NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter – 1 धूल

By | March 12, 2021
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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 1 धूल यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है|  NCERT Hindi book for class 9 Sparsh Solutions के Chapter 1 धूल को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके| इस पेज में आपको NCERT solutions for class 9 hindi Sparsh दिया जा रहा है|

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल

ramvilas sharma

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए

1.हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?

उत्तर:- हीरे के प्रेमी उसे शायद साफ़ – सुथरा, खुराडा हुआ , आँखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना पसंद करते हैं।

2. लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?

उत्तर:- जिस बच्चे  ने धूल से खेला वह जवानी में धूल की मिटटी से कैसे वंचित रह सकता है ?  अगर रहता है तो वह उसका दुर्भाग्य है।  यह साधारण धूल नहीं वरन तेल और मिटटी से सिंचाई हुई वह मिटटी है, जिसे देवता पर चढ़ाया जाता है, संसार में ऐसे सुख को ही लेखक दुर्लभ मानते हैं।

3. मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?

उत्तर:- धूल को ही मिट्टी की आभा माना गया है और धूल से ही मिट्टी की पहचान होती है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

1.धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?

उत्तर:- धूल मिट्टी में खेलना बच्चे को अच्छा लगता है और यह उसके धरती से सहज जुड़ाव को बताता है |क्यूंकि बच्चे को विकास के लिए सभी सामग्रियाँ इसी धूल में मिलती है |और धूल  में लिपटा हुआ शिशु का मुख बहुत ही मनमोहक प्रतीत होता है| इसीलिए शिशु की कल्पना धूल के बिना नहीं की जा सकती।

धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना

2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?

उत्तर:- हमारी सभ्यता धूल के संसर्ग से इसलिए बचना चाहती है क्योंकि वह आसमान में अपना घर बनाना चाहती है, हवाई किले बनती है  वह बनावटी व प्रशासनिक सौंदर्य को ज्यादा महत्व देती है।वह धूल के महत्त्व को नहीं समझती है | और खुदको व अपने बच्चों को धूल से दूर रखना चाहती है।वह हीरों के प्रेमी है धूल भरे हीरों के नहीं |

3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?

अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में अखाड़े की मिट्टी को पवित्र व असाधारण बताया गया है, जिसका स्पर्श पाना सौभाग्य की बात माना गया है। अखाड़े की मिट्टी को तेल और मट्ठे से सिझा जाता है। पहलवान उसकी पूजा करते हैं वह उसे देवताओं पर भी चढ़ाते हैं। वे अखाड़े की मिट्टी में चित्त होने व उसमें लौटने-पड़ने पर भी स्वयं को विश्वविजयी समझते हैं।

4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?

उत्तर:– लेखक के अनुसार धूल नफरत को बताने का माध्यम नहीं है |उन्होंने बताया कि सती  ने उसे माथे से लगाकर ,एक योद्धा ने उसे आँखों से लगाकर अपनी श्रद्धा भक्ति स्नेह की भावना प्रकट की है | इस प्रकार धूल को इनकी व्यंजना के लिए सर्वोत्तम साधन बताया गया है।

5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में लेखक ने धूल के प्रति नगरीय सभ्यता के दृष्टिकोण को हास्यास्पद बताया है व उसपर व्यंग्य किया है कि हमारी सभ्यता इस धूल के संसर्ग से बचना चाहती है।  वह धूल से बच – बचाकर आसमान पर घर बना लेती है , माँ – बाप बच्चों को धूल में खेलने से मना करते हैं , किन्तु हम यह भूल जाते हैं कि  इसी मिटटी पर किसान हल जोतकर हमारे लिए फसल उगाता है , इसी धूल से हमें, खनिज पदार्थ , खाना , हीरे, सोना इत्यादि मिलते हैं। नगरीय सभ्यता धूल की प्राकृतिक आभा को छोड़कर कृतिम व बनावटी श्रंगार पर जोर देती है। उन्हें चमकते हुए हीरे अच्छे लगते हैं, धूल में सने हुए हीरे नहीं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

1.लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?

उत्तर:- लेखक के अनुसार शिशु धूल से सने उन हीरो की तरह है जिनका सौंदर्य दूर से ही निखरता है। जिस प्रकार फूलों पर रेणु उनका श्रृंगार बनती है, उसी प्रकार धूल भी शिशु की पार्थिवता को निखारती है। जब शिशु मिट्टी में बालक्रिड़ाए करता है और धूल उसके मुख व बदन पर लग जाती है, तब वह उसका सौंदर्य प्रसाधन बनती है। धूल से सना हुआ बालकृष्ण का मुख बहुत ही मनमोहक लगता है और इसीलिए लेखक ने बालकृष्ण के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ माना है।

2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?

