Make in India par Nibandh | in Hindi

By | May 11, 2023
Make in India par Nibandh

Make in India par Nibandh में आपको बताया जायगा की मेक की  इन इंडिया की भूमिका क्या है. मेक इन इंडिया का तात्पर्य स्पष्ट है – भारत में निर्माण करो और हम आपको प्रस्तुत करेंगे Bhartiya Kisan par Nibandh जो आपको बतायेगा भारतीय किसान की छवि और महत्व.

Make in India par Nibandh

भूमिका – भारत के तेजस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक नारा दिया – मेक इन इंडिया. वे चाहते थे कि भारत एक उधमी और उत्पादक देश बनें.
उक्ति का अर्थ – मेक इन इंडिया का तात्पर्य स्पष्ट है – भारत में निर्माण करो. जो वस्तुएं विदेशों में बनकर भारत में आती हैं और भारत उन पर निर्भर है, उन्हें अपने देश में निर्मित करो. इससे भी आगे बढ़कर जिन वस्तुओं की विश्व भर में मांग है, उन्हें भारत में बनाकर विश्व बाजार में बेचो. इस प्रकार एक निर्माता और उत्पादक देश बनों.
सोने की चिड़िया भारत की पृष्ठभूमि – कहते हैं कि भारत कभी सोने की चिड़िया था. यह देश विश्व भर में अपनी सम्रद्धि के लिए प्रसिद्ध था. विश्व व्यापार में भारत की स्थिति वही थी जैसे कि आज अमेरिका या यूरोपीय देशों की है. जब अंग्रेज भारत में आए तो यहां का जहाजरानी उद्योग और कागज उद्योग ऊंचाइयों पर था. पूरे विश्व में कुल 60 समुद्री जहाज थे तो अकेले भारत की बंदरगाहों पर अपने 61 जहाज थे. यहां पर हर प्रकार की सम्रद्धि थी. तभी तो हमारे ऐश्वर्य से खिंचकर कभी मुगल भारत में आए, कभी कोई और लुटेरे लूटने के लिए आए तो बाद में अंग्रेज चले गए.
उद्यमी देश – पराधीनता काल में बदला परिदृश्य – भारत सदा से उधमी रहा है. अंग्रेजों ने भारत में आकर यहां की उधमिता को नष्ट किया. उन्होंने यहां के कल – कारखानों को बंद किया और इंग्लैंड से बने माल को भारत में बेचा. इस तरह से उन्होंने व्यापार के बहाने भारत का एश्वर्य लूट लिया. इसके लिए उन्होंने जबरदस्ती यहां का व्यापार, उद्योग और धंधों को बंद किया. इसलिए हमारे उद्यमी और उद्योगपति बेकार हो गए. परिणामस्वरूप भारत पिछड़ा चला गया.
विकास में अग्रसर होने का संकल्प – हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री ने भारत की इस पीड़ा को समझा. उन्होंने देश को सपना दिया कि तुम नौकरी करने की मानसिकता को छोड़ो और स्वयं उद्योगों के मालिक बनो. इसके लिए अपने ही देश में वस्तुओं का निर्माण करो और स्टार्ट अप के सहारे नए उद्योग खड़े करो. इसके लिए उन्होंने युवकों को नए कार्य आरंभ करने के अवसर दिए, उसके लिए वित्तीय सहायता की नई योजनाएं दीं. इतना ही नहीं, उन्होंने विश्व भर के व्यापारियों और निर्माताओं को भारत में आकर नए उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित किया. इसके लिए वे स्वयं अनेक देशों की राजधानियों में गए. वहां के शासन – प्रमुखों और प्रमुख उद्योगपतियों से मिले. एक प्रकार से उन्होंने भारत में निर्माण – कार्य विकसित करने के लिए भरसक प्रयत्न किया. यह प्रयास अभी भी जारी है.
उपसंहार – मेक इन इंडिया का नारा बहुत उत्साहवर्धक है. परंतु अभी हमारे देश के लोग नौकरी करना पसंद करते हैं. उनके खून में किसी के अधीन काम करने और सुखी रहने का दोष आ गया है. ‘दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ’ – यह संतोष उनकी उन्नति और प्रगति में बाधक बना हुआ है. उन्हें यह बोध कराना ही होगा कि स्वयं अपने स्वामी बनो. उधमी बनो. नौकर बनने की बजाय औरों को नौकरी देने के योग्य बनो. यह संकल्प जगाए रखने की आवश्यकता है. वह दिन दूर नहीं जब भारत की उधमिता से परवान चढ़ेगी और वह फिर से सोने की चिड़िया कहलाएगा.