The Portrait of the Lady Summary in Hindi | Easy Language

By | February 15, 2023
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The Portrait of the Lady Summary in Hindi

                                              By- Khushwant Singh

लेखक की दादी एक वृद्ध महिला थी Iउसका पूरा चेहरा झुर्रियों से भरा था बीस वर्षों से लेखक ने उसके चेहरे पर तथा व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं देखाI यह विश्वास करना कठिन था कि वह भी कभी खिलक्कड़ बच्ची अथवा सुंदर युवती थी जिसका एक पति भी था Iदादाजी भी अपनी लंबी सफेद दाढ़ी के साथ चित्र में कोई 100 वर्ष आयु के दिखते थे Iयह सोचना भी बुरा लगता था कि दादी कभी युवा और सुन्दर भी थीI
वृद्ध महिला छोटे कद की तथा उसकी कमर कुछ झुकी हुई थी Iवह घर में लंगड़ाते हुए घूमा करती थी Iअपनी रुपहले बालों के साथ वह सफेद वस्त्र ही पहना करती थी Iउसके हाथ में सदा एक माला होती थी जिसको वह फेरती रहती थी Iउसके होंठ भी सदा मूक रहकर भजन आदि गुनगुनाते रहते थे Iवह शांति और संतोष की प्रतिमूर्ति दिखती थीI
जब लेखक के माता-पिता नगर में रहने चले गए तो उन्होंने बालक को बूढ़ी दादी के पास गाँव  में ही छोड़ दिया Iवही बालक को स्कूल के लिए तैयार करती थी जब वह बालक को नहलातीतथा कपड़े पहनाती थी तो वह अपना प्रातः का भजन गुनगुनाती रहती थी I

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वह आशा करती थी कि बच्चा उस भजन को सुन-सुनकर कंठस्थ कर लेगा Iपर लेखक तो दादी का भजन इसलिए सुना करता था क्योंकि उसे दादी की आवाज पसंद थी Iलड़के को तख्ती के साथ एक छोटी दवात और कलम बैग में रखकर दादी बालक के साथ ही स्कूल जाती थी Iवह सदा अपने साथ कुछ बासीचपातियाँ भी गाँव के कुत्तों के लिए ली जाती थी उन रोटी के टुकड़ों को वह घर लौटतेसमय कुत्तों के सामने फेंक दिया करती थी I 
स्कूल एक मंदिर से जुड़ा हुआ था Iजो बच्चे बरामदे में बैठकर पुजारी द्वारा अक्षर ज्ञान सीखते रहते थे, वृद्ध दादी मंदिर के अंदर बैठकर कोई धर्म ग्रंथ पढ़ा करती थी जब दोनों का काम पूरा हो जाता था तो वे साथ-साथ लौटते थे यह था लेखक की दादी के साथ मित्रता का पहला चरणI
जब माता – पिता शहर में भली- भाँति बस गए, उन्होंने बालक और दादी को भी वहीँ बुला लिया Iयह उनकी मित्रता का दूसरा चरण था, उसमें एक नया मोड़ था Iअब दादी बालक के साथ अंग्रेजी स्कूल नहीं जा पाती थी और वहाँ सड़क पर कुत्ते भी नहीं दिखते थे Iइस कारण दादी ने आँगन में ही गौरेया पक्षियों को रोटी खिलाना शुरू कर दिया Iसमय बीतने के साथ-साथ दादी-पोते के साथ भी कम होने लगाIदादी अक्सर पूछा करती कि बालक ने स्कूल में क्या पढ़ाI बेचारी न तो अंग्रेजी के शब्द समझ पाती थी ना ही विज्ञान के नियम Iइस कारण वह बालक को पाठ याद करने में मदद नहीं कर पाती थीI
पर उसे गहरा आघात यह जानकर लगा कि स्कूल में धर्म और नैतिक शास्त्र का ज्ञान नहीं कराया जाता थाIदूसरी बात, बच्चों को संगीत शिक्षा भी दी जाती थी उसकी दृष्टि में संगीत का संबंध तो भिखारियों और वेश्याओं से होता थाI
जब लेखक उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने लगा तो भी दादी व्याकुल और दुखी नहीं हुईI उसने कोई भावुकता नहीं दिखाई जब वह लेखक को स्टेशन पर अलविदा कहने गईI लेखक को आशा नहीं थी कि घर वापस आने पर वह दादी को जीवित पाएगा Iपर दादी उसे लेने पहुंची थी वह बहुत प्रसन्न दिखाई दे रही थी उसने पक्षियों को काफी समय तक खाना खिलाया Iवह पुरानी ढोलक ले आई,पड़ोस की महिलाओं को एकत्रित किया और घंटो गीत गाएI वह इतना अधिक परिश्रम सहन नहीं कर सकी Iवह बीमार पड़ गईI उसने बता दिया कि उसका अंत समय आ गया है Iउसने परिवार के किसी भी सदस्य से बात करने से इन्कार कर दिया और वह शांतिपूर्वक भगवान को प्यारी हो गईI
परिपाटी के अनुसार उसके शव को जमीन पर रख दिया गया तथा उसके ऊपर लाल कफन डाल दिया गया जब सभी लोग उसे अकेला छोड़कर उसकी शव यात्रा की तैयारी करने चले गए तो पक्षी शव के आस-पास एकत्रित हो गए Iपर वे सभी मूक रहकर शोक मना रहे थे Iलेखक की माँ ने सोचा कि ये पक्षी भूखे होंगे, उसने रोटी के टुकड़े उनके सामने फेंक दिएI पर पक्षियों ने उन टुकड़ों की ओर कोई ध्यान नहीं दियाI जब शव को ले जाया गया, तो पक्षी भी चुपचाप वहाँ से उड़ गएI अगलीप्रातः जमादार ने उन टुकड़ों को बुहार कर कूड़ेदान में फेंक दिया I

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