धूल और मिट्टी में क्या अंतर

उत्तर:- लेखक ने धूल और मिटटी में ज्यादा अंतर नहीं माना  है |धूल और मिट्टी में इतना ही अंतर है जितना कि, शब्द व रस में है, देह व प्राण में है और चांद ने चांदनी में है। मिट्टी और धूल एक दूसरे के पूरक है एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है मिट्टी की आभा होती है वह दूर से ही मिट्टी की पहचान होती है।

3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौनकौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती हैं?

उत्तर:- ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के निम्नलिखित मनमोहक व सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है-

1.संध्या के समय जब अमराईयों के पीछे छुपे सूर्य की किरणें, उठी हुई धूल पर पड़ती है, तब धूल सोने-सी चमक उठती है।

2. सूर्यास्त के समय लीक पर गाड़ी के निकल जाने के बाद की उठी हुई धूल रूई के बादल-सी प्रतीत होती है तथा ऐरावत हाथी के नक्षत्र-पथ की भांति वहीं स्थिर रह जाती है।

3. चांदनी रात में मेले जाने वाली गाड़ियों के पीछे धूल कवि- कल्पना की भांति उड़ती है।

4. धूल शिशु के मुख पर फूल की पंखुड़ियों सी छा जाती है और उसके सौंदर्य को निखारती है।

4. ‘हीरा वही घन चोट न टूटे’- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- कांच चोट खाकर टूट जाता है परन्तु हीरा इतना मजबूत होता है कि हथोड़े की चोट से टूटता नहीं है |यहाँ इस वाक्य से लेखक का आशय है कि असली हीरा वही है जो हथौड़े की चोट से भी ना टूटे व उसकी हर मार सहकर अपनी गुणवत्ता का प्रमाण दे। ठीक इसी प्रकार गांव का प्राकृतिक व गर्दभरा सौंदर्य भी हीरे के समान ही पवित्र है; तथा नगरीय सभ्यता, जिसमें कृत्रिम व बनावटी सौंदर्य को महत्व दिया जाता है, वह कांच की तरह है; जो मुश्किलों की एक मार से ही टूट कर बिखर जाता है।

5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- धूल, धूलि, धूली, धूरि, गोधूलि, आदि की रचनाएं अलग-अलग है।

धूल–  जीवन का यथार्थवादी गद्य है;

धूलि उसकी कविता है; धूली छायावादी दर्शन है, जिसकी वास्तविकता संदिग्ध है

धूरिलोक-संस्कृति का नवीन जागरण है; इन सबसे परे गोधूलि गो-गोपालों के पदों से उत्पन्न होने वाली धूल है, जो ग्रामीण जीवन की अपनी संपत्ति है। इन सबका रंग एक ही है, सिर्फ रूप में भिन्नता है।

गोधूलिइन सबसे परे गो धूलिगो-गोपालों के पदों से उत्पन्न होने वाली धूल है,जो ग्रामीण जीवन की अपनी संपत्ति है।इन सबका रंग एक ही है, सिर्फ रूप में भिन्नता है।

6. धूल’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में लेखक ने धूल का महत्व बताया है। ग्रामीण संस्कृति दर्शाने के साथ ही शहरी संस्कृति की आलोचना भी की है|लेखक ने पाठकों को अखाड़ों ,गाँव और शहरों के जीवन जगत की सैर के साथ ही धूल के नन्हें कणों के वर्णन से देशप्रेम तक का पाठ पढाया है |हमारी संस्कृति धूल को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताती है, क्योंकि हमारा शरीर भी उसी का बना हुआ है। हमारे पूर्वज धूल को माथे से लगाकर अपने मन के भावों को प्रकट करते थे; लेकिन आजकल की नगरीय सभ्यता धूल से बचना चाहती है व उससे हीनभावना रखती है; जोकि सही नहीं है। ग्रामीण जीवन में धूल को अभी भी बहुत महत्व दिया जाता है और इसीलिए गांव का धूलि-भरा माहौल बेहद मनमोहक लगता है।

7. कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?

उत्तर:- लेखक के अनुसार शहरी कवियों ने गोधुलि और गोधुलि बेला पर बहुत कुछ लिखा है |जिसने गाँव का अनुभव ही नहीं किया |और गाँव के जीवन के महत्वपूर्ण अंग गोधुलि और गोधुलि बेलाके बारे में बताये यह उपहास की बात है | लेखक के अनुसार इतने सारे कवियों ने गोधूलि पर अपनी कलम तोड़ी है, लेकिन वह असली गोधूलि नहीं है, क्योंकि गोधूलि तो गांव की अपनी संपत्ति है; जो शहरों के हिस्से नहीं पड़ी।

निम्नलिखित की आशय स्पष्ट कीजिए

1. फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुंह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।

उत्तर:- इन पंक्तियों से लेखक का आशय है कि जिस प्रकार एक फूल पर गिरी हुई कुछ धूल उसकी सुंदरता को और निखार देती है; उसी प्रकार एक शिशु के मुख पर लगी धूल उसका सौंदर्य-प्रसाधन बन जाती है। इससे उसके मुख की सुंदरता और भी बढ़ जाती है।

2. ‘धन्यधन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरी ऐसे लरिकान की’- लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?

