NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है. Ab Kaha Dusro Ke Dukh Class 10 Chapter को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
प्रश्न–अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक–दो पंक्तियों में दीजिए–
प्रश्न 1.बड़े–बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर– बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेल रहे हैं ताकि वे समुद्र की जमीन को हथिया सकें और उस पर इमारतें खड़ी कर विपुल धन कमा सकें।
प्रश्न 2. लेखक का घर किस शहर में था?
उत्तर–लेखक का घर पहले ग्वालियर में था परंतु बाद में वह मुंबई के वर्सावा में रहने लगा।
प्रश्न 3. जीवन कैसे घरों में सिमटने लगी है?
उत्तर– पहले जनसंख्या कम थी। लोगों के हिस्से में जमीन अधिक थी। वे बड़े-बड़े घरों और खुले में रहते थे। घर की तरह ही उनका दिल भी बड़ा हुआ करता था, परंतु जनसंख्या बढ़ने के साथ ही वे छोटे-छोटे घरों में रहने को विवश हो गए।
प्रश्न 4. कबूतर परेशानी में इधर–उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर– कबूतर परेशानी में इधर-उधर इसलिए फड़फड़ा रहे थे, क्योंकि उनका एक अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया और दूसरा अंडा लेखक की माँ की असावधानी के कारण टूट गया। इस तरह दोनों अंडों के टूट जाने पर अर्थात् अपने बच्चों का विनाश देखकर कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए–
प्रश्न 1.अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर–लशकर को अरबवासी नूह की उपाधी के रूप में याद करते हैं। नूह को पैगम्बर या ईश्वर का दूत भी कहा गया है। इसलिए लशकर को नूह के नाम से याद किया जाता है। उसके मन में करूणा होती थी। उनेक पावन ग्रंथों में इनका ज़िक्र मिलता है।।
प्रश्न 2.लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
उत्तर–लेखक की माँ शाम के समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थीं। उनका मानना था कि इससे पेड़ों को दुख पहुँचता है और वे रोते हैं। मानव धर्म तो यही कहता है कि कभी भी किसी भी सूरत में किसी को दुख न पहुँचाया जाए।
प्रश्न 3. प्रकृति में आए असंतुलन को क्या परिणाम हुआ?
उत्तर– प्रकृति में आए असंतुलन का दुष्परिणाम बहुत ही भयंकर हुआ; जैसे–
- विनाशकारी समुद्री तूफ़ाने आने लगे।
- अत्यधिक गरमी पड़ने लगी।
- असमय बरसातें होने से जन-धन और फ़सलें क्षतिग्रस्त होने लगीं।
- आधियाँ और तूफ़ान आने लगीं।
- नए-नए रोग उत्पन्न हो गए, जिससे पशु-पक्षी असमय मरने लगे।
प्रश्न 4. लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?
उत्तर– लेखक की माँ धार्मिक विचारों वाली महिला थी। वे मनुष्य से ही नहीं पशु-पक्षियों तक से प्रेम करती थीं। उनके घर की दालान में कबूतर ने दो अंडे दिए थे। उनमें से एक अंडा बिल्ली ने गिराकर फोड़ दिया था। दूसरा अंडा सँभालते समय उनके हाथ से टूट गया। अंडा टूटने का पछतावा करने के लिए उन्होंने पूरे दिन का रोज़ा रखा।
प्रश्न 5. लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक अनेक बदलाव देखे–
- उसके देखते-देखते बहुत सारे पेड़ कट गए।
- नई-नई बस्तियाँ बस गईं।
- चौड़ी सड़कें बन गईं।
- पशु-पक्षी शहर छोड़कर भाग गए। जो बच गए उन्होंने जैसे-तैसे यहाँ-वहाँ घोंसला बना लिया।
प्रश्न 6. डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-‘डेरा डालने’ से हम समझते हैं कि किसी भी प्राणी द्वारा जीवन-अनुकूल स्थान पर कब्ज़ा करके उसे अपना स्थायी या अस्थायी निवास बना लेना। प्राय: बंजारे या ख़ानाबदोश जातियाँ डेरा डालकर रहते हैं। कहीं-कहीं पक्षी भी किसी अनुकूल जगह पर घोंसला बना लेती हैं। ये भी ‘डेरा डालने’ का उदाहरण है।
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प्रश्न 7. शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए?
