NCERT Solutions for Class 9 Hindi K Chapter 9 अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु …यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है| NCERT Hindi book for class 9 Sparsh Solutions के Chapter 9 अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु …को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके| इस पेज में आपको NCERT solutions for class 9 hindi Sparsh दिया जा रहा है|
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु …
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
उत्तर – पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना चंदन-पानी, घन-वन-मोर, चन्द्र-चकोर, दीपक-बाती, मोती-धागा, सोना-सुहागा आदि से की गई है।
पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे-पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर – मोरा -चकोरा
दासा – रैदास
बाती – राती
धागा – सुहागा
पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए-
उत्तर- चंदन – बास
घन बन – मोर
चंद – चकोर
मोती – धागा
सोना – सुहागा
स्वामी – दास
दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – दूसरे पद में गरीब निवाजु ईश्वर को कहा गया है। ईश्वर को निवाजु ईश्वर कहने का कारण यह है कि वे निम्न जाति के भक्तों को भी समभाव स्थान देते हैं, गरीबों का उद्धार करते हैं,उन्हें सम्मान दिलाते हैं, सबके कष्ट हरते हैं और भवसागर से पार उतारते हैं
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–‘जाकी छोति जगत कउ लागै’ का अर्थ है जिसकी छूत संसार के लोगों को लगती है और ‘ता पर तुहीं ढरै’ का अर्थ है उन पर तू ही (दयालु) द्रवित होता है। पूरी पंक्ति का अर्थ है गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनसे दूर रहता है। परन्तु ईश्वर कोई भेदभाव न करके उन पर दया करते हैं, उनकी मद्द करते हैं, उनकी पीड़ा हरते हैं।
“रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?
उत्तर – रैदास ने अपने पद में स्वामी यानि ईश्वर को गुसईया, लाल, गोविंद, हरि, प्रभु, गरीब निवाजु आदि कई नामों से पुकारा है।
(छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
मोरा, चंद, बाती जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसईआ
उत्तर- मोरा – मेरा
चंद – चाँद
बाती – बत्ती
जाति – ज्योति
बरै – जले
राती – रात
छत्रु – छत्र
धरै – धारण
छोति – छुआछूत
तुहीं – तुम ही
गुसइआ – गोसाईं
इस पेज में आपको NCERT solutions for class 9 hindi Sparsh दिया जा रहा है| हिंदी स्पर्श के दो भाग हैं | Hindi Sparsh स्पर्श भाग 1 सीबीएसई बोर्ड द्वारा class 9th के लिए निर्धारित किया गया है | इस पेज की खासियत ये है कि आप यहाँ पर ncert solutions for class 9 hindi Sparsh pdf download भी कर सकते हैं| we expect that the given class 9 hindi Sparsh solution will be immensely useful to you.
प्रश्न 2.
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी अँग-अँग बास समानी
उत्तर – इस पंक्ति का भाव यह है कि जैसे चंदन में मिलने के बाद पानी महक जाता है, ठीक उसी तरह भगवान की भक्ति के रंग में रंगकर भक्त का जीवन महक उठता है।
जैसे चितवत चंद चकोरा
उत्तर – भाव यह है कि रैदास अपने आराध्य प्रभु से अनन्य भक्ति करते हैं। वे अपने प्रभु के दर्शन पाकर प्रसन्न होते हैं। प्रभु-दर्शन से उनकी आँखें तृप्त नहीं होती हैं। वे कहते हैं कि जिस प्रकार चकोर पक्षी चंद्रमा को निहारता रहता है। उसी प्रकार वे भी अपने आराध्य का दर्शनकर प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
जाकी जोति बरै दिन राती
