प्रश्न 6. टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाजकल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?

उत्तर : टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय जिन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ उनमें एक हैं- हेमंत कुमार जमातिया, जो त्रिपुरा के प्रसिद्ध लोक गायक हैं। जमातिया 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत किए जा चुके हैं। अपनी युवावस्था में वे पीपुल्स लिबरेशन आर्गनाइजेशन के कार्यकर्ता थे, पर अब वे चुनाव लड़ने के बाद जिला परिषद के सदस्य बन गए हैं।

लेखक की मुलाकात दूसरी प्रमुख हस्ती मंजु ऋषिदास से हुई, जो आकर्षक महिला थी। वे रेडियो कलाकार होने के साथसाथ नगर पंचायत की सदस्या भी थीं। लेखक ने उनके गाए दो गानों की शूटिंग की। गीत के तुरंत बाद मंजु ने एक कुशल गृहिणी के रूप में चाय बनाकर पिलाई।

प्रश्न 7. कैलासशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?

आलू की खेती

उत्तर : जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को बताया कि आलू की बुआई के लिए पारंपरिक आलू के बीजों की ज़रुरत दो मिट्रीक टन प्रति हेक्टेयर होती है जबकि टी. पी. एस. की सिर्फ़ 100 ग्राम मात्रा एक हेक्टेयर होती है। अब त्रिपुरा से टी. पी. एस. का निर्यात पड़ोसी राज्यों और देशों को भी किया जा रहा है। 

प्रश्न 8. त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलु उद्योगों के विषय में बताइए?

उत्तर: त्रिपुरा के लघु उद्योगों में लोकप्रिय घरेलू गतिविधियों में से एक गति-विधि अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करना है। अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करने के बाद अगरबत्तियाँ बनाने के लिए इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है। इनका प्रयोग अगरबत्तियाँ बनाने में किया जाता है। इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है ताकि अगरबत्तियाँ तैयार की जा सकें। त्रिपुरा में बाँस बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। इस बाँस से टोकरियाँ सजावटी वस्तुएँ आदि तैयार की जाती हैं।

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