उत्तर– शेख अयाज़ के पिता अत्यंत दयालु और सहृदय व्यक्ति थे। एक बार वे कुएँ से स्नान करके लौटे और भोजन करने बैठ गए। अचानक उन्होंने देखा कि एक काला च्योंटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। उन्होंने भोजन वहीं छोड़ दिया और उसे छोड़ने उसके घर (कुएँ के पास) चल पड़े ताकि उस बेघर को उसका घर मिल सके।
प्रश्न 1. बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर– बढ़ती हुई आबादी ने पर्यावरण पर अत्यंत विपरीत प्रभाव डाला। ज्यों-ज्यों आबादी बढ़ी त्यों-त्यों मनुष्य की आवास और भोजन की जरूरत बढ़ती गई। इसके लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की गई ताकि लोगों के लिए घर बनाया जा सके। इसके अलावा सागर के किनारे अतिक्रमण कर नई बस्तियाँ बसाई गईं । इन दोनों ही कार्यों से पर्यावरण असंतुलित हुआ। इससे असमय वर्षा, बाढ़, चक्रवात, भूकंप, सूखा, अत्यधिक गरमी एवं आँधी-तूफ़ान के अलावा तरह-तरह के नए-नए रोग फैलने लगे। इस प्रकार बढ़ती आबादी ने पर्यावरण में जहर भर दिया।
प्रश्न 2. लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर–लेखक की पत्नी घर में बसेरा करनेवाले कबूतरों से परेशान थीं। उन्होंने घर में घोंसला बना लिया और अब उनके दो बच्चे भी थे जिन्हें खिलाने के लिए कबूतरों की घर में आवाजाही बनी रहती थी। उनकी विष्ठा से घर में गंदगी फैलती थी और आवाजाही में सामान भी टूट जाता था। इससे परेशान होकर लेखक की पत्नी ने उनका घर में आना-जाना बंद करने के लिए खिड़की में जाली लगवाई।
प्रश्न 3. समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
उत्तर- समुद्र के गुस्से की वजह थी-बिल्डरों की लालच एवं स्वार्थपरता। बिल्डरों ने लालच के कारण सागर के किनारे की भूमि पर बस्तियाँ बसाने के लिए ऊँची-ऊँची इमारतें बनानी शुरू कर दीं। इससे समुद्र का आकार घटता गया और वह सिमटता जा रहा था। मनुष्य के स्वार्थ एवं लालच से समुद्र को गुस्सा आ गया। उसने अपने सीने पर दौड़ती तीन जहाजों को बच्चों की गेंद की भाँति उठाकर फेंक दिया जिससे वे औंधे मुँह गिरकर टूट गए। ये जहाज़ पहले जैसे चलने योग्य न बन सके।
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प्रश्न 4. ‘मट्टी से मट्टी मिले,
खो के सभी निशान,
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान’
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि सभी प्राणियों में प्रकृति के ही पाँच तत्त्व मिले हुए हैं। इन्हीं पाँच तत्त्वों के समावेश से सभी प्राणी बने हुए हैं। हम सब की रचना इसी प्रकृति ने की है। प्रकृति के अनुसार सभी जीव समान हैं कोई भी छोटा-बड़ा नहीं है। मृत्यु के बाद सभी को इसी में मिल जाना है उसके बाद यह पता नहीं लगाया जा सकता कि किसमें कौन है और कितना है?
