NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला राही मासूम रज़ा

By | June 4, 2022
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला राही मासूम रज़ा

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला राही मासूम रज़ा यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Topi Shukla Class 10 Solutions को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला राही मासूम रज़ा

बोध-प्रश्न

1.इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?

उत्तर:- इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला दोनों गहरे दोस्त थे। एक दूसरे के बिना अधूरे थे परन्तु दोनों की आत्मा में प्यार की प्यास थी। इफ़्फ़न तो अपने मन की बात दादी को या टोपी को कह कर हल्का कर लेता था परन्तु टोपी के लिए इफ़्फ़न और उसकी दादी के अलावा कोई नहीं था। अत: इफ़्फ़न वास्तव में टोपी की कहानी का अटूट हिस्सा है।

2. इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?

उत्तर:- इफ़्फ़न की दादी एक जमींदार की बेटी थीं। बचपन से ही वे दूध-घी खाते-खाते बड़ी हुई थीं। लेकिन अपने ससुराल लखनऊ में वे उस दही के लिए तरस गई थी जो घी पिलाई हांडियों में असामियों के यहां से आया करता था। इसलिए जब वे मायके जाती थी तो लपड़-शपड़ जी भरकर खा लेती थी। ससुराल में उन्हें हर वक्त मौलविन बने रहना पड़ता था। यहां उनकी आत्मा हमेशा बेचैन रहती थी। यही कारण था कि वे अपने पीहर जाना चाहती थीं।

3. दादी अपने बेटे की शादी में गानेबजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?

उत्तर:- दादी अपने बेटे सय्यद मुरतुजा हुसैन की शादी में गाने-बजाने की इच्छा को इसलिए पूरी नहीं कर पाईं क्योंकि उनके पति कट्टर मौलवी थे जो हिंदुओं के हाथ का पका हुआ तक नहीं खाते थे। बेटे की शादी में दादी का दिल गाने-बजाने को लेकर खूब फड़फड़ाया किंतु मौलवियों के घर में गाने-बजाने की पाबंदी होती थी। इसलिए उनकी इच्छा मन में ही दबकर रह गई। बेटे की शादी के बाद मौलवी साहब की मृत्यु हो गई। इफ्फ़न बाद में पैदा हुआ था जिस कारण दादी को अब कोई डर नहीं रह गया था और उसने इफ्फ़न की छठी पर खूब नाच-गाकर जश्न मनाया था। ।

4. ‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर:- टोपी के परिवार वाले कट्टर हिंदू थे। आजकल के लोगों की तरह उनकी सोच इतनी आजाद नहीं थी। वे मुसलमानों से दूर ही रहना पसंद करते थे। ‘अम्मी’ एक उर्दू का शब्द है, जो साधारणतः मुसलमानों द्वारा प्रयोग में लिया जाता है। टोपी के मुंह से ‘अम्मी’ शब्द सुनकर सभी लोग हैरान व परेशान होकर उसकी तरफ देखने लग गए। खाने की मेज पर जितने भी हाथ थे, सभी रुक गए। सभी भौंचक्के होकर टोपी को एकटक देखने लग गए। उनकी परंपराओं की दीवारें डोलने लग गईं। उनके धर्म पर संकट के बादल मंडराने लग गए। सभी ने अंदाजा लगा लिया कि टोपी किसी मुसलमान लड़के के साथ रहने लग गया है और इस अनुमान के सही साबित होने पर उसकी मां व दादी ने उसकी खूब पिटाई करी।

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5. दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता है?

उत्तर:- दस अक्टूबर सन् पैंतालीस वैसे तो सामान्य दिन था परंतु टोपी की जिंदगी में यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन उसके सबसे प्यारे दोस्त इफ्फ़न के पिता का तबादला हो गया था और वे सपरिवार मुरादाबाद चले गए थे। अब टोपी बिल्कुल अकेला हो गया था क्योंकि इफ्फ़न के पिता की जगह आने वाले कलेक्टर के तीनों बेटों में से किसी ने भी उसके साथ दोस्ती न की थी। इसी दिन टोपी ने कसम खाई थी कि वह ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसका पिता ऐसी नौकरी करते हो जिसमें बदली होती हो

6. टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?

