The Snake and The Mirror Summary in Hindi | Easy Language

By | February 25, 2023
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The Snake and The Mirror Summary in Hindi

                                                                 ByVaikom Muhammad Basheer

 कहानी का वर्णनकर्ता एक डॉक्टर है । वह अपने कुछ मित्रों को यह कहानी सुना रहा है । वह एक भयानक सांप के साथ अपने सामने की कहानी सुनाता है । वह होम्योपैथी का डॉक्टर है । वह कहता है कि उसने अपनी प्रैक्टिस उन्ही दिनों में आरंभ की थी जब वह एक किराए के कमरे में रह रहा था ।
ग्रीष्म ऋतु की गर्म रात थी । समय लगभग दस बजे का था । वह एक रेस्तरां से भोजन करके  अभी-अभी लौटा था । उसने मिट्टी के तेल का लैंप जलाया, क्योंकि उसके घर में बिजली नहीं थी । कुछ समय पश्चात्  उसने अपने कमरे की दो खिड़कियाँ खोल दी । तब वह कुर्सी पर बैठ गया और पढ़ने के लिए एक  पुस्तक निकाल ली । लैंप के अलावा मेज पर एक  बड़ा दर्पण भी था । उन दिनों में डॉक्टर अपने रूप की बहुत परवाह करता था , क्योंकि वह कुंवारा था । उसने एक कंघी उठाई और अपने बालों में फेरी । उसने दर्पण में स्वयं को देखा और अपने प्रतिबिंब पर मुस्कराया । कमरे में चूहे थे जो लगातार शोर मचा रहे थे ।
डॉक्टर उठा, उसने बीड़ी सुलगाई और कमरे में इधर-उधर चहलकदमी करने लगा । उसने फैसला किया कि वह शादी करेगा । उसने फैसला किया वह एक लेडी डॉक्टर से शादी करेगा । जो बहुत अमीर होगी और जिसकी प्रैक्टिस अच्छी होगी । उसने फैसला किया कि वह एक मोटी औरत से शादी करेगा ताकि अगर वह भागना चाहे तो वह उसके पीछे न भाग सके ।
यह मेज के सामने कुर्सी में फिर से बैठ गया । चूहों की आवाजें आनी बंद हो गई । अचानक उसने सुना कि कोई चीज उसकी कुर्सी पर धम्म से गिरी है । वह यह देखकर भयभीत हो गया कि कुर्सी की पीठ पर एक बड़ा सांप था । उसी समय सांप डॉक्टर की पीठ पर आ गया । इससे पहले कि डॉक्टर सोच सकता या कुछ करता, सांप उसकी बाई बाजू से लिपट गया । उसका फन फैला हुआ था और उसका सिर उसके चेहरे से मुश्किल से तीन या चार इंच दूर था ।
डॉक्टर डर से पत्थर बन गया गया । मगर उसका दिमाग चुस्त था । उसने भगवान से प्रार्थना की कि वह उसे बचा ले । ऐसा लगा जैसे भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली । सांप ने अपना सिर घुमाया और दर्पण में देखा । ऐसा लगा कि जैसे उसे अपना बिंब अच्छा लगा । तब सांप ने स्वयं को डॉक्टर की बाजू से अलग कर लिया और उसकी गोद में गिर राया । वहाँ से सांप रेंगकर मेज़ पर आ गया । वह दर्पण की ओर मुड़ा । शायद वह अपना बिंब नजदीक से देखना चाहता था ।
अब डॉक्टर ने शीघ्रता से कार्य किया । अपना सांस थामे –थामे वह कुर्सी से उठा । तब वह घर में से बाहर भागा । वह अपने एक मित्र के घर गया और रात वहाँ बिताई । अगली प्रात: उसने अपने मित्र एवं दो अन्य व्यक्तियों को अपने साथ लिया और अपने कमरे में आया । उसने किसी अन्य घर में जाने का निर्णय ले लिया था । मगर उसे यह देखकर धक्का लगा कि उसके कमरे में कुछ भी नहीं बचा था । कोई चोर उसकी अधिकतर वस्तुएं ले गया था। न ही वहाँ सांप का कोई चिह्न था ।