NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

By | June 3, 2022
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है.  Yah Danturit Muskan Question Answer को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

प्रश्नअभ्यास

1.बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन प२ क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर कवि शिशु की मधुर मुसकान को देखकर प्रफुल्लित हो उठता है| शिशु की मुसकान को देखकर उसकी उदासी, गंभीरता तनाव सब आनंद में परिवर्तित हो जाते हैं और वह हर्षोल्लास से भर उठता है| कवि को उस मुसकान को देखकर ऐसा लगता है मानो यह मुसकान तो मृतक में जान फूँक सकती है। कवि को लगता है कि यह मुसकान तो निष्ठुर, पाषाणवत हृदय में स्नेह की धारा प्रवाहित कर सकती है| इस प्रकार से शिशु की दन्तुरित मुसकान को देखकर कवि के हृदय में अप्रत्याशित परिवर्तन आ गया है।

2. बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मसकान मे क्या अंतर है?

उत्तरबच्चे तथा बड़ो की मुस्कान मे निम्नलिखित अंतर होते है

बच्चे की मुस्कान में स्वभाविकता, निश्छलता, सहजता, सत्यता और मधुरता होती है। उसका ह्रदय स्नेह और माधुर्य से परिपूर्ण होता है| जबकि बड़े व्यक्ति कीमुस्कान कृत्रिम, बनावटी एवं उद्देश्य से परिपूर्ण होती है| वह परिस्थिति एवं स्थान को देखकर अपने फायदे नुकसान को देखकर मुस्कुराता है कि कहीं कोई बुरा न मान जाए और उसका कहीं नुकासन न हो जाए| बच्चों के साथ ऐसा नहीं है वे दिल खोलकर मुस्कुराते हैं और उनकी मुस्कानसच्ची होती है, उनकी मुसकान में कृत्रिमता नहीं होती, स्वार्थ नहीं होता|

3. कवि ने बच्चे की मुस्कानके सौन्दर्य को किनकिन बिंबो के माध्यम से व्यक्त किया है?

उत्तरकवि ने बच्चे की मुस्कान के सौन्दर्यं को निम्नलिखित बिंबो के माध्यम से व्यक्त किया है-

कवि नागर्जुन ने बच्चे की मुसकान के सौन्दर्य को जिन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है,वे निम्नलिखित हैं

(1) बच्चे की मुसकान से मृतक में भी जान आ जाती है।मृतक में भी डाल देगा जान।

(2) कवि ने बालक के मुसकान की तुलना कमल के पुष्प से की है। जो कि तालाब में न खिलकर कवि की झोंपड़ी में खिल रहे हैं।छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।

(3) बच्चे की मुसकान से प्रभावित होकर पाषाण (पत्थर) भी पिघलकर जल बन जाएगा।पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।

(4) कवि बच्चे की मुसकान की तुलना शेफालिका के फूल से करता है।झरने लग पड़े शेफालिका के फूल।

(5) बच्चा जब तिरछी नज़रों से देख कर मुस्कराता है कवि को लगता है कि वह उनके प्रति स्नेह प्रकट करता है।

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4. भाव स्पष्ट कीजिए।

() छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।

() छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल ?

उत्तर– () कवि ने यहाँ बच्चे की सुंदर मुसकान की तुलना कमल के फूल से की है। बच्चे की हँसी को देखकर ऐसा लगता है मानो कमल के फूल अपना स्थान परिवर्तित कर तालाब के स्थान पर इस झोंपड़ी में खिलने लगे हैं। ये फूल अर्थात् बच्चे की मुसकान देखने वाले का मन प्रसन्नता से भर जाता है।

() बच्चे का स्पर्श पाकर कोई भी कठोर हृदय जल के समान पिघल जाए। बच्चे के स्पर्श से बाँस तथा बबूल जैसे काँटेदार वृक्ष से भी फूल झरने लगते हैं। उसी प्रकार बच्चे का स्पर्श पाकर कवि का भी नीरस मन प्रफुल्लित हो जाता है।

रचना और अभिव्यक्ति

5. मुसकान और क्रोध भिन्न भाव है। इनकी उपस्थिति से बने वातावया की भिन्नता का चित्रण कीजिए।

उत्तर मुसकान से किसी व्यक्ति की प्रसन्नता व्यक्त होती है। मुसकराने वाला स्वयं तो खुश होता ही है, अपनी मुसकान से दूसरों को भी प्रसन्न कर देता है। इससे वातावरण बोझिल होने से बच जाता है। दूसरी ओर क्रोध हमारे मन की व्यग्रता, आक्रोश और अप्रसन्नता का भाव प्रकट करता है। क्रोध की अधिकता में हम अपना नियंत्रण खो बैठते हैं और वाचा, मनसा, कर्मणा दुर्व्यवहार करने लगते हैं। इससे वातावरण में शांति कहीं खो जाती है और वातावरण में कटुता घुल जाती है।

6. दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर बच्चे की उम्र 8 या 9 महीने की २ही होगी क्योकि इस उम्र मे बाद दाँत निकलना शुरु हो जाते है।

7. बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दो मे लिखिए।

उत्तरप्रवास से काफी दिनों बाद लौटकर आए कवि की मुलाकात जब शिशु से होती है तो वह शिशु की मुसकान देखकर मुग्ध हो जाता है। उसकी दंतुरित मुसकान देखकर कवि की निराशा और उदासी गायब हो गई। उसे लगा कि उसकी झोंपड़ी में कमल खिल उठे हों। शिशु का स्पर्श पाते ही कवि का हृदय वात्सल्य भाव से भर उठा। इससे कवि के मन की खुशी उसके चेहरे पर छलक उठी। पहचान न पाने के कारण शिशु कवि को अपलक निहारता रहा। कवि सोचता है कि यदि । उसकी माँ माध्यम न बनती तो वह यह मुसकान देखने से वंचित रह जाता। इसी बीच जब शिशु ने तिरछी नज़र से कवि को देखा तो नन्हें-नन्हें दाँतों वाली यह मुसकान कवि को और भी सुंदर लगने लगी।

फ़सल

1.कवि के अनुसार फ़सल क्या है?

उत्तर कवि के अनुसार फसलें पानी, मिट्टी, धूप, हवा और मानव श्रम के मेल से बनी हैं। अर्थात् फसल किसी एक की मेहनत का फल नहीं बल्कि इसमें सभी का योगदान सम्मिलित है

2. कविता मे फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात की गई है। वह आवश्यक तत्व कौनकौन से है?

उत्तरफ़सल उपजाने के लिए आवश्यक तत्व निम्नलिखित है

पानी, मिट्टी, धूप, हवा व किसान का परिश्रम।

3. फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?

उत्तर- फसल के लिए भले ही पानी, मिट्टी, सूरज की किरणें तथा हवा जैसे तत्वों की आवश्यकता है। परन्तु मनुष्य के परिश्रम के बिना ये सभी साधन व्यर्थ हैं। यदि मनुष्य अपने परिश्रम के द्वारा इसे भली प्रकार से नहीं सींचे तब तक इन सब साधनों की सफलता नहीं होगी। अत: मानव श्रम फसल के लिए सबसे अधिक आवश्यक है।

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4. भाव स्पष्ट कीजए।

रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!

उत्तर इन पंक्तियो मे कवि फ़सल पकने मे सूरज की किरणों तथा हवा के योगदान को बताता है।

सूरज की किरणें जहाँ फसल को ऊर्जा प्रदान कर उसे पकने में सहायता करती है तो वही हवा भी मंद गति से चलकर फसल को बढ़ने मे मदद करती है।

रचना और अभिव्यक्ति

5. कवि ने फसल को हज़ारहज़ार खेतों की मिट्टी का गुणधर्म कहा है

() मिट्टी के गुण धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे ?

() वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण धर्म को किस तरह प्रभावित करती है?

() मिट्टी द्वारा अपना गुणधर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?

() मिट्टी के गुण धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?

उत्तर– ()किसी भी फसल की उपज मिट्टी के उपजाऊ होने पर निर्भर करती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति जितनी अधिक होगी फसल का उत्पाद भी उतना ही अधिक होगा।मिट्टी मे यदि यह अनेक तत्व ठीक मात्रा मे होते है तो उससे फ़सल की पैदावार भी अच्छी होती है।

() वर्तमान जीवन शैली के कारण मिट्टी अपनी क्षमता खोती जा २ही है क्योकि वह प्रदूषित होती जा रही है।आज की जिन्दगी मे आमतौर पर प्रयोग में आती चीजें जैसे- कीटनाशक, प्लास्टिक, रासायनिक तत्व, आदि मिट्टी को काफी नुकसान पहुँचाते है जिसका बुरा प्रभाव फ़सल पर भी पड़ता है।

() यदि मिट्टी अपना गुण-धर्म छोड़ दे तो मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। अगर फसलों का उत्पाद नहीं होगा तो मनुष्य क्या खाकर रहेगा। अत: मिट्टी का उपजाऊ होना मानव जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक तत्व है।

() हम मिट्टी के गुण-धर्म को पेड़ लगाकर, प्लास्टिक का उपयोग न करके व कारखानों को सीमित करके पोषित कर सकते है।