NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन

By | June 4, 2022
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है. Stri Shiksha ke Virodhi Question Answers को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन

प्रश्नअभ्यास

1.कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियो की शिक्षा के विरोधी थे। दिवेदी जी ने क्याक्या तर्क देकर स्त्रीशिक्षा का समर्थन किया ?

उत्तर कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने अनेक तर्कों के द्वारा उनके विचारों का खंडन किया है

1. प्राचीन काल में भी स्त्रियाँ शिक्षा ग्रहण कर सकती थीं। सीता, शकुंतला, रुकमणी, आदि महिलाएँ इसका उदाहरण हैं। वेदों, पुराणों में इसका प्रमाण भी मिलता है।

2. प्राचीन युग में अनेक पदों की रचना भी स्त्री ने की है।

3. यदि गृह कलह स्त्रियों की शिक्षा का ही परिणाम है तो मर्दों की शिक्षा पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए। क्योंकि चोरी, डकैती, रिश्वत लेना, हत्या जैसे दंडनीय अपराध भी मर्दों की शिक्षा का ही परिणाम है।

4. जो लोग यह कहते हैं कि पुराने ज़माने में स्त्रियाँ नहीं पढ़ती थीं। वे या तो इतिहास से अनभिज्ञ हैं या फिर समाज के लोगों को धोखा देते हैं।

5. अगर ऐसा था भी कि पुराने ज़माने की स्त्रियों की शिक्षा पर रोक थी तो उस नियम को हमें तोड़ देना चाहिए क्योंकि ये समाज की उन्नति में बाधक है।

2. ‘स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते’ – कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन दिवेदी जी ने कैसे किया है, अपने शब्दो मे लिखिए।

उत्तर स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्क देते हुए कहते हैं कि स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं, उनकी इस दलील का विवेदी जी ने अत्यंत विनम्रतापूर्वक खंडन किया है। वे कहते हैं यदि स्त्रियों के द्वारा किए गए अनर्थ उनकी शिक्षा के कारण हैं तो पुरुषों के द्वारी बम फेंकने, रिश्वत लेने, चोरी करने, डाके डालने, नरहत्या करने जैसे कार्य भी उनकी पढ़ाई के कुपरिणाम हैं। ऐसे में इस अपराध को ही समाप्त करने के लिए विश्वविद्यालय और पाठशालाएँ बंद करवा देना चाहिए। इसके अलावा दुष्यंत द्वारा शकुंतला से गंधर्व विवाह करने और बाद में शकुंतला को भूल जाने से शकुंतला के मन में कितनी पीड़ा उत्पन्न हुई होगी, यह तो शकुंतला ही जानती है। ऐसे में उन्होंने दुष्यंत को जो कटुवचन कहे यह उनकी पढ़ाई का कुफल नहीं बल्कि उनकी स्वाभाविकोक्ति थी।

3. दिवेदी जी ने स्त्रीशिक्षा विरोधी कुतर्कों का खंडन करने के लिए व्यंग्य का सहारा लिया हैजैसे ‘यह सब पापी पढ़ने का अपराध है। न वे पढ़ती, न वे पूजनीय पुरुषो का मुकाबला करती।’ आप ऐसे अन्य अंशो को निबंध मे से लिखिए।

उत्तर– 1)स्त्रियो के लिए पढ़ना कालकूट तथा पुरूषो के लिए पीयूष का घूँट।

2)स्त्रियो का किया हुआ अनर्थ यदि उनके पढ़ने का नतीजा है तो पुरुषो द्वारा किए अपराध भी उनके पढ़ने की ही वजह होने चाहिए।

4. पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा मे बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत हैपाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर पुराने ज़माने की स्त्रियों द्वारा प्राकृत में बोलना उनके अपढ़ होने का प्रमाण नहीं है, क्योंकि बोलचाल की भाषा प्राकृत ही थी जिसे सुशिक्षितों द्वारा भी बोला जाता था। जिस तरह आज हिंदी जन साधारण की भाषा है। यदि हिंदी बोलना और लिखना अपढ़ और अशिक्षित होने का प्रमाण नहीं है, तो उस समय प्राकृत बोलने वाले भी अनपढ़ या गँवार नहीं हो सकते। इसका एकमात्र कारण यही है कि प्राकृत उस समय की सर्वसाधारण की भाषा थी। अत: उस समय की स्त्रियों का प्राकृत भाषा में बोलना उनके अपढ़ होने का सबूत नहीं है।