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए–
प्रश्न 1. नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था।
उत्तर–प्रकृति अत्यंत सहनशील और उदार स्वभाववाली है। वह मनुष्य की ज्यादतियों और छेड़छाड़ को एक सीमा तक सहन करती है पर जब पानी सिर के ऊपर हो जाता है तब प्रकृति अपनी विनाशलीला दिखाना शुरू करती है। इस क्रोध में जो भी उसके सामने आता है, वह किसी को नहीं छोड़ती है। प्रकृति ने समुद्री तूफ़ान का रूप धारण कर अपने सीने पर तैरते तीन जहाजों को उठाकर समुद्र से बाहर फेंक दिया।
प्रश्न 2. जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
उत्तर– इतिहास गवाह रहा है कि बड़े लोग प्रायः शांत स्वभाव वाले उदार और महान होते हैं। वे क्रोध से दूर ही रहते हैं। उनकी सहनशीलता भी अधिक होती है परंतु जब उन्हें क्रोध आता है तो यह क्रोध विनाशकारी होता है। यही स्थिति विशालाकार समुद्र की होती है जो पहले तो सहता जाता है, सहता जाता है परंतु क्रोधित होने पर भारी तबाही मचाता है।
प्रश्न 3.इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों–चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ–वहाँ डेरा डाल लिया है।
उत्तर–:- मनुष्य की बढ़ती हुई आबादी को बसाने के लिए बस्तियों का विस्तार किया गया जिसके लिए पेड़-पौधों को काटा गया और जंगलों को हटाया गया। इस कारण पशु-पक्षियों के रहने के घर छिन गए। उनमें से कुछ तो शहर से ही चले गए और कुछ ने शहर की इमारतों पर ही बसेरा बना लिया। मनुष्य ने अपने घर बसाने के लिए पशु-पक्षियों के घर उजाड़ दिए।
प्रश्न 4. शेख अयाज़ के पिता बोले, ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–इन पंक्तियों में शेख अयाज़ के पिता की परोपकार की भावना प्रकट हो रही है। वे एक परोपकारी व्यक्ति थे। समस्त जीवों के प्रति इन पंक्तियों के माध्यम से उनकी प्रेम-भावना उजागर हो रही है। दरअसल वे एक सरल हृदय, निष्कपट, दयालु और नेक इंसान थे। वे पशु-पक्षियों तथा कीड़े-मकोड़ों के दर्द और दुख-तकलीफ़ को भी समझते थे। उनकी भावनाएँ सभी के लिए समान थीं।।
भाषा–अध्ययन
1.उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक चिन्हों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए;
जैसे (क) माँ ने भोजन परोसा?- कर्ता
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।
(घ) कबूतर परेशानी में इधर–उधर फड़फड़ा रहे थे।
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो।
उत्तर:- (क). कर्ता कारक
(ख). संप्रदान कारक
(ग). संबंध कारक
(घ). अधिकरण कारक
(ड़). अधिकरण कारक
2. नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए –
चींटी, घोड़ा, आवाज, बिल, फौज, रोटी, बिंदु, दीवार, टुकड़ा।
उत्तर:- चींटी – चींटियाँ
घोड़ा – घोड़े
आवाज – आवाज़ें
बिल – बिलों
फौज – फौजें
रोटी – रोटियाँ
बिंदु – बिन्दुओं
दीवार – दीवारें
टुकड़ा – टुकड़े
3. ध्यान दीजिए नुक्ता लगाने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। पाठ में ‘दफा’ शब्द का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ होता है–बार (गणना संबंधी), कानून संबंधी। यदि इस शब्द में नुक्ता लगा दिया जाए तो शब्द बनेगा ‘ दफ़ा ‘ जिसका अर्थ होता है–दूर करना, हटाना। यहाँ नीचे कुछ नुक्तायुक्त और नुक्तारहित शब्द दिए जा रहे हैं उन्हें ध्यान से देखिए और अर्थगत अंतर को समझिए।
सजा–सज़ा, नाज–नाज़, जरा–ज़रा, तेज–तेज़
निम्नलिखित वाक्यों में उचित शब्द भरकर वाक्य पूरे कीजिए
(क) आजकल…. बहुत खराब है। (जमाना/ज़माना)
(ख) पूरे कमरे को…… दो। (सजा/सज़ा)
(ग) …… चीनी तो देना। (जरा/ज़रा)
(घ) माँ दही…….भूल गई। (जमाना/ज़माना)
(ङ) दोषी को…….दी गई। (सजा/सज़ा)
(च) महात्मा के चेहरे पर…… था। (तेज/तेज़)
उत्तर:- (क) आजकल ज़माना बहुत खराब है।
(ख) पूरे कमरे को सजा दो।
(ग) जरा चीनी तो देना।
(घ) माँ दही जमाना भूल गई।
(ङ) दोषी को सज़ा दी गई।
(च) महात्मा के चेहरे पर तेज था।