NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 7 छाया मत छूना

By | June 3, 2022
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 7 छाया मत छूना

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 7 छाया मत छूना यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Class 10 Chaya Mat Chuna को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 7 छाया मत छूना

प्रश्न– अभ्यास

1.कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

उत्तर कवि गिरिजा कुमार माथुर ने कविता ‘छाया मत छूना’ में यथार्थ को पूजने की बात इसलिए कही है। क्योंकि वर्तमान समय में वास्तविकताओं का सामना करके ही हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं । विगत स्मृतियों से चिपके रहना व्यर्थ है और वर्तमान से पलायन करके हम सुखी नहीं हो सकते। अतः वर्तमान समय में आने वाले कटोर यथार्थ का डटकर सामना करना ही हमारे जीवन की प्राथमिकता होनी चाहिए। यथार्थ को पूजकर ही हम सच्चाई का सामना कर सकते हैं और जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

2.भाव स्पष्ट कीजिए।

प्रभुता का शरणबिंब केवल मृगतृष्णा है,

हर चंद्रिका मे छिपी एक रात कृष्णा है।

उत्तर बड़प्पन का अहसास यानी महान होने का सुख एक झूठा आभास है| जिस तरह हिरण रेगिस्तान में पानी की आस में सूर्य की किरणों की चमक को जल मान उसके पीछे भटकते रहता है, बड़प्पन का अहसास भी ऐसा ही है| जिस तरह हर चाँदनी रात के बाद आमवस्या की काली रात आती है उसी तरह जीवन में सुख-दुःख भी आते जाते रहते हैं| इस सत्य को हमें स्वीकार करना चाहिए

जिस प्रकार रेगिस्तान मे हिरण जल की तलाश मे सूर्य की किरणों को जल मान उसके पीछे भटकता रहता है, प्रभुता का अहसाह भी ठीक ऐसा ही है।

जिस प्रकार हर चाँदनी रात के बाद अमावस्या की काली रात आती है, ठीक उसी प्रकार जीवन मे सुख के बाद दुख आना निश्चित है। यह जीवन का सत्य है और इसे हमें स्वीकार कर लेना चाहिए।

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3. ‘छाया’ शब्द यहाँ किस संदर्भ मे प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने से मना क्यों किया है?

उत्तर यहाँ ‘छाया’ शब्द अवास्तविकताओं के लिए प्रयुक्त हुआ है। ये छायाएँ अतीत की भी हो सकती हैं और भविष्य की भी। ये छायाएँ पुरानी मीठी यादों की भी हो सकती हैं और मीठे सपनों की भी।

4. कविता मे विशेषणों के प्रभाव से शब्दो के अर्थ मे विशेष प्रभाव पड़ता है जैसे कठिन यथार्थ। कविता मे आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?

उत्तर* सुरंग सुधियां सुहावनी- यहाँ स्मृतियों को रंग-बिरंगी और मन भावक रूप में प्रस्तुत किया गया है।

*दुविधा-हत साहस- साहस का दुविधाग्रस्त होना।

*शरद-रात- ऐसी रातें जो सरदी से युक्त है।

5. ‘मृगतृष्णा’ किसे कहते है? कविता मे इसका प्रयोग किस अर्थ मे हुआ है?

उत्तर गर्मियों में प्यास से व्याकुल मृग को रेगिस्तान में थोड़ी दूरी पर पानी होने का भ्रम  होता है, किंतु पास जाने पर केवल रेत-ही-रेत दिखाई देता है और फिर वहाँ से आगे पानी होने का भ्रम होने लगता है। वह पानी के इस भ्रम को वास्तविक पानी समझकर उसे पाने के लिए भागता रहता है। उसकी इस स्थिति को ही ‘मृगमरीचिका’ या ‘मृगतृष्णा’ कहा जाता है। इस प्रकार प्रतीकात्मक अर्थ में ‘मृगतृष्णा’ मिथ्या भ्रम अथवा छलावे की स्थिति को कहा जा सकता है। ‘छाया मत छूना’ कविता में कवि कहना चाहता है कि जीवन में प्रभुता यानी बड़प्पन की अनुभूति भी एक प्रकार से भ्रम ही है क्योंकि व्यक्ति इसे पाने के लिए मान-सम्मान, धन-संपति, पद-प्रतिष्ठा के लिए भागता रहता है और इसी भ्रम में वह पूरा जीबन छला जाता है और यह भ्रम उसे सुख नहीं, बल्कि दुख ही देता है।

6. ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ यह भाव कविता की किस पंक्ति मे झलकता है?

उत्तर क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?

जो न मिला उसे भूल कर तू भविष्य वरण।

7. कविता मे व्यक्त दुखो के कारणो को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘छाया मत छूना’ कविता में कवि ने मानव की कामनाओं-लालसाओं के पीछे भागने की प्रवृत्ति को दुखदायी माना है क्योंकिं इसमें अतृप्ति के सिवाय कुछ नहीं मिलता। हम विगत स्मृतियों के सहारे नहीं जी सकते, हमें वर्तमान में जीना है। उन्हें छूकर याद करने से मन में दुख बढ़ जाता है। दुविधाग्रस्त मन:स्थिति व समयानुकूल आचरण न करने से भी जीवन में दुख आ सकता है। व्यक्ति प्रभुता या बड़प्पन में उलझकर स्वयं को दुखी करता है।

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रचना और अभिव्यक्ति

8. ‘जीवन मे है सुरंग सुधियाँ सुहावनी’ से कवि का अभिप्राय जीवन की मधुर स्मृतियों से है। आपने अपने जीवन की कौनसी स्मृति संजो रखी है?

उत्तर जब पहली बार मे अपनी कक्षा मे अव्वल आया था, वह स्मृति मैने संजो कर रखी है। ३स वक्त जो खुशी मेरे माँ पापा के चेहरे पर थी, वो अनमोल थी।

9. ‘क्या हुआ जो खिला फूल रसबसंत जाने पर ?’ कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी अपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। क्या आप ऐसा मानते है? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर कवि का मानना है कि समय बीत जाने पर भी उपलब्धि मनुष्य को आनंद देती है। लेकिन कभी-कभी समय बीतने पर उपलब्धि की उपादेयता नहीं रहती। हमारे विचार में समय पर होने वाली उपलब्धि की उपादेयता अधिक है। जब कोई लक्ष्य निर्धारित करके परिश्रम या प्रयत्न किया जाता है और उसमें हमें सफलता मिलती है तथा परिणाम सकारात्मक होता है तो असीम आनन्द की अनुभूति होती है। लेकिन निर्धारित समय के अनुसार सफलता नहीं मिलती है तो मन को सब्र करना पड़ता है।