उत्तर:- इफ़्फ़न की दादी टोपी से बहुत प्यार करती थीं। बाकी लोग जब टोपी को छेड़ते थे, तब वे बीच-बचाव करने आ जाती थी और उसे अपने पास बुलाकर प्यारी-प्यारी बातें करती थी, जो टोपी को गुड़ की डली, अमावट और तिलवा से भी मीठी लगती थीं। टोपी की मां की भाषा उसकी दादी और पिता को बिल्कुल पसंद नहीं थी, लेकिन वह बोली टोपी के दिल में उतर गई थी। इफ़्फ़न की दादी की बोली भी टोपी की मां की तरह ही थी। उसे वे दोनों एक ही पार्टी की दिखाई दीं। इफ़्फ़न की दादी टोपी की दादी की तरह कभी चीखती-चिल्लाती नहीं थी। इस कारण उसे अपनी दादी से नफरत थी और इसीलिए उसने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही थी।

7. पूरे घर में इफ़्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?

उत्तर:- इफ़्फ़न को अपने घर के सभी लोगों से प्रेम था, लेकिन अपनी दादी से उसे विशेष स्नेह था; क्योंकि उसकी दादी ने उसे कभी डांटा-मारा नहीं था। वे बहुत ही विनम्र और मधुभाषी महिला थीं। उसकी अम्मी कभी-कभी उसे डांट-मार लिया करती थीं, उसकी बाजी भी किसी-किसी बात पर उस पर गुस्सा कर लेती थीं और उसके अब्बू भी कभी-कभी घर में न्यायालय की तरह कठोर फैसला सुना दिया करते थे; लेकिन इफ़्फ़न की दादी ने कभी भी उसका दिल नहीं दुखाया था। दादी उसे रात में सोने से पहले बहराम डाकू, अनार परी, बारह बुर्ज, अमीर हमज़ा, गुलबकावली, हातिमताई, पंच फुल्ला रानी की कहानियां सुनाया करती थीं।

8. इफ़्फ़न की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खालीसा क्यों लगा?

उत्तर:- इफ़्फ़न की दादी टोपी से भी इफ़्फ़न की तरह ही प्रेम करती थीं। टोपी इफ़्फ़न के घर जाकर हमेशा दादी के पास बैठने का प्रयास करता था। उनकी बोली उसके मन में उतर गई थी। उनकी प्रेमपूर्वक कही गई बातें उसे गुड़ से भी मीठी व आम से भी रसीली लगती थी। इफ़्फ़न की दादी और टोपी का स्नेहभरा आत्मीय रिश्ता बन चुका था। टोपी का इफ़्फ़न के घर जाने का मुख्य उद्देश्य उसकी दादी का स्नेह और लाड-प्यार पाना ही होता था। उसे इफ़्फ़न के घर में किसी और से इतना लगाव नहीं था, इसीलिए इफ़्फ़न की दादी के चले जाने के बाद उसे इफ़्फ़न का घर खाली-सा लगा।

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9. टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलगअलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते में बंधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।

उत्तर:- टोपी हिन्दू धर्म से था और इफ़्फ़न की दादी मुस्लिम थी। परन्तु टोपी और दादी का रिश्ता इतना अधिक अटूट था कि टोपी को इफ़्फ़न के घर जाने के लिए मार भी पड़ी थी परन्तु टोपी दादी से मिलने, उनकी कहानियाँ सुनाने और उनकी मीठी पूरबी बोली सुनने रोज इफ़्फ़न के घर जाता था। दादी रोज उसे कुछ-न-कुछ खाने को देती पर टोपी कभी नहीं खता था। उसे तो दादी का हर एक शब्द गुड़ की डली की तरह लगता था। टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। दोनों एक दूसरे को खूब समझते थे।

10. टोपी नवीं कक्षा में दो बार फ़ेल हो गया। बताइए

(). ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने क्या कारण थे?