उत्तर:- इन पंक्तियों का आशय है कि  धूल से सने बच्चे को गोद में उठाने वाला व्यक्ति धन्य  है जो अपने शरीर से धूल को स्पर्श करते है |चाहे ये धूल उन बच्चों के माध्यम से उन्हें स्पर्श करती है | जिन्हें वह गोद में उठाये रहते हो | लेखक ने धूल की उपयोगिता और महिमा का वर्णन करते हुए ग्रामीण वातावरण में पीला बड़े बच्चों को धन्य बतलाया है |क्यूंकि जिनका बचपन गाँव के गलियारों की धूल में बीता है , वह अवश्य ही धूल में खेले होंगे और उनके कर्ता पिता भी धन्य है जो धूल धूसरित अपने शिशु को अंग से लिपटा लेते हैं |और वह पवित्र धूल उनके शरीर को पवित्र कर देती है |

3. मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चांद और चांदनी में।

उत्तर:- इन पंक्तियों द्वारा लेखक मिट्टी और धूल के बीच के अंतर के बारे में बताता है। उसके अनुसार मिट्टी और धूल एक दूसरे के पूरक है और एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है। जिस प्रकार रस के बिना शब्द का कोई महत्व नहीं है; प्राण के बिना देह का कोई अस्तित्व नहीं है और चांदनी के बिना चांद का कोई अस्तित्व नहीं है; उसी प्रकार धूल के बिना मिट्टी का भी कोई महत्व नहीं हो सकता।

4. हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कमसेकम उस पर पैर तो रखे।

उत्तर:- आज जिस प्रकार से धूल के प्रति लोगों की सोच देखने में आती है उसमें वह उसे माथे से लगाकर आदर देना पसंद नहीं करते हैं | यह भी जरूरी नहीं है कि जो धूल को माथे से लगाये वही सच्चा देशभक्त है |लेखक का विचार है कि अपने देश के बारे में जानना चाहिए और अपनी मिटटी से घर्णा नहीं प्यार करना चाहिए |उसे छोडकर नहीं जाना चाहिए |

इस पेज में आपको NCERT solutions for class 9 hindi Sparsh दिया जा रहा है| हिंदी स्पर्श के दो भाग हैं | Hindi Sparsh स्पर्श भाग 1 सीबीएसई बोर्ड द्वारा class 9th के लिए निर्धारित किया गया है | इस पेज की खासियत ये है कि आप यहाँ पर ncert solutions for class 9 hindi Sparsh pdf download भी कर सकते हैं| we expect that the given class 9 hindi Sparsh solution will be immensely useful to you.

5. वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब कांच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में लेखक ने कांच के माध्यम से नगरीय सभ्यता और हीरे के माध्यम से ग्रामीण सभ्यता का वर्णन किया है। हीरे की तरह ग्रामीण जीवन मजबूत व सदृढ़ होता है; वही कांच की तरह नगरीय सभ्यता भी बनावटी व कृत्रिम होती है। लेखक के अनुसार जब समय का हथोड़ा पलटकर वार करेगा, तब कांच और हीरे का भेद अपने-आप ही पता चल जाएगा।उनके कार्यों से हमें पता चल जायेगा कि कांच की तरह कृत्रिम , बनावटी , दिखावटी  है और कौन हीरे के समान मजबूत||

भाषा अध्यन

1.निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छांटिएसंसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निर्द्वंद्व, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन।

उत्तर:-

संसर्ग = सम् + सर्ग

उपमान  = उप+ मान

संस्कृति  = सम् + स्कृति

दुर्लभ  = दुर् + लभ

निर्द्वंद्व  = निर् + द्वंद्व

प्रवास  = प्र + वास

दुर्भाग्य  = दुर् + भाग्य

अभिजात  = अभि + जात

संचालन  = सम् + चालन

2. लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल होना जैसे प्रयोग किए हैं। धूल से संबंधित अन्य पांच प्रयोग और बताइए, तथा उन्हें वाक्य में प्रयोग कीजिए।

उत्तर:-

(क). धूल में मिलना: उसकी मेहनत की कमाई एक छोटी सी गलती की वजह से धूल में मिल गई।

(ख). धूल चटाना: शाम अखाड़े में अपने हर प्रतिद्वंदी को धूल चटाता है।

(ग). धूल झोंकना: रमेश अपने घर वालों से दूर रहकर पढ़ाई से जी चुरा रहा है और अपने गरीब मां-बाप की आंखों में धूल झोंक रहा है।

(घ). धूल डालना: गलती करके बाद में सिर पर धूल डालने से कोई फायदा नहीं होता।

(ड़). धूल छानना: नौकरी के लिए राहुल इधर-उधर धूल छानता फिर रहा है।

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