Tea From Assam Class 10 Summary in Hindi

By | August 15, 2022
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Tea From Assam Class 10 Summary in Hindi

 प्रांजल  आसाम  का रहने वाला था l वह देहली के एक स्कूल में पढ़ता था I प्रांजल  का पिता ऊपरी आसाम में चाय के एक बाग का प्रबंधक था l प्रांजल  ने राजवीर को गर्मी की छुट्टियों में अपने घर आने के लिए आमंत्रित किया l दोनोँ ने एक रेलगाड़ी से आसाम के लिए यात्रा की I रास्ते में जब एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो एक चाय वाले ने कहा, “चाय गरम, गरम चाय” l उन्होंने चाय ली और उसे पीना आरंभ कर दिया l राजवीर ने प्रांजल  को कहा कि सारे संसार में प्रतिदिन अस्सी करोड़ कप से अधिक चाय पी जाती है l

   प्रांजल  ने अपनी जासूसी पुस्तक फिर से पढ़नी आरंभ कर दी l मगर राजवीर चलती हुई गाड़ी से बाहर देखने लगा l बाहर का द्दश्य सुन्दर था l शीघ्र ही धान के नर्म हरे खेत पीछे रह गए और चारों तरफ चाय की झाड़ियाँ थी l राजवीर चाय के बागो के शानदार नजारे से आकर्षित हो गया l वहाँ पर छायादार वृक्ष भी थे l वह बहुत उत्तेजित हो गया l प्रांजल  ने राजवीर  की उतेजना में कोई भाग नहीं लिया क्योकि उसका पालन-पोषण चाय के बागानों में ही हुआ था l उसने राजवीर को बताया कि आसाम में संसार के सबसे ज्यादा चाय के बागान हैं l

    राजवीर ने कहा कि इस बात का किसी का पूरा ज्ञान नहीं है कि चाय की खोज किसने की l उसने प्रांजल  को बताया कि चाय की खोज के साथ बहुत-सी किवदंतियाँ जुड़ी हुई है l एक कहानी के अनुसार एक चीनी सम्राट ने संयोग से इसकी की खोज कर दी l वह पानी सदा उबालकर पिया करता था l एक दिन बर्तन के नीचे जलती हुई टहनियों के कुछ पत्ते पानी में गिर गए l  परिणमस्वरूप, पानी में स्वादिष्ट सुगंध आ गई l  यह कहा जाता है कि वे चाय के पत्ते थे l एक अन्य भारतीय कहानी के अनुसार, बोधिधर्म, नाम के एक प्रचीन बौद्ध भिक्ष को, साधना के दौरान नींद आया करती थी l इसलिए उसने अपनी पलकों को काटकर फेंक दिया l उसकी पलकों से चाय के दस पौधे पैदा हुए l इन पौधों के पत्ते को गर्म पानी में डालकर पीने से नींद गायब हो जाती थी l

राजवीर ने प्रांजल को बताया कि सबसे पहले चाय को 2700 ईसा पूर्व चीन में पिया गया l ‘चाय और चीनी’ जैसे शब्द चीन के है l चाय यूरोप में सोलहवीं शताब्दी में आई l शुरु में इसे पेय पदार्थ से अधिक एक दवाई के रूप में पिया जाता था l राजवीर और प्रांजल  दोनों मैरीयानी स्टेशन पहुँचे l  प्रांजल के माता-पिता ने उनका प्लेटफार्म पर स्वागत किया l वे उन्हें कार में धेकियाबरी ले गए, जोकि चाय का बाग था जहाँ प्रांजल के पिता प्रबंधक थे l सड़क के दोनों ओर कई-कई एकड़ो तक चाय की झाड़ियाँ थी l अपनी पीठ पर पर बाँस की टोकरियाँ रखे हुए औरतें चाय के ताज़े पत्ते को तोड़ रही थी l वे वहाँ पर नई पत्तियाँ उगने के मौसम में आए थे l राजवीर ने कहा कि मौसम मई से जुलाई तक चलता है l इस मौसम के दौरान सर्वोतम चाय उगती है l प्रांजल के पिता ने राजवीर से कहा कि वह चाय के बारे में बहुत कुछ जानता है l उसने कहा कि वह वहाँ पर चाय के बारे में और बहुत कुछ सीखेगा l