5. परंपरा के उन्ही पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्रीपुरुष समानता को बढ़ाते होतर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तरपरम्पराएँ मानव-जीवन को सुन्दर व सुखमय बनाने के लिए होती हैं। प्रकृति ने मानव को स्त्री और पुरूष दो वर्गों में विभाजित किया है।  सृष्टि में दोनों की समान भागीदारी है। प्रकृति की ओर से कोई भेदभाव नहीं किया गया है। स्त्री हर क्षेत्र में पुरूषों की बराबरी कर रही है। स्त्री-पुरूष परस्पर मिलकर परिवार और समाज को बेहतर बना सकते हैं। इस कारण दोनों का प्रत्येक क्षेत्र में समान योगदान होता है। जहाँ तक परम्परा प्रश्न है, परम्पराओं का स्वरुप पहले से बदल गया है। अतः परम्परा के उन्हीं पक्षों को स्वीकार किया जाना चाहिए जो स्त्री-पुरूष की समानता को बढ़ाते हैं

6. तब की शिक्षाप्रणाली और अब की प्रणाली मे क्या अंतर है स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – तब अर्थात् प्राचीन भारत और वर्तमान शिक्षा प्रणाली में पर्याप्त अंतर है। उस समय शिक्षा गुरुकुलों में दी जाती थी जहाँ शिक्षा रटने की प्रणाली प्रचलित थी। इसके साथ उनमें उच्च मानवीय मूल्यों का विकास करने पर जोर दिया था ताकि वे बेहतर इंसान और समाजोपयोगी नागरिक बन सकें। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में रटने के बजाय समझने पर जोर दिया जाता है। आज की शिक्षा पुस्तकीय बनकर रह गई है जिससे मानवीय मूल्यों का उत्थान नहीं हो पा रहा है। शिक्षा की प्रणाली रोजगारपरक न होने के कारण यह आज बेरोजगारों की फ़ौज खड़ी कर रही है।

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रचना और अभिव्यक्ति

7. महावीर जी का निबंध उनकी दूरगामी और खूली सोच का परिचायक है, कैसे ?

उत्तर महावीर जी ने इस पाठ मे स्त्रियो की शिक्षा के लिए आवाज उठाई है। पुराने दौर मे स्त्री शिक्षा पर इतना अधिक जोर नहीं दिया जाता था और यह बात महावीर जी को बहुत खटकी। वह जानते थे कि आने वाले समय मे स्त्री शिक्षा बहेद जरूरी है पूरे भारतवर्ष की उन्नति के लिए इसलिए यह निबंध महावर जी की दूरगामी व खूली सोच का परिचायक है।

8. दिवेदी जी की भाषा शैली पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर द्विवेदी जी ने अपने निबंध में विषयानुरूप गंभीर, सरस एवं प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग किया है। विचारपूर्ण निबंध होने के कारण इसमें उदाहरण, व्यंग एवं सामसिक शैली का प्रयोग किया गया है। इन्होंने व्याकरण तथा वर्तनी की अशुद्धियों पर विशेष ध्यान दिया। इन्होने अपने निबंध में संस्कृत निष्ठ तत्सम शब्दों, के साथ साथ देशज, तद्भव तथा उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया है।।

भाषाअध्ययन

प्रश्न 9.निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों को ऐसे वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए जिनमें उनके एकाधिक अर्थ स्पष्ट होंचाल, दल, पत्र, हरा, पर, फल, कुल।

उत्तर: चाल-यदि जमाने की चाल बदलना चाहते हो तो चालबाज़ी छोड़ो।

दल-इस चुनाव में जनता के रोष ने सभी राजनीतिक दलों के इरादों को दल कर रख दिया।

पत्र-आज के समाचार-पत्र में मेरा पत्र छपा है।

 हरा-हमारे खिलाड़ियों ने हरे मैदान पर हर टीम को हरा दिया।

 पर-पक्षी तो पकड़ा गया, पर उसके पर सुरक्षित नहीं रहे।

 फल-अधिक फल खाने का फल भी अच्छा नहीं होगा।

कुल-हमारे कुल में सब लोगों के कुल अंक 70% से अधिक रहे हैं।

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