NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 10 वाख

By | June 2, 2022
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 10 वाख

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 10 वाख यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Vaakh Class 9 Question Answer को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 10 वाख

प्रश्नअभ्यास

1. ‘रस्सीयहां किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?

उत्तर:रस्सी शब्द यहां हमारे इस नश्वर शरीर के लिए प्रयुक्त हुआ है, जो कि सदा साथ नहीं रहता। यह रस्सी कच्चे धागे की भाँति है, जो कभी भी टूट सकती है। हमारा शरीर कब तक हमारा साथ दे पाएगा, इसकी खबर खुद हमें भी नहीं होती है, इसलिए इसे कच्चे धागे की रस्सी बताया गया है, जो कभी भी जीवन रूपी नाव का साथ छोड़ सकती है।

2. कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?

उत्तर:- कवयित्री कमजोर साँसों रुपी डोरी से जीवन रूपी नौका को भवसागर से पार ले जाना चाहती है |पर शरीर रूपी कच्चे बर्तन से जीवनरूपी जल टपकता जा रहा है | इसकी वजह से उसके हृदय में पीड़ा उठ रही है और वह व्याकुल हो रही है क्योंकि उसके मन में प्रभु मिलन की चाह है।

कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं

3. कवयित्री का घर जाने की चाहसे क्या तात्पर्य है?

उत्तर:- घर जाने की चाह’ के माध्यम से कवयित्री बता रही हैं कि यह संसार उनका वास्तविक घर नहीं है। उनका असली घर यानि मंज़िल तो परमात्मा-परमेश्वर के पास है। इस दुनिया में तो हम सभी मनुष्य बस कुछ ही समय के मेहमान होते हैं, अंत में तो हमें प्रभु के पास ही जाना होता है। कवयित्री को भी परमात्मा से मिलने की बहुत तीव्र इच्छा सता रही है|कवयित्री ने प्रभु से मिलने व मोक्ष पाने की चाह को घर जाने की चाह बताया है, जिसके लिए वह तरह-तरह के प्रयत्न कर रही हैं।

4. भाव स्पष्ट कीजिए

(). जेब टटोली कौड़ी ने पाई।

(). खाखाकर कुछ पाएगा नहीं,

न खाकर बनेगा अहंकारी।

उत्तर:- (). कवयित्री कहती है कि इस संसार में आकर वह संसारिकता में उलझ कर रह गई है और जब अंत समय आया और जेब टटोली तो कुछ भी हासिल ना हुआ अब उसे चिंता सता रही है कि भवसागर पार कराने वाले मांझी अर्थात ईश्वर को उतर आई के रूप में क्या देगी। लेखिका को इस बात की चिंता है कि जब प्रभु उनके जीवन की नैया को पार लगाएंगे, तब उनसे किराए के रूप में उनके पुणे व सुकर्म मांगें जाएंगे और उनके पास तो कुछ भी नहीं है क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन तो बेफिजूल की हठ में व नश्वर वस्तुओं को पाने की भागदौड़ में ही व्यर्थ गवां दिया है।

(ख).प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग अपनाने को कहा है कवयित्री कहती है कि मनुष्य का भोग विलास में पढ़कर कुछ भी प्रयास है प्राप्त नहीं होगा मनुष्य जब संसार इक भोगों को पूरी तरह से त्याग देता है तब उसके मन में अहंकार की भावना पैदा हो जाती हैं अतः सभी को भोग त्याग सुख-दुख के मध्य का मार्ग अपनाना चाहिए।

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5. बंद द्वार की सांकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है?

उत्तर:- आत्मा में में व्याप्त अज्ञान रूपी अंधकार ,जातिवाद , छुआछूत  इत्यादि सामाजिक बुराइयों के भाव को मनुष्य जब त्याग कर समान भाव से सबको देखेगा तो उसके आत्मा के बंद द्वार या दरवाजे के सांकल खिड़कियाँ खुल जायेंगे |

बंद द्वार की सांकल खोलने के लिए ललद्यद

6. ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त होता है?

उत्तर:-  आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।

सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!

जेब टटोली, कोड़ी ने पाई।

मांझी को दूं, क्या उतराई?

7. ‘ज्ञानीसे कवयित्री का करता अभिप्राय है?

उत्तर:- ज्ञानी से कवयित्री का यह अभिप्राय है कि जिसने आत्मा और परमात्मा के संबंध को जान लिया हो। कवयित्री के अनुसार ईश्वर का निवास तो हर एक कण-कण में है परंतु मनुष्य इसे धर्म में विभाजित कर मंदिर और मस्जिद में पहचानने की कोशिश करता है।

रचना और अभिव्यक्ति

8. हमारे संतो भक्तों और महापुरुषों ने बार बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है

(). आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?

(). आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।

उत्तर:- (क).जाति और धर्म के भेदभाव के कारण देश में जगह-जगह सांप्रदायिक लड़ाई-दंगे हो जाते हैं। लोग आपस में धर्म के नाम पर झगड़ते हैं। इन सबके चक्कर में कई निर्दोष लोग घायल होते हैं या उनकी जान चली जाती है। इसकी वजह से हमारे सामाजिक संबंध ख़राब हो रहे हैं और हमारा सही विकास भी नहीं हो पा रहा है। हर वर्ष इन भेदभावों की वजह से हमारे देश के जन-धन का काफी नुकसान होता है। नीची जाति वाले लोगों की इज्जत नहीं करने का सिर्फ एक ही कारण है और वह है उनकी जाति। यह बिल्कुल भी उचित नहीं है, क्योंकि एक व्यक्ति की पहचान और प्रतिष्ठा उसके काम से होनी चाहिए ना की उसकी कुल व जाति से।

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आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज

(). भेदभाव को निम्नलिखित तरीकों से मिटाया जा सकता है:-

1.नौकरियों व विभिन्न परीक्षाओं से आरक्षण को हटाया जाए और योग्यता को बढ़ावा दिया जाए।

2. जातिगत आरक्षण की बजाय प्राथमिकता उन्हें देनी चाहिए जो अंतर जातीय विवाह कर समाज में समानता ला रहे हैं।

3. भारत के प्रमुख मंदिरों में 50% पुजारी दलितों को लगाना चाहिए।

4. भारत को मजबूत व समावेशी आर्थिक विकास सुनिश्चित करना चाहिए

5. ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए कि राजनीतिज्ञ जातिवाद को चुनाव के बीच में नहीं ला पाए।

6. दलित बच्चों को स्कूल में लाने के लिए अधिक से अधिक आर्थिक प्रोत्साहन देना चाहिए।

7. सरकारों को शहरीकरण पर ज्यादा जोर देना चाहिए क्योंकि हम जानते हैं कि शहरों में भेदभाव कम होता है।

8. जातिवाद को सरकारी जगहों से बिल्कुल खत्म कर देना चाहिए।

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