उत्तर–‘ जाकी जोति बरै दिन राती’ : इस पंक्ति का आश्य यह है कि कवि अपने आप को दिए की बाती तथा ईश्वर को दीपक मानते हैं। ऐसा दीपक जो दिन-रात जलता रहता है, कभी भी नहीं भुझता।
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
उत्तर –‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ : इस पंक्ति का भाव यह है कि ईश्वर से बढ़कर इस संसार सभी लोगों को एक बराबर सम्मान देने वाला कोई नहीं है। समाज के निम्न वर्ग को उचित सम्मान देने वाला कोई नहीं है परंतु ईश्वर तो सबका है और वह किसी में भी भेदभाव नहीं करता तथा वह अछूतों को भी सम्मान से देखते हैं और उच्च पद पर आसीन करते हैं ।
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै
उत्तर – इस पंक्ति का भाव यह है कि ईश्वर हर कार्य को करने में समर्थ हैं। वे नीच को भी ऊँचा बना लेता है। उनकी कृपा से निम्न जाति में जन्म लेने के उपरांत भी उच्च जाति जैसा सम्मान मिल जाता है।
प्रश्न 3.रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- पहले पद का केंद्रिय भाव: जब भक्त के ह्रदय में एक बार प्रभु नाम की रट लग जाए तब वह छूट नहीं सकती। कवि ने भी प्रभु के नाम को अपने अंग-अंग में समा लिया है। वह उनका अनन्य भक्त बन चुका है। भक्त और भगवान दो होते हुए भी मूलत: एक ही हैं। उनमें आत्मा परमात्मा का अटूट संबंध है।
दूसरे पद में: प्रभु सर्वगुण सम्पन्न सर्वशक्तिमान हैं। वे निडर है तथा गरीबों के रखवाले हैं। ईश्वर अछूतों के उद्धारक हैं तथा नीच को भी ऊँचा बनाने वाले हैं।
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1. रैदास को किसके नाम की रट लगी है? वह उस आदत को क्यों नहीं छोड़ पा रहे हैं?
उत्तर – रैदास को राम के नाम की रट लगी है। वह इस आदत को इसलिए नहीं छोड़ पा रहे हैं, क्योंकि वे अपने आराध्ये प्रभु के साथ मिलकर उसी तरह एकाकार हो गए हैं; जैसे: चंदन और पानी मिलकर एक-दूसरे के पूरक हो जाते हैं।
प्रश्न 2. जाकी अंग-अंग वास समानी’ में जाकी’ किसके लिए प्रयुक्त है? इससे कवि को क्या अभिप्राय है?
उत्तर – जाकी अंग-अंग वास समानी’ में ‘जाकी’ शब्द चंदन के लिए प्रयुक्त है। इससे कवि का अभिप्राय है जिस प्रकार चंदन में पानी मिलाने पर इसकी महक फैल जाती है, उसी प्रकार प्रभु की भक्ति का आनंद कवि के अंग-अंग में समाया हुआ है।
प्रश्न 3. ‘तुम घन बन हम मोरा’-ऐसी कवि ने क्यों कहा है?
उत्तर – रैदास अपने प्रभु के अनन्य भक्त हैं, जिन्हें अपने आराध्य को देखने से असीम खुशी मिलती है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।
प्रश्न 4. जैसे चितवत चंद चकोरा’ के माध्यम से रैदास ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर – जैसे चितवत चंद चकोरा’ : इस पंक्ति का आश्य यह है कि जैसे चकोर पक्षी हमेशा चंद्रमा को और निहारता रहता है उसी प्रकार भक्त भी सदा ईश्वर का प्रेम पाने के लिए तैयार रहता है।
प्रश्न 5. रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ को प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर – रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ में अपने आराध्य के नाम की रट की आदत न छोड़ पाने के माध्यम से कवि ने अपनी अटूट एवं अनन्य भक्ति भावना प्रकट की है। इसके अलावा उसने चंदन-पानी, दीपक-बाती आदि अनेक उदाहरणों द्वारा उनका सान्निध्य पाने तथा अपने स्वामी के प्रति दास्य भक्ति की स्वीकारोक्ति की है।
प्रश्न 6. कवि ने गरीब निवाजु किसे कहा है और क्यों ?
उत्तर – कवि ने गरीब निवाजु’ अपने आराध्य प्रभु को कहा है, क्योंकि उन्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे जानेवाले और अछूत कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँचा स्थान मिल सकी है।