(). एक ही कक्षा में दोदो बार बैठने से टोपी को किन भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

(). टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।

उत्तर:-(क). टोपी बहुत ज़हीन अर्थात् होशियार व तेज दिमाग वाला था; लेकिन फिर भी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था। उसके दो बार लगातार फेल होने के निम्नलिखित कारण थे-

पहले साल उसे पढ़ने का समय नहीं मिल पाया था क्योंकि घर के सभी लोग छोटे-मोटे सारे काम उसी से करवाते थे और जब उसे पढ़ने का समय मिलता था तब तक भैरव उसकी कापियों के पन्नों के हवाई जहाज बना चुका होता था।

दूसरे वर्ष वह इसलिए फेल हो गया था क्योंकि उसे टाइफाइड हो गया था।

(ख). उसके साथ पढ़ने वाले साथी छात्र अगली कक्षा में चले गए। पिछली कक्षा से आने वाले छात्रों को वह अपना मित्र न बना सका जिनसे खुलकर वह बातचीत कर सके। कक्षा के अध्यापक भी बात-बात पर उसका मजाक उड़ाते थे। वे उसकी तरफ़ ध्यान नहीं देते थे। जिस प्रश्न का उत्तर उसे आता भी रहता, उसे न बताने देते। मौका मिलते ही कक्षा के छात्र उसका मजाक उड़ाते इससे टोपी अपमानित महसूस करता और अपनी बातें न कह पाता। टोपी की भावनात्मक परेशानियों को ध्यान में रखने से ज्ञात होता है कि शिक्षा व्यवस्था में कुछ कमियाँ हैं, जिनमें सुधार करना अत्यावश्यक है।

(ग). छात्रों को टोपी जैसी स्थिति से बचाने के लिए हमारी शिक्षा व्यवस्था में निम्नलिखित बदलाव लाए जाने चाहिए-

छात्रों की प्रगति का आधार केवल वार्षिक परीक्षा को ही न बनाया जाए। छात्रों की परीक्षा साल में तीन-चार बार कराई जानी चाहिए। छात्रों की पाठ्य सहगामी क्रियाओं, उनकी रुचियों, व्यवहार आदि का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए। छात्र के पिछली कक्षा के परिणाम को भी ध्यान में रखकर उसे फेल करने का फैसला करना चाहिए।

छात्रों व शिक्षकों को सख्त हिदायत दी जानी चाहिए कि कक्षा में ऐसे बच्चों को अपमानित न किया जाए और उनका मजाक ने बनाया जाए।

ऐसे बच्चों को अगली कक्षा में बैठने दिया जाना चाहिए और अगले साल एक साथ दोनों कक्षाओं की परीक्षाएं देने का नियम बना देना चाहिए।

उनके लिए पिछली कक्षा की पढ़ाई करवाने के लिए विशेष कक्षाएं लगवानी चाहिए।

11. इफ़्फ़न की दादी के मायके कस्टोडियन में क्यों चला गया?

उत्तर:- इफ़्फ़न की दादी पूर्वी भारत के ऐसे स्थान की रहने वाली थी जो भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय पाकिस्तान में चला गया था। उनका विवाह होने के बाद वे लखनऊ आ गई थीं और उनके मायके वाले भी कराची रहने लग गए थे। इस कारण उनके पुश्तैनी घर को संभालने वाला कोई नहीं था और उस पर किसी का मालिकाना हक नहीं था। ऐसी संपत्ति सरकार अपने कब्जे में ले लेती है और इसी नियम के अनुसार उनकी दादी के मायके का घर कस्टोडियन में